नई दिल्ली- कोटा से लगातार मेधावी बच्चों के अपनी जीवनलीला समाप्त करने की खबरें आती रहती हैं। परीक्षाओं में सफल होना या ना होना, इससे हताश-निराश होना किसी भी सूरत में सही नहीं माना जा सकता। विपरीत हालातों में लड़ने वाले ही जीवन में आगे बढ़ते हैं। दिल्ली- हरियाणा सीमा पर स्थित सेंट स्टीफंस कैम्ब्रिज स्कूल में ‘ निराशा को हरा दें ‘ विषय पर बच्चों, अध्यापकों और अभिभावकों के सामने बोलते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल ने कहा जीवन में निराशा का कोई मतलब नहीं है। किसी को भी आत्महत्या से बचाने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जो स्कूलों, परिवारों और समुदायों के बीच सहयोग को जोड़ता है। डॉ. विनय अग्रवाल ने कहा कि स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है। छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को आत्महत्या के संकेतों, जोखिम कारकों और मदद कैसे लें, इसके बारे में शिक्षित करना चाहिए। इसमें आत्महत्या की रोकथाम पर कार्यशालाएँ, सेमिनार और कक्षा में चर्चाएँ शामिल हो सकती हैं। सेंट स्टीफंस कैम्ब्रिज स्कूल को वही दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी चलाती है, जिसने देश के चोटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज की स्थापना की थी।प्रख्यात शिक्षाविद्द और डीबीएस के प्रबंधक ब्रदर सोलोमन जॉर्ज ने इस मौके पर कहा कि हम अपने स्कूल में परामर्शदाताओं, मनोवैज्ञानिकों तथा अन्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों को लगातार आमंत्रित करते रहेंगे। ये अनुभवी पेशेवर छात्रों से बात करेंगे। ये जोखिम का आकलन कर सकते हैं और आवश्यक उपचार की सिफारिश कर सकते हैं।सेमिनार में आए अन्य विद्वानों ने कहा कि स्कूलों में बुलिंग, भेदभाव और उत्पीड़न को रोकना महत्वपूर्ण है क्योंकि ये आत्महत्या के जोखिम कारक हो सकते हैं। इसके साथ ही, शिक्षकों को छात्रों में आत्महत्या के संकेतों की पहचान करने और उन छात्रों को उचित सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए जिन्हें सहायता की आवश्यकता है। सेमिनार के दौरान एक यह राय भी बनी कि पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ संवाद बनाए रखना चाहिए, ताकि वे अपनी भावनाओं और चिंताओं को साझा करने के लिए सहज महसूस करें।