नई दिल्ली- प्रदूषण के खिलाफ अपने महत्वाकांक्षी अभियान रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ का दिल्ली सरकार तीसरे पक्ष से ऑडिट करवाने की योजना बना रही है। इस बाबत जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजधानी में वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए 16 अक्टूबर 2020 को शुरू किए गए इस अभियान के तहत चालकों को यातायात लाइट के हरे होने तक अपनी गाड़ी का इंजन बंद रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अधिकारी ने कहा कि अभियान का तीसरे पक्ष से ऑडिट कराने का प्रस्ताव पर्यावरण मंत्री के कार्यालय को भेजा गया है। हम अनुमति मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम में इस अभियान के प्रभाव का आकलन करने का प्रयास करेंगे। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह अभियान इस वर्ष भी लागू करने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि किसी भी अभियान की सफलता जनता की भागीदारी पर निर्भर करती है। प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में लोगों को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। बता दें कि अक्टूबर 2020 में आईटीओ यातायात सिग्नल पर अभियान की शुरुआत के मौके पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि राजधानी में यदि चालक यातायात सिग्नल पर प्रतीक्षा करते समय अपने वाहन के इंजन बंद कर देते हैं तो वाहनों से होने वाले प्रदूषण में 15 से 20 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है। उधर, पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ (पीसीआरए) के आंकड़े दर्शाते हैं कि अगर लोग यातायात सिग्नल पर अपने वाहन के इंजन बंद कर दें तो प्रदूषण में 13 से 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। सरकारी अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में पीएम-2.5 सूक्ष्म कणों के 28 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए परिवहन क्षेत्र जिम्मेदार है। इसके अनुसार, दिल्ली की आबोहवा में मौजूद 80 प्रतिशत नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के पीछे वाहनों से होने वाले प्रदूषण का हाथ है। दिल्ली में इस समय कुल 1.33 करोड़ वाहन पंजीकृत हैं। राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों की संख्या 2005-06 में प्रति एक हजार आबादी पर 317 से बढक़र 2019-20 में 643 पर पहुंच गई थी।