अहमदाबाद-जाने-माने वास्तुकार और पद्म भूषण से सम्मानित बालकृष्ण दोशी का यहां उनके घर में 95 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य ने श्रद्धांजलि दी है। दोशी ने ली कार्बुजय़िर और लुई कान जैसे इस क्षेत्र के दिग्गजों के साथ काम किया था। उनके परिवार ने एक बयान में कहा, हमें आपको यह बताते हुए दुख हो रहा है कि बालकृष्ण दोशी 26 अगस्त 1927 से 24 जनवरी 2023 का निधन हो गया है। आधुनिक भारत के अग्रणी निर्माता के तौर पर माने जाने वाले दोशी के निधन पर विभिन्न वर्गों के लोगों ने शोक व्यक्त किया गया है। मोदी ने ट्वीट किया, डॉ बी वी दोशी जी एक शानदार वास्तुकार और उत्कृष्ट संस्था निर्माता थे। आने वाली पीढय़िों को उनकी महानता की झलक देखने को मिलेगी, जो भारत भर में उनके समृद्ध कार्यों की प्रशंसा करेगी। उनका निधन दुखद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। शांति। पुणे में 1927 में जन्मे, दोशी ने ली कार्बुजय़िर जैसे वास्तुकला के दिग्गजों के साथ काम किया। उन्होंने लुई कान के साथ भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद और कई अन्य बेहतरीन परियोजनाओं के निर्माण में एक सहयोगी के रूप में भी काम किया। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने दोशी को वास्तुकला की दुनिया का ध्रुव तारा बताया। पटेल ने ट्विटर पर कहा, प्रित्जकर पुरस्कार विजेता पद्म भूषण बालकृष्ण दोशीजी के निधन पर शोक। विश्व प्रसिद्ध वास्तुकार, जो वास्तुकला की दुनिया के ध्रुव तारे के समान हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिजनों, अनगिनत प्रशंसकों और शिष्यों को यह सदमा सहने की शक्ति दे। शांति। उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि दोशी से ज्यादा जीवन को किसी ने प्यार नहीं किया। उन्होंने कहा वह हमेशा कहते थे कि आनंद करो , जिंदगी जिओ। वह बहुत सारे लोगों से प्यार करते थे और वे भी उन्हें प्यार करते थे। दोशी की कुछ परियोजनाओं में इंडोलॉजी संस्थान, सीईपीटी विश्वविद्यालय और अहमदाबाद में कनोरिया कला केंद्र, बेंगलुरु में भारतीय प्रबंध संस्थान और इंदौर में निम्न एवं मध्यम आय वाले परिवारों के लिए बस्ती अरन्या लो कॉस्ट हाउसिंग शामिल है। इस बस्ती को वास्तुकला के लिए 1995 में प्रतिष्ठित आगा खान पुरस्कार मिला था। साल 2018 में उन्हें प्रित्जकर आर्किटेक्चर प्राइज़ पुरस्कार मिला था, जिसे वास्तुकला के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। वह यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय थे। साल 2020 में उन्हें पद्म भूषण से नवाज़ा गया था।