नई दिल्ली – आजकल नियोक्ता शैक्षणिक योग्यताओं के अलावा अलग-अलग तरह के कौशल से लैस उम्मीदवारों को ज्‍यादा महत्‍व दे रहे हैं। इससे हर तरह के माहौल में स्वयं को ढालने वाले प्रोफेशनल्स को तैयार करने में शैक्षणिक संस्थानों की महत्‍वपूर्ण भूमिका सामने आती है। इस बदलाव को संबोधित करने के लिए संस्थानों को सॉफ्ट स्किल्स को प्राथमिकता देना चाहिए। संस्‍थानों को आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने, एक वैश्विक नजरिया विकसित करने, पाठ्यक्रम में तकनीकी शिक्षा को शामिल करने, व्यावहारिक शिक्षण अनुभव प्रदान करने, नेटवर्किंग एवं प्रोफेशनल विकास को बढ़ावा देने, तथा पर्यावरणीय एवं सामाजिक उत्तरदायित्व के महत्व पर जोर देने की आवश्यकता है। शैक्षणिक परिदृश्य में इन सभी घटकों को शामिल करके संस्थान यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि स्टूडेंट्स न केवल डाइनैमिक जॉब मार्केट की आवश्यकताएं पूरी करेंगे बल्कि वे परितंत्र में सार्थक योगदान करने के लिए प्रतिभा से संपन्‍न व्यक्ति के रूप में सामने आयेंगे।मोहित गंभीर, मैनेजिंग डायरेक्‍टर, ऑक्‍सफोर्ड इंटरनेशनल एजुकेशन सर्विसेज कहते हैं कि शैक्षणिक संस्थानों को एक संपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिसमें आलोचनात्मक सोच, समस्या-समाधान, रचनात्मकता और प्रभावकारी संवाद सहित व्यावहारिक कुशलताओं के साथ शैक्षणिक ज्ञान का संयोजन किया गया हो। आज के तकनीक-संचालित दौर में सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना पर्याप्त नहीं है। विद्यार्थियों को डिजिटल साक्षरता में भी निपुण होना आवश्यक है। पाठ्यक्रम में डिजिटल कौशल शामिल हो, जिससे स्टूडेंट्स को सुरक्षा के साथ डिजिटल जगत में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन मिल सके। डिजिटल साक्षरता सिर्फ एक कुशलता नहीं होती, बल्कि यह सशक्त बनाने वाला एक साधन है। आज डिजिटल युग को अपनाने का कोई विकल्प नहीं है। शिक्षा में सॉफ्ट स्किल का महत्व के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, नियोक्ता तकनीकी विशेषज्ञता के अलावा सहयोग, लचीलापन, नेतृत्व, बुद्धिमत्ता और सॉफ्ट स्किल्स को महत्व दे रहे हैं। विद्यार्थी सामूहिक परियोजनाओं, पाठ्येतर गतिविधियों और मार्गदर्शन प्रोग्राम्स के जरिये इन कौशल को सीख सकें, इसके लिए स्कूलों द्वारा अवसर प्रदान किया जाना चाहिए। एंटरप्रेन्‍योरशिप एवं इनोवेशन की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ऐसे में विद्यार्थियों को भावी कार्यबल में सफल होने, अपने कौशल में सुधार करने और समझदारी से कॅरियर से जुड़े विकल्प चुनने के योग्य बनाने के लिए व्यावसायिक शिक्षा और अनुभव से सीखना आवश्यक हैं। स्कूल डिजिटल साक्षरता, कौशल विकास, उद्यमिता, व्यावसायिक मार्गदर्शन, और नेतृत्व जैसी प्रभावकारी शैक्षणिक पद्धतियाँ लागू करके इस दिशा में अपनी भूमिका निर्वाह करें। स्कूल अनुकूलनशीलता और नवाचार पर जोर देकर विद्यार्थियों को वर्कप्‍लेसेस में फलने-फूलने के लिए तैयार कर सकते हैं। मोहित गंभीर, मैनेजिंग डायरेक्‍टर,ऑक्‍सफोर्ड इंटरनेशनल एजुकेशन सर्विसेज ने कहा।