नई दिल्ली – ट्रिकल अप ने सरकारी विभागों, नागरिक समाज, कॉर्पोरेट जगत और विकास साझेदारों के सहयोग से इंडिया हैबिटेट सेंटर,नई दिल्ली में आर्थिक समावेशन और लचीलापन के नए मार्ग विषय पर एक राष्ट्रीय संवाद का आयोजन किया। इस संवाद में वरिष्ठ नीति-निर्माताओं, विकास क्षेत्र के विशेषज्ञों,दानदाता संस्थाओं, शिक्षाविदों और समुदाय प्रतिनिधियों ने भाग लिया और गहन चर्चा की। उद्देश्य था गरीबी उन्मूलन और व्यापक स्तर पर टिकाऊ आजीविका को बढ़ावा देने के लिए नवीन और समावेशी उपायों पर विचार-विमर्श। कार्यक्रम की शुरुआत ट्रिकल अप के एशिया क्षेत्रीय निदेशक सुषांत वर्मा के स्वागत संबोधन से हुई। इसके बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय (डे-एनआरएलएम), भारत सरकार की संयुक्त सचिव, श्रीमती स्मृति शरण ने मुख्य वक्तव्य दिया। उन्होंने समावेशन, नवाचार और बहु-आयामी साझेदारी के प्रति सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। श्रीमती शरण ने कहा,यह संवाद एक बेहद महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है। चरम गरीबी 16% से घटकर 2% रह गई है, जिससे करीब 17 करोड़ लोग अभाव से बाहर निकले हैं। मनरेगा के माध्यम से 3 अरब मानव-दिवस का रोजगार और संपत्तियां निर्मित हुईं, जिसने ग्रामीण भारत की लचीलापन क्षमता को मजबूत किया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 64,000 बस्तियों को हर मौसम में चलने योग्य सड़कों से जोड़ा गया है। यही है नए ग्रामीण भारत की तस्वीर जहां समावेशन का अर्थ है उद्यमिता और आत्मनिर्भरता, तथा लचीलापन भीतर से पैदा होता है। जैसा कि प्रोफेसर बनर्जी कहते हैं.उन्हें बस थोड़ी प्रेरणा की आवश्यकता है और हम ही वे प्रेरक, वे चेंजमेकर हैं,जो इस बदलाव को गति दे सकते हैं। इस कार्यक्रम की ताकत ही एक सशक्त और लचीले भारत के निर्माण का आधार बनेगी। दिनभर चले इस संवाद में प्रतिभागियों ने विभिन्न विचारोत्तेजक सत्रों में सक्रिय भागीदारी की। इनमें समावेशन, प्रभाव और विस्तार हेतु डिजाइनिंग पर पैनल चर्चा, साक्ष्यों को कहानियों में बदलने पर फायरसाइड चैट तथा बहु-हितधारक सहयोग में भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की पुनर्परिभाषा पर पैनल शामिल रहे। इन चर्चाओं में डिजिटल नवाचार, लैंगिक समानता और जलवायु लचीलेपन के आपसी संबंधों को उजागर किया गया, साथ ही इस बात पर भी विमर्श हुआ कि विभिन्न हितधारक किस प्रकार मिलकर बड़े पैमाने पर ठोस परिणाम सुनिश्चित कर सकते हैं। संवाद का सबसे प्रभावशाली क्षण तब आया जब झारखंड और ओडिशा से आई स्मार्ट सखियों और कोचेस ने अपने अनुभव साझा किए। उनकी सशक्त आवाज़ों ने चर्चा को ज़मीनी हकीकत से जोड़ा और यह स्पष्ट संदेश दिया कि गरीबी व बहिष्करण से निपटने के लिए किन उपायों ने असर डाला है और किन क्षेत्रों में सुधार आवश्यक है।ट्रिकल अप के एशिया क्षेत्रीय निदेशक सुषांत वर्मा ने कहा,हमारा मानना है कि सबसे सशक्त समाधान तभी संभव हैं जब समुदाय स्वयं डिजाइन प्रक्रिया के केंद्र में हों। यह संवाद चरम गरीबी में जी रहे परिवारों और महिलाओं के लिए स्थायी आजीविका के रास्ते बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम का समापन एक सामूहिक सत्र से हुआ, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने दिनभर की सीखों पर विचार साझा किए और भविष्य के सहयोग के लिए ठोस सुझाव दिए।सुषांत वर्मा ने आगे जोड़ा,हम ऐसी साझेदारियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो बड़े पैमाने पर समावेशी और जलवायु-लचीली आजीविका समाधान उपलब्ध करा सकें। इस संवाद ने एक बार फिर यह रेखांकित किया कि विकास रणनीतियों में लैंगिक समानता, डिजिटल समावेशन और जलवायु लचीलापन को एकीकृत करने के लिए बहु-क्षेत्रीय सहयोग अनिवार्य है, ताकि सबसे वंचित और हाशिए पर रहने वाले समुदाय पीछे न रह जाएं।