मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और एकता समाज का आधार बिंदु है। यही वह कड़ी है जो लोगों को बांध कर रखती है और उनका जीवन सुखमय बनाती है। भारत देश विविध संस्कृति, संस्कार, आस्था से समाहित समृद्ध भूमि है यहाँ अनेकता में एकता के दर्शन होते हैं और ऐसी जगह एकता का महत्व जीवंत हो जाता है। महायोगी की दूरदृष्टि से देखा जाय तो यह एकता का विश्वस्तरीय उत्सव है जो किसी समुदाय का नहीं अपितु अखण्ड भारत की आत्मा से उत्पन्न होने वाला उत्सव है।परिवारों में सद्भाव : एकता टूटे हुए परिवारों के लिए एक मरहम का कार्य करती है। इससे आर्थिक विकास होता है। यह धन, सम्पति और मदद से जुड़े संघर्ष को दूर करता है। महायोगी समस्त भाई-बहनों के बीच पारिवारिक पुनर्मिलन, पोषण, समझ, सहयोग और एकजुटता की कल्पना करते हैं। जिससे आपसी प्रेम और समर्थन की नींव रखी जा सके।मित्रता और सच्चाई: दुनिया से मानवता और आपसी विश्वास का भाव कम हो रहा है। जिससे लोग एक दूसरे पर विश्वास नहीं कर पा रहे पूरी दुनिया इस समस्या से जूझ रही है। महायोगी वास्तविक मित्रता और सच्चाई के पुनरुद्धार के बड़े समर्थक हैं। उनका संदेश वास्तविक संबंधों को प्रबल बनाना और छल कपट से टूटे हुए लोगों में पुनः विश्वास की भावना का निर्माण करना है। महायोगी इस आह्वान का प्रतिनिधित्व कर रहा है जिससे आपसी विश्वास बढ़ सके।पड़ोसी राज्यों हेतु एकता: वर्तमान में पड़ोसियों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द कम हो गया है। महायोगी पड़ोसियों के बीच आपसी सौहार्द को बढ़ाने हेतु संबोधित करते हैं और आपसी निस्वार्थता और सामुदायिक एकता की भावना को प्रेरित करते हैं। उनका दृष्टिकोण एक ऐसी दुनिया की तस्वीर पेश करता है जहां पड़ोसी स्वार्थी प्रवृत्तियों को कम करते हुए मदद के लिए एक दूसरे का सहयोग करें।अंतरधार्मिक सद्भाव: महायोगी किसी एक देश या सम्प्रदाय की सीमाओं से बंधे नहीं है अपितु सम्पूर्ण दुनिया के हित चाहने वाले हैं। भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक विभिन्नता अधिक है। महायोगी आध्यात्मिक जागृति और सार्वभौमिकता पर जोर देते है और देश में हो रहे धार्मिक संघर्षों को हल करना चाहते हैं। वह एक ऐसी दुनिया का सपना देखते हैं जहां सभी विभिन्न आस्थाएं एकता के सिद्धांतों को अपनाकर सही निर्देशानुसार सौहार्दपूर्ण ढंग से मिलजुल कर रहें साथ ही अपना सह अस्तित्व भी बनाकर रहे। सभी के धर्म पर विश्वास करें, सम्मान करें और प्यार करें और एक साथ मिलजुल कर खुशी से रहें। यही एकमात्र तरीका है जिससे हम भारत की सच्ची संस्कृति को सभी के सामने ला सकते हैं।महायोगी के साथ आंतरिक जागृति: महायोगी आंतरिक जागृति के उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर रहे हैं। महायोगी मानव चेतना को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके द्वारा दिया गया ज्ञान और शिक्षा मानव को भौतिक संसार के अलावा आत्मिक ज्ञान और आंतरिक समझ की गहरी प्रेरणा देता है। जिससे आपसी संबंध और एकता की भावना बढ़ती है।स्वर्ण युग की पहल : महायोगी की कथा कलयुग से सतयुग में गहन परिवर्तन को उजागर करती है। यह सत्य और सदाचार की विशेषता वाले स्वर्ण युग की ओर बदलाव का प्रतीक है। कथा का दूसरा भाग सतयुग की सुखद स्थिति की अंतर्दृष्टि का वादा करता है, जहां हर कोई अपने भीतर भगवान की उपस्थिति महसूस करेगा। महायोगी द्वारा निर्देशित आध्यात्मिक क्रांतिकारी पहल सतयुग का द्वार खोलेगी।