नई दिल्ली – ह्यूमन पेपिलोमावायरस का संबंध सर्वाइकल कैंसर से होने की वजह यह जनस्वास्थ्य के लिए एक बेहद ही चिंताजनक समस्या है। चिकित्सा विज्ञान में इतनी तरक्की होने के बावजूद भी पूरी दुनिया में महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों के लिए सर्वाइकल कैंसर प्रमुखता से जिम्मेदार है। एचपीवी 200 से भी अधिक संबंधित वायरस का एक समूह है, जिनमें से कम से कम 14 कैंसरकारी प्रकार हैं। एचपीवी मुख्यरूप से यौन संबंध के जरिए फैलता है और यह इतना आम है कि यौन रूप से सक्रिय व्यक्ति अपने जीवन में कभी ना कभी इसके संपर्क में आता है। यह बताते हुए नारायणा अस्पताल, गुरुग्राम के सीनियर कंसल्टेंट एवं क्लीनिकल लीड- सर्जिकल ऑन्कोलॉजी एंड रोबोटिक सर्जरी के डॉ देबाशीष चौधरी कहते हैं कि उच्च जोखिम वाले एचपीवी प्रकार वाले संक्रमण के लगातार बने रहने से सर्वाइकल कैंसर की समस्या हो सकती है। उच्च जोखिम वाले एचपीवी का प्रकार सर्वाइकल डिसप्लेसिया का कारण बन सकता है जोकि गर्भाशय ग्रीवा की सतह पर असामान्य कोशिका की वृद्धि के रूप में कैंसर की पूर्व स्थिति होती है। यदि इसका इलाज ना किए जाए तो ये असामान्य कोशिकाएं समय के साथ सर्वाइकल कैंसर में तब्दील हो सकती हैं। पैप टेस्ट को कैंसर पूर्व होने वाले बदलावों के रूप में पहचाना गया है, वहीं एचपीवी टेस्ट इस वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिए होता है। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए जांच के साथ-साथ एचपीवी वैक्सीन लगवाना भी एक अच्छा तरीका है। यौन रूप से सक्रिय होने से पहले यदि कोई इसे लगाता है तो यह वैक्सीन ज्यादा प्रभावी मानी जाती है, सामान्यतौर पर इसे किशोरावस्था से पहले लगाने की सलाह दी जाती है, लेकिन 26 वर्ष तक की वयस्कों के लिए भी फायदेमंद है। कुछ मामलों में 45 वर्ष की उम्र तक भी ये वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर और अन्य कैंसरों से संबंधित सबसे सामान्य प्रकार के उच्च जोखिम वाले एचपीवी प्रकारों को लक्षित करता है। इससे एक मजबूत सुरक्षा कवच तैयार हो जाता है। कुछ कारक निरंतर बने रहने वाले एचपीवी संक्रमण और सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसके तहत एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर, समय से पहले यौन रूप से सक्रिय होना, कमजोर इम्युन सिस्टम, धूम्रपान और गर्भनिरोधक गोलियों का लंबे समय तक सेवन शामिल है।नारायणा अस्पताल, गुरुग्राम के सीनियर कंसल्टेंट एवं क्लीनिकल लीड- सर्जिकल ऑन्कोलॉजी एंड रोबोटिक सर्जरी के डॉ देबाशीष चौधरी कहते हैं कि बचाव के कुछ उपायों जैसे सुरक्षित यौन आचरण, धूम्रपान से दूर रहकर, संतुलित आहार और नियमित एक्सरसाइज से इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाना। वैक्सीनेशन, नियमित जांच और जीवन जीने के तरीकों के महत्व को समझते हुए महिलाएं सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती हैं। अपनी सेहत की दिशा में सुरक्षात्मक कदम उठाने के लिए एक चिकित्सक महिलाओं को जागरूक करने और प्रेरित करने में एक अहम भूमिका निभा सकता है। वैक्सीनेशन कार्यक्रम और नियमित जांच जैसे प्रयासों के साथ, सर्वाइकल कैंसर के मामलों को काफी कम किया जा सकता है और ढेरों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।