नई दिल्ली – देश की राजधानी की आबादी तीन करोड़ के आसपास है. यह किसी छोटे देश की जनसंख्या से भी अधिक है. यहां पर सभी राज्यों के लोग अपनी रोजीरोटी कमाने के लिए आते हैं. मगर राजधानी में इस समय जिस तरह के हालात हैं वह चिंताजनक है. प्रदूषण का स्तर यहां पर जानलेवा स्तर पर पहुंच चुका है. राजधानी में कई जगहों पर वायु गुणवत्ता सूचांक 500 के आसपास है. इस श्रेणी को बेहद खराब माना जाता है. ऐसे में नौकरीपेशे वाले लोगों के लिए घर से बाहर निकलना भी एक बड़ा रिस्क है. आखिर दिल्ली में हर साल सर्दी के आते ही इतना प्रदूषण क्यों होता है, आइए जानने की कोशिश करते हैं.विशेषज्ञों की मानें तो हरियाणा और पंजाब कृषि क्षेत्रों में गिना जाता है. यहां पर पराली जलाने से निकलने वाला धुआं साथ ही वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं शहर को घेर लेता है. इतनी बड़ी आबादी होने के कारण वाहनों की संख्या भी यहां पर बहुत अधिक है. इसके साथ यहां पर चलने वाले कंस्ट्रक्शन वर्क की वजह से भी स्थितियां गंभीर बनी हुई हैं. वहीं सर्दियों की शुरुआत में वातावरण में हवा की गति कम हो जाती है, इसकी वजह से स्मॉग साफ नहीं हो पाता है.दरअसल दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए युद्धस्तर पर काम करने की जरूरत है. इसके साथ आम नागरिकों के सहयोग की भी आवश्यकता है. राजाधानी का हाल देखें तो यहां पर बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों को आंखों में जलन और खांसी की शिकायत होने लगी है. दिल्ली के साथ नोएडा में भी हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है. गुरुवार को पूरी राजधानी में धुंध छाई रही. आज भी ऐसे हालात हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार यह प्रदूषण करीब 25 सिगरेट पीने जैसा है. हवा में धूल के कण और खतरानक गैसों का मिश्रण इसे जहरीला बना देता है. इसकी वजह से कई बीमारियों को दावत मिलती है. इस दौरान पहले से पीड़ित लोगों के लिए समय चुनौतीपूर्ण हो जाता है. आइए जानते हैं कि प्रदूषण की वजह से किन बीमारियों का खतरा होता है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदूषण के कारण टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ता है. वायु प्रदूषण के कारण शरीर में इंफ्लामेशन का स्तर बढ़ने की वजह से रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है. इसका बुरा प्रभाव ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाले इंसुलिन को कमजोर करता है. शोध में सामने आया है कि वायु प्रदूषण को आंतों के लिए भी गंभीर माना जाता है. यह डायबिटीज को बढ़ाने वाला है. वायु प्रदूषण का असर दिल पर भी पड़ता है. शोध में सामने आया कि लंबे समय तक खराब हवा होने के कारण राजधानी में हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ सकता है. हवा का पीएम 2.5 दिल की धड़कनों को बढ़ाने का काम करती है. कार्डियक इस्किमिया जैसी समस्या बढ़ सकती है. हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण (पीएम 2.5) ब्रोंकाइटिस एक खास तरह की सूजन होती है. इससे आपके फेफड़ों में जाने वाले वायुमार्ग में रुकावट आती है. इससे वायुमार्ग (ट्रेकिया और ब्रॉन्काई) में जलन महसूस होती है. ऐसे में बलगम भर जाता है. इसकी वजह से पीड़ित को खांसी होती है. सांस नली में अंदर तक प्रवेश कर जाते हैं. इससे फेफड़ों को नुकसान होता है. ऐसे में आंख, नाक, गले और फेफड़ों में जलन मचती है. इसके साथ खांसी, छींक जैसी समस्या भी सामने आती है. प्रदूषण से स्थिति बिगड़ सकती है. लोग अस्थमा के शिकार हो सकते हैं. प्रदूषित हवा में सांस लेने से अस्थामा की समस्या बढ़ सकती है. वायु प्रदूषण फेफड़ों का कैंसर, मेसोथेलियोमा, मुंह और गले का कैंसर कर सकता है. फेफड़ों के रोगों की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है.