लेखक : शिखर अगरवाल, चेयरमैन, बीएलएस ई-सर्विसेज
भारत विविधताओं और विषमताओं से भरा देश है। यहाँ एक ओर तो हलचल से भरे सुविधा-संपन्न महानगर हैं तो दूसरी ओर आधुनिक टेक्‍नोलॉजी की सीमित उपलब्धता वाले विशाल ग्रामीण क्षेत्र भी हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के लिए माँग तेजी से बढ़ रही है। इस रुझान को सरकार के महत्वाकांक्षी भारतनेट प्रोजेक्ट और डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का भी समर्थन मिल रहा है, जिनका लक्ष्य अनेक मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करना है। डिजिटल इंडिया से डिजिटल बैंकिंग का जन्म हुआ। डिजिटल बैंकिंग से लोगों को घर से निकले बगैर अपने बैंक खातों तक पहुँच, पैसे स्थानांतरित करने की सुविधा, बिल का भुगतान, और दूसरी वित्तीय लेन-देन करने की सुविधा से अपने वित्तीय मामलों को मैनेज करने के तरीके पूरी तरह बदल गए। इसका महत्व कोविड-19 के दौरान विशेषकर परिलक्षित हुआ, जब लोगों को व्यक्तिगत रूप से बैंक की शाखाओं में जाने के अवसर सीमित हो गए थे।पिछले पाँच सालों में भारत के डिजिटल क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव हुए हैं, और इसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह डिजिटल बनने को तैयार है। धीरे-धीरे हुए इस विकास का जबरदस्त असर हुआ है। विशेषकर भीतरी ग्रामीण इलाकों में यह असर ज्यादा स्पष्ट है, जहाँ परम्परागत बैंकिंग सेवायें लम्बे समय से अवरोधों का सामना कर रही हैं जिसके कारण उनकी पहुँच कम रही है। स्मार्टफ़ोन का बढ़ता प्रयोग और सस्ते डेटा प्लान्स उपलब्ध होने के चलते ग्रामीण भारतीयों के बीच डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के लिए भारी माँग पैदा हुई है। भारत के एसबीआई, एचडीएफसी, और पंजाब नैशनल बैंक सहित दूसरे प्रमुख बैंकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने ग्राहकों के लिए अंतिम छोर तक डिजिटल बैंकिंग शामिल करने के लिए अपनी-अपनी सेवाओं का विस्तार किया है। एक महत्वाकांक्षी प्रयास के तहत, विश्व स्तर पर सबसे शानदार ग्रामीण दूरसंचार पहल में से एक के रूप में भारतनेट की शुरुआत की गई है। सम्पूर्ण देश में अनगिनत ग्राम पंचायतों में सुव्यवस्थित तरीके से कार्यान्वित इस विशाल परियोजना का लक्ष्य सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की न्यायसंगत और भेदभाव रहित सुलभता सुनिश्चित करना है। इसके अलावा, बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 तक भारत में डिजिटल भुगतान के 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। गौरतलब है कि इस वृद्धि का अधिकाँश भाग ग्रामीण क्षेत्रों द्वारा प्रेरित है। यह बैंकों और वित्तीय टेक्नोलॉजी (फिनटेक) कंपनियों के लिए नए और तेजी से बढ़ते ग्राहक की संख्‍या का लाभ उठाने के लिए एक बड़ा अवसर पेश करता है। लेकिन इस वृद्धि के साथ चुनौतियां भी हैं, विशेषकर बुनियादी सुविधाओं (इंफ्रास्ट्रक्चर) के मामले में। ग्रामीण इलाकों में डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के लिए ज़रूरी हाई-स्पीड इन्टरनेट कनेक्टिविटी का अक्सर अभाव रहता है, जो इसे अपनाने में एक बड़ी बाधा हो सकता है।टेक्‍नोलॉजी के माध्यम से आपस में ज्‍यादा से ज्‍यादा कनेक्‍ट होने वाली आज की दुनिया में समावेशी वृद्धि और विकास के लिए डिजिटल वितरण की कमी दूर करना आवश्यक हो गया है। ग्रामीण क्षेत्र कनेक्टिविटी और अनिवार्य सेवाओं की सुलभता के मामले में परम्परागत रूप से पिछड़े रहे हैं। लेकिन अब भारतनेट जैसी सरकारी पहलों के माध्यम से उन पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना, कॉर्पोरेट संगठनों और फिनटेक कंपनियों के सहयोग के साथ ग्रामीण भारत के लिए डिजिटल बैंकिंग सेवाओं और कनेक्टिविटी का अंतर कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस