दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2019 में सेप्टिक टैंकों की मुफ्त सफाई के लिए योजना घोषित की थी और प्राइवेट ठेकेदारों द्वारा सफाई कराने पर रोक लगा दी थी। मुख्यमंत्री की घोषणा लागू नहीं की गई और लोग प्राइवेट ठेकेदारों से सफाई नहीं करा पा रहे हैं। इससे राजधानी के करीब 50 लाख लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। यह बात नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनावों से ठीक पहले 15 नवंबर 2019 को एक योजना का ऐलान किया था। इस योजना को नाम दिया गया था मुख्यमंत्री सेप्टिक टैंक सफाई योजना। इस योजना की घोषणा के साथ बड़े-बड़े विज्ञापन भी दिए गए थे। इस योजना की घोषणा के साथ ही यह माना गया था कि राजधानी की वैध और अवैध कॉलोनियों में 45 लाख से ज्यादा बड़ी आबादी के पास सीवर कनेक्शन नहीं हैं। इसलिए ये सभी लोग सेप्टिक टैंकों पर निर्भर हैं। इनके घरों से निकली गंदगी इन टैंकों में जाती है लेकिन उसकी सफाई का कोई व्यवस्थित तरीका नहीं है। मुख्यमंत्री ने माना था कि लोग प्राइवेट ठेकेदारों से सफाई कराते हैं जिनके पास प्रशिक्षित स्टाफ  नहीं है। न ही ये ठेकेदार इस सफाई करने वाले स्टाफ  को सफाई के आधुनिक उपकरण मुहैया कराते हैं। इससे बहुत से सफाई कर्मचारियों की सेप्टिक टैंकों में मौत हो जाती है। बिधूड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद प्राइवेट ठेकेदारों से सफाई पर रोक लगा दी गई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री की यह घोषणा सिर्फ  चुनावी वादा ही साबित हुई। चुनाव में फायदा उठाने के लिए घोषणा के कुछ समय बाद तक तो यह योजना शुरू हुई लेकिन उसके बाद सब कुछ ठप्प कर दिया गया। अब महीनों से सेप्टिक टैंकों की सफाई नहीं हुई। इससे खासतौर पर अनधिकृत कॉलोनियों और गांवों के लोगों का जीवन नारकीय बन रहा है।