दिल्ली में की वर्ल्ड क्लास टीचर यूनिवर्सिटी की शुरुआत

नई दिल्ली-दिल्ली की तरक्की में जनता को एक अहम् हिस्सेदार मानते हुए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली बजट 2022-23 के लिए दिल्ली की जनता से सुझाव मांगे थे। इसमें लोगों ने उत्साह के साथ भाग भी लिया। इस पूरी प्रक्रिया में सरकार को लोगों से सबसे ज्यादा सुझाव दिल्ली की आर्थिक तरक्की और रोजगार के नए अवसर तैयार करने को लेकर मिले। युवाओं, व्यापारियों, उद्योगपतियों, एंटरप्रेन्योर्स आदि ने सरकार को सुझाव दिए कि दिल्ली की आर्थिक तरक्की और नए रोजगार के सृजन के लिए क्या-क्या किया जा सकता है। दिल्ली सरकार इन सभी सुझावों का अध्ययन करवा रही है और जहाँ-जहाँ संभव होगा, सरकार इन सुझावों को अपनी नीतियों में शामिल करने का काम करेगी। इस बाबत उपमुख्यमंत्री व वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि नोटबंदी, कोरोना महामारी के कारण दिल्ली की अर्थव्यवस्था धीमी हो गई। लम्बे समय तक लॉकडाउन रहने के कारण व्यापार बे-पटरी हो चुका है, जिसे दोबारा पटरी पर लाने और दिल्ली की अर्थ व्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए दिल्ली की जनता से आगामी बजट के लिए सुझाव मांगे गए, क्योंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि व्यापार-उद्योग को कैसे आगे बढ़ाएं, इसकी बेहतर समझ व्यापारियों व उद्योगपतियों के पास है। नए रोजगार कैसे पैदा किए जाएं, इसकी समझ भी व्यापारियों व उद्योगपतियों के पास है और नौजवानों के पास रोजगार के अवसर पैदा करने को लेकर नए आइडियाज हैं सरकार की यह नीति रही है कि केवल सरकार में बैठे चंद लोग नहीं, बल्कि सबकी सोच को साझा कर दिल्ली का बजट बने। लोगों की यह भागीदारी ही दिल्ली की तरक्की का आधार है। साथ ही, पिछले कुछ सालों में दिल्ली सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य व इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जो इनिशिएटिव लिए हैं वो आने वाले समय में रोजगार के नए अवसर तैयार करेंगे। इसी का नतीजा है कि पिछले 6 सालों में न केवल दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है, बल्कि देश की जीडीपी में भी दिल्ली का योगदान बढ़ा है। आज दिल्ली की आबादी देश की कुल आबादी का मात्र 1.49 फीसद है, लेकिन देश की जीडीपी में दिल्ली का योगदान 4.4 फीसद है। सिसोदिया ने कहा कि स्वयं केंद्र सरकार अपनी रिपोर्ट में यह मानती है कि दिल्ली अपनी आर्थिक तरक्की के लिए सबसे ज्यादा नए प्रयोग करने वाला राज्य है। आर्थिक सर्वेक्षण 2022 के अनुसार दिल्ली देश का स्टार्ट-अप कैपिटल बन चुका है और यहाँ स्टार्ट-अप को सबसे ज्यादा तबज्जो दी जा रही है। दिल्ली में युवाओं को जॉब सीकर नहीं, बल्कि जॉब प्रोवाइडर बनाया जा रहा है और यहीं से दिल्ली और देश की आर्थिक तरक्की का रास्ता निकलेगा।