आलेख में ग्रामीण बैंकिंग के महत्व पर गहरी नजर डाली गई है और यह इस बात पर रोशनी डालता है कि किस प्रकार सरकार-कॉर्पोरेट पहल ग्रामीण समुदायों को दुनिया से जुड़ने के लिए सशक्त बना रही हैं। ग्रामीण बैंकिंग का महत्व समझते हुए, सरकार ने वित्तीय समावेशन पहलों को आगे बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों को शामिल करने का सक्रिय प्रयास किया है। फिनटेक कंपनियाँ और कॉर्पोरेट संगठनों ने इस चुनौती को स्वीकार किया है और ग्रामीण ग्राहकों की विशिष्ट ज़रूरतों के अनुसार नवाचारी समाधान विकसित करने के लिए अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर रहे हैं। बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों के सहयोग से ये कंपनियाँ ऐसे प्लैटफॉर्म्स का निर्माण कर रही हैं जो यूजर-फ्रेंडली इंटरफ़ेस, खाता खोलने की आसान प्रक्रियाएं और स्थानीय भाषा सपोर्ट प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग सेवाओं की पहुँच बढ़ाने में कॉर्पोरेट कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बैंकिंग सहयोगी (बैंकिंग कॉरस्पान्डन्ट) और स्वयं-सेवा किओस्क्स स्थापित करके वे वित्तीय सेवाओं को ग्रामीण समुदायों के करीब ला रही हैं। इन पहलों से ग्रामीण ग्राहकों और बैंकिंग सुविधाओं के बीच भौतिक दूरी कम करने में मदद मिलती है, जिससे सबसे दूर-दराज के इलाकों के लोगों को भी आवश्यक वित्तीय सेवाओं की सुलभता सुनिश्चित होती है।ग्रामीण समुदायों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। डिजिटल बैंकिंग सेवायें लोगों को बचत करने, निवेश करने और अपने वित्त को कुशलतापूर्वक मैनेज करने की शक्ति प्रदान करती हैं। ऋण और बीमा उत्पादों की सुलभता अप्रत्याशित परिस्थितियों में सुरक्षा प्रदान करती हैं, उद्यमिता की भावना पैदा करती हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करती है। इसके अलावा, डिजिटल कनेक्टिविटी से शिक्षा और हेल्थकेयर सेवायें प्राप्त करने में आसानी होती है। इससे स्टूडेंट्स को ऑनलाइन शैक्षणिक संसाधन पाने और रोगियों को दूर से डॉक्टरों से परामर्श करने की क्षमता प्राप्त होती है।उदाहरण के लिए, अनेक फिनटेक कंपनियों ने मोबाइल ऐप्स तियार किये हैं जिनसे यूजर्स को कमजोर कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में भी लेन-देन करने में सुविधा होती है। दूसरी कंपनियाँ भी स्थानीय रिटेलर्स के साथ साझेदारी करके नकद जमा और निकासी सेवाएं दे रही हैं और इस प्रकार दूर-दराज के क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ रही है। ग्रामीण भारत में डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के लिए बढ़ती माँग वित्तीय संस्थानों के लिए पहले अप्रयुक्त बाज़ार में लाभ उठाने का महत्वपूर्ण अवसर उपस्थित करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं को अपनाने से वित्तीय समावेशन में तेजी आने, ऋण की सुलभता बढ़ने और सामान्य आर्थिक वृद्धि बढ़ने की उम्मीद है।हालांकि, इन्टरनेट कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति की सीमित सुलभता जैसी बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी चुनौतियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग को व्‍यापक तौर से अपनाने के लिए बड़ी बाधा बनी हुई हैं। ग्रामीण भारत में डिजिटल बैंकिंग सेवाओं की पूरी क्षमता का प्रयोग करने के लिए इन चुनौतियों को दूर करना आवश्यक है।इसके अलावा, प्रोजेक्ट से ग्रामीण ग्राहकों की विशिष्ट जरूरतें पूरी करने वाले नए उत्पादों और सेवाओं के विकास के लिए अवसर पैदा होने की उम्मीद है। हालाँकि चुनौतियाँ मौजूद हैं, फिर भी ग्रामीण भारत में डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के लिए बढ़ती माँग बैंकों और फिनटेक कंपनियों के लिए एक विशाल संभावित बाज़ार का इशारा करती है।