नई दिल्ली – आज दोपहर 2 बजे, करवा चौथ के कठिन व्रत के बावजूद, रेवंता मल्टीस्टेट सीजीएचएस लिमिटेड की 300 महिलाओं ने 600 से ज़्यादा अन्य पीड़ित सदस्यों – कुल 900 से ज़्यादा प्रदर्शनकारियों – के साथ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। समूह ने सेक्टर 10 से द्वारका स्थित उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के कार्यालय तक मार्च निकाला और पिछले 11 वर्षों में सोसायटी के प्रमोटरों और पूर्व प्रबंधन द्वारा किए गए कथित अन्यायपूर्ण और भ्रष्ट आचरण के खिलाफ आवाज़ उठाई। एक प्रतिनिधिमंडल ने द्वारका के एसडीएम के समक्ष अपनी शिकायतें रखीं, जिन्होंने कानून के तहत हर संभव सहायता का वादा किया। प्रेस वार्ता के दौरान अपनी चिंताएँ व्यक्त करने वाले प्रमुख सदस्यों में श्रीमती गुरमीत कौर, डॉ. परनीता, श्रीमती मंजू, कैप्टन मोहिंदर, राजेंद्र वत्स, डॉ. परमिंदर सिंह, अनूप कुमार और एसके नियाज़ शामिल थे।मार्च की मुख्य माँग सोसाइटी की ज़मीन की नीलामी के एकपक्षीय आदेश को रोकना था। यह ज़मीन 4,140 प्रभावित सदस्यों के लिए है, जो अपनी धनराशि वापस पाने के बजाय फ्लैट चाहते हैं।यह सामूहिक माँग बढ़ती संख्या में सदस्यों द्वारा औपचारिक रूप से प्रस्तुत की गई है, जिनमें 980 सदस्यों ने स्पीड पोस्ट के ज़रिए और 1,316 सदस्यों ने एसडीएम कार्यालय को ईमेल के ज़रिए अनुरोध भेजे हैं। इस निरंतर माँग में दिल्ली, अन्य भारतीय राज्यों और विदेशों में रहने वाले पीड़ित सदस्य शामिल हैं।1. रेवांता मल्टीस्टेट सीजीएचएस लिमिटेड में व्याप्त घोर आर्थिक अनियमितताओं और प्रमोटरों के अन्यायपूर्ण रवैये के कारण 11 वर्षों से मानसिक प्रतारणा झेल रहे सोसाइटी के 4140 सदस्य अपने लिए रिहायशी फ़्लैट की आशा में सोसाइटी में जीवन भर की गाढ़ी कमाई और जमा-पूंजी लगाने के बाद निराशा के अंधकार में पहुँच गए हैं।2. ई.ओ.डब्ल्यू की एफ़आईआर नं. 292/19 दिनांक 26.12.2019 (जिसकी चार्जशीट द्वारका कोर्ट में प्रस्तुत हो चुकी है) के अनुसार प्रमोटरों ने पहले तो सदस्यों की गाढ़ी कमाई के लगभग 400 करोड़ रुपये ग़बन कर लिए, उसके बाद सोसाइटी में योजनाबद्व तरीके से कानूनों का उल्लंघन किया और सोसाइटी को डिफ़ंक्ट स्थिति में पहुंचाकर लिक्विडेट करना चाहते थे; जिसकी चर्चा पिछली मैनेजमेण्ट अपनी तमाम ऑन-लाइन मीटिंगों में करती रही है।3. इन कुव्यवस्थाओं से उपजी निराशा के फलस्वरूप, अपनी जमा-पूंजा को सुरक्षित करने के लिए कुछ सदस्य अपने पैसे के रिफ़ण्ड की मांग लेकर रेरा कोर्ट में चले गए। प्रमोटरों की प्रॉक्सी पिछली मैनेजमेण्ट ने किसी भी कोर्ट के किसी भी केस में सोसाइटी का पक्ष कभी नहीं रखा और सोसाइटी की वास्तविक स्थिति एवं बाई-लॉज़ से अवगत नहीं कराया। फलस्वरूप कोर्ट ने सोसाइटी की चल और अचल (जमीन) सम्पत्ति की नीलामी के एक्स-पार्टी आदेश दे दिए। यह एक्स-पार्टी आदेश 4140 सदस्यों के हितों के साथ अन्याय है।4. पीड़ित सदस्य अपनी परेशानी को जिलाधिकारी-साउथ-वेस्ट, उप-जिलाधिकारी- कापसहेड़ा, जिलाधिकारी-उत्तर, उप-जिलाधिकारी-अलीपुर तहसील, उप-जिलाधिकारी-द्वारका तहसील एवं उप-जिलाधिकारी-नजफ़गढ़ के समक्ष ईमेल तथा स्पीड-पोस्ट द्वारा व्यक्त कर चुके हैं और आज व्यक्तिगत रूप से शान्तिपूर्ण प्रदर्शन के द्वारा अपनी शिकायत करना चाहते हैं कि (A) कोर्ट के द्वारा रिफण्ड मांगने वाले सदस्यों से हमारा कोई विरोध नहीं है, लेकिन साथ ही हम अपना हक भी सुरक्षित करना चाहते हैं। (B) कोर्ट के आदेश के अनुसार 17 मेम्बरों की जमीन बेचने के बाद एक मेम्बर को ब्याज समेत राशि वापसी हो सकेगी। इस तरह 4140 मेम्बरों की जमीन बेचकर मात्र 256 मेम्बरों के पैसे वापस हो सकेंगे। कोर्ट केस करने वाले एक सदस्य के लिए 17 सदस्यों का हक़ नहीं मारना चाहिए।(C) कोर्ट केस करने वाले सदस्यों में अभी तक सिर्फ़ जमीन की कीमत जमा की है, बल्कि कुछ सदस्यों ने तो जमीन की कीमत भी पूरी जमा नहीं की है।
(D) सोसाइटी एक्ट 2002 व 2023 के एमण्डमेण्ट तथा सोसाइटी के संविधान में कहीं भी पैसा वापसी करने का प्रावधान नहीं है अपितु केवल मेम्बरशिप ही ट्रान्सफ़र की जा सकती है।(E) हम अधिकारियों से उन निर्दोष सदस्यों के हितों की रक्षा करने का आग्रह करते हैं जिन्हें आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया गया है। हम आपसे अपील करते हैं कि कानूनी कार्रवाई शुरू करने वाले 92 सदस्यों की धन वापसी की माँग को पूरा करने के लिए उनकी ज़मीन नीलाम करके इन सदस्यों की आर्थिक नींव को नष्ट न करें। उनकी मेहनत की कमाई एक फ्लैट के लिए थी, न कि लिक्विडेशन के लिए।(F) प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि उन प्रमोटरों से गबन की गई धनराशि की वसूली की जा सके जिन्होंने यह धन गबन किया है। हम विशेष रूप से ज़िम्मेदार व्यक्तियों के नाम बता रहे हैं: सत्येंद्र मान, प्रदीप सहरावत और सुभाष भूरिया। इस वित्तीय गड़बड़ी की जवाबदेही पीड़ितों पर नहीं, बल्कि अपराधियों पर होनी चाहिए।