मानवता के लिए मार्गदर्शन: महायोगी ज्ञान के स्रोत के रूप में उभरे हैं, जो मानवता को संकट में लाने वाले समस्याओं का समाधान करने वाले प्रश्नों के उत्तर प्रदान करते हैं। उनका ज्ञान अतीत, वर्तमान और भविष्य तक फैला हुआ है, जो अपनी यात्रा पर स्पष्टता चाहने वाले व्यक्तियों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। महायोगी ने अपनी साधना से विश्व में हुए सभी नरसंहारों के सभी कारणों को उजागर किया है और आगामी भविष्य ऐसा ना हो उसके लिए उपाय भी बताए हैं। कलयुग समाप्त होकर पुनः सतयुग का उदय हो उसके लिए अथक प्रयास किया है।एकता की नगरी अयोध्या: महायोगी भगवान राम की पवित्र भूमि अयोध्या की कल्पना एकता की नगरी के रूप में करते हैं। जहां एकता दुनिया के हर कोने तक फैली हुई है। भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का भाव रखे। महायोगी का लक्ष्य धार्मिक संघर्षों को खत्म करने, सामूहिक एकता को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत चेतना को ऊपर उठाना है। उनका उद्देश्य है कि शहर में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, यहूदी मंदिर, बुद्ध मंदिर और कई अन्य धार्मिक स्थानों में एकता का समावेश हो।राजन लूथरा का मानना है कि महायोगी हर जगह, हर आत्मा के भीतर निवास करते हैं और सच्ची एकता की प्राप्ति के लिए चेतना से शुद्ध चेतना तक की यात्रा का मार्गदर्शन करते हैं। आध्यात्मिक प्रतिमान 2024 में घटित होने लगेगा।इस धरती पर एक खूबसूरत दुनिया बनाने के लिए हम सभी को बदलाव को स्वीकार करना होगा। अंत में कहा गया है- “लोकः समस्त सुखिनो भवन्तु”।एकता के लिए महायोगी का दृष्टिकोण सीमाओं से परे है। यह फिल्म एक परिवर्तनकारी कथा प्रस्तुत करता है जो सामाजिक दरारों को ठीक करता है और मानवता, प्रेम और एकता के भाव को प्रेरितकर सुखद भविष्य निर्माण करने में मदद करता है। भारत के साथ सभी पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और कई अन्य देशों का एकीकरण पर बल देता है। धार्मिक विभिन्नता को भुलाकर सभी यूरोपीय देशों में मित्रता और एकता का भाव उत्पन्न हो। सभी एकजुट होकर हो किसी प्रकार का भेदभाव या संघर्ष ना हो।इस गहन संदेश और परिवर्तनकारी मार्ग को राजन लूथरा की फिल्म “महायोगी हाईवे वन टू वननेस” की प्रेरक पहल के माध्यम से खूबसूरती से चित्रित किया गया है। राजन लूथरा का मानना है कि एकता के मार्ग पर चलकर सार्थक बदलाव आ सकता है। जैसा कि इस बेहतरीन फिल्म की उत्कृष्ट कृति में दर्शाया गया है। सामूहिक रूप से महायोगी के सिद्धांतों का अनुकरण करके आपसी सामंजस्य और एकता सम्पूर्ण संसार में विद्यमान हो सकती है। यह फिल्म एकता, सामंजस्य और सार्वभौमिकता की भावना को बढ़ाने हेतु प्रेरणा स्त्रोत के रूप में कार्य करता है।यह फिल्म 8 मार्च, 2024 को भारतीय सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है और इसे अंग्रेजी, हिंदी और विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं सहित कई भाषाओं में प्रस्तुत किया जाएगा। निश्चित रूप से यह दर्शकों को पसंद आएगी और प्रेरित करेगी।यह फिल्म के भारत की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता दुनिया के हर कोने तक पहुँचाकर प्रेम, एकता और शान्ति की सीख देगा।