नई दिल्ली – लेखक तलारी आनंद महेश की पुस्तक ‘अनलॉकिंग द विज़डम ऑफ द रामायण’ केवल अच्छाई की बुराई पर विजय के विषय तक सीमित नहीं है। यह पुस्तक रामायण की उन कहानियों और पात्रों की खोज करती है जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ किया गया है। इसमें राजा कुशनाभ, निषाद गुहा, राजा सुग्रीव, वाली, तारा, शूर्पणखा और यहाँ तक कि रावण के सारथी के दृष्टिकोण शामिल हैं। यह पुस्तक पाठकों को धर्म और स्व-सहायता के तत्वों को मिलाकर नए विचार प्रदान करने का प्रयास करती है। वाल्मीकि की महाकाव्यात्मक रचना के अनुवाद पर आधारित यह पुस्तक रचनात्मक कथा शैली के साथ रूपांतरित की गई है। इसमें नेताओं, छात्रों, परिवारों और पेशेवरों के लिए आवश्यक जीवन शिक्षाएँ निकाली गई हैं। यह पुस्तक वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी प्रासंगिक होगी, क्योंकि इनमें से कई ने पूरी रामायण नहीं पढ़ी है और संभवतः भविष्य में भी पढ़ने का प्रयास नहीं करेंगे। इसी कारण, यह पुस्तक गूढ़ शिक्षाओं को सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत करती है, ताकि इतिहास एक जीवंत मार्गदर्शक बन सके। यह छायाओं और उपकथाओं से भी जीवन-शिक्षाएँ निकालती है और यह दृष्टिकोण देती है कि हर पात्र में ज्ञान छिपा है। आधुनिक और वैश्विक दृष्टिकोण से इतिहास की व्याख्या करके, यह पुस्तक धर्म और भौगोलिक सीमाओं से परे जाकर आज की चुनौतियों और जटिलताओं के लिए सार्वभौमिक अंतर्दृष्टियाँ प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में कुल 40 अध्याय हैं जिनमें 39 अध्याय विभिन्न कहानियों पर आधारित हैं और अंतिम अध्याय सभी सीखों का सार प्रस्तुत करता है। यह भारत में फ़्लिपकार्ट और अमेज़न के अधिकांश वैश्विक प्लेटफ़ॉर्म्स पर पहले ही उपलब्ध हो चुकी है।तलारी आनंद महेश दो दशकों के अनुभव के साथ एक पुरस्कृत संचार विशेषज्ञ हैं। भारत की साहित्यिक धरोहर के प्रति उनका जुनून, जिसे योग, सत्संग और विचारकों से मुलाक़ातों ने आकार दिया है, उनके लेखन को प्रेरित करता है।