अहमदाबाद- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने पूछा कि नरेंद्र मोदी सरकार अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने से क्यों डर रही है माकन ने जोर देकर कहा कि हवाई अड्डे और बंदरगाहों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को एक कंपनी को सौंपने का मुद्दा देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय है।उन्होंने कहा कि अडाणी समूह के साथ भाजपा-शासित केंद्र के सौदे से सांठगांठ वाले पूंजीवाद की बू आती है और इससे सरकार प्रायोजित निजी एकाधिकार का निर्माण होता है। उन्होंने दावा किया कि अडाणी जैसी कंपनी को हवाई अड्डों और बंदरगाहों का नियंत्रण देना हमारे देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि अडाणी समूह देश की बंदरगाह क्षमता का 30 प्रतिशत और कंटेनर क्षमता का 40 प्रतिशत उपयोग करता है। उन्होंने पूछा, कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार से पूछना चाहती है कि वह इस मुद्दे पर जेपीसी गठित करने से क्यों डरती है अगर कांग्रेस की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार हर्षद मेहता घोटाले के लिए और भाजपा की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेई सरकार केतन पारेख घोटाले के लिए जेपीसी बना सकती थी, तो आप अडाणी शेयर धोखाधड़ी मामले के लिए जेपीसी क्यों नहीं बना रहे हैं हाल ही में एक साक्षात्कार में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि कांग्रेस के दौर में 12 लाख करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले हुए थे, माकन ने कहा कि भाजपा सरकार अपने शासन के नौ वर्षों में इन मामलों में किसी को भी गिरफ्तार करने या भ्रष्टाचार का दोषी साबित करने में विफल रही है। माकन ने कहा, अगर वे कुछ नहीं कर सकते, तो उन्हें कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस इस मामले में जेपीसी से जांच की मांग कर रही है। कम से कम हमें जांच का मौका दें। आप हमें जांच से वंचित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे की जेपीसी जांच के लिए सरकार पर दबाव बनाना जारी रखेगी, क्योंकि वह सांठगांठ वाले पूंजीपतियों को फंड देने के लिए सरकारी खजाने की खुली लूट के बारे में चिंतित है। उन्होंने कहा कि जब भी सार्वजनिक संपत्ति का निजीकरण होता है, तो दो बातों का ध्यान रखना चाहिए पहला, खुली निविदा होनी चाहिए और दूसरा, एकाधिकार नहीं होना चाहिए। माकन ने कहा, इस सरकार ने अपने करीबी पूंजीपतियों की मदद के लिए इन दोनों चीजों को अलग रखा है। उन्होंने कहा, मुझे इस बात की चिंता है कि जिस कंपनी को विदेशों में स्थित संस्थाओं से 37,000 करोड़ रुपए और।,23,000 करोड़ रुपए मिले हैं, उसे हवाई अड्डों और बंदरगाहों जैसे रणनीतिक क्षेत्रों को सौंप दिया गया है। तब तो यह देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश जानना चाहता है कि कर चोरी के मामले में कुख्यात देशों से संचालित होने वाली फर्जी कंपनियों के माध्यम से भारत में भेजे जा रहे काले धन का असली मालिक कौन है
