जालंधर – पंजाब की थाली मक्की दी रोटी, सरसों दा साग और ऊपर से भरपूर मक्खन के बिना अधूरी मानी जाती है। लेकिन वर्ल्ड हार्ट डे के मौके पर डॉक्टर चेतावनी दे रहे हैं कि यही “सफेद खाद्य पदार्थ” पंजाब की दिल की सेहत को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा रहे हैं।मक्खन, क्रीम, पनीर के साथ-साथ सफेद ब्रेड, मैदा, चावल, चीनी और आलू ये सब पंजाब के खाने का अहम हिस्सा हैं। पर विशेषज्ञ बताते हैं कि जब इनका सेवन ज़्यादा मात्रा में होता है तो ये मोटापा, डायबिटीज़ और हाई कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं, जिससे दिल की बीमारी का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। डॉ. अमित जैन, डीएम कार्डियोलॉजी, पनेशिया अस्पताल जालंधर ने कहा,सफेद खाद्य पदार्थ देखने में निर्दोष लगते हैं, लेकिन ये दिल के लिए छुपे हुए खतरे हैं। पंजाब में जहां भोजन अक्सर मक्खन और डेयरी पर आधारित होता है, वहां जीवनशैली संबंधी बीमारियां तेज़ी से बढ़ रही हैं। मक्खन जैसी प्राकृतिक चीज़ भी अगर ज़्यादा खाई जाए तो नुकसानदायक बन जाती है। संतुलन और संयम ही असली सुरक्षा है। पंजाब पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और दिल के दौरे के मामलों में देश में सबसे ऊपर है। अब युवा भी इस खतरे से अछूते नहीं हैं। शहरी परिवारों में कसरत की कमी, जंक फूड और शक्कर वाले पेय के बढ़ते सेवन के साथ पारंपरिक भारी भोजन का असर दिल की बीमारियों को और तेज़ कर रहा है।विशेषज्ञ कहते हैं कि बदलाव का मतलब परंपरा छोड़ना नहीं है। मैदे की जगह गेहूं का आटा, सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस, चाय में चीनी कम करना, या रोटी पर मक्खन की परत थोड़ी पतली करना ये छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं। सरसों जैसे हेल्दी तेल और फल-सब्ज़ियों की मात्रा बढ़ाना भी बेहद फायदेमंद है। डॉ. जैन ने आगे कहा,दिल की बीमारी अचानक नहीं होती, यह धीरे-धीरे सालों की गलत डाइट और सुस्त जीवनशैली से बनती है। हर निवाला मायने रखता है। अगर पंजाब अपनी अगली पीढ़ी को स्वस्थ देखना चाहता है, तो उसे इन सफेद खाद्य पदार्थों के साथ अपने रिश्ते को दोबारा सोचना होगा। त्यौहारों के मौसम में विशेषज्ञ अपील कर रहे हैं कि परिवार छोटे-छोटे बदलावों से अपनी रसोई और जीवनशैली में संतुलन लाएं। रोज़ाना 30 मिनट तेज़ चलना, मक्खन का सेवन सीमित करना और थाली में रंग-बिरंगे स्वस्थ व्यंजन जोड़ना यही दिल की सेहत और खतरे के बीच अंतर तय कर सकता है।

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