लखनऊ- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें पाकिस्तान का समर्थक और जिन्ना का उपासकै करार दिया। योगी ने किसी का नाम लिए बिना एक ट्वीट में कहा वे जिन्ना के उपासक हैं, हम सरदार पटेल के पुजारी हैं। उनको पाकिस्तान प्यारा है, हम मां भारती पर जान न्योछावर करते हैं।
मुख्यमंत्री का इशारा सपा प्रमुख के पाकिस्तान संबंधी बयान और उस टिप्पणी की ओर था जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल मोहम्मद अली जिन्ना की सराहना करते हुए कहा था कि उन्होंने आजादी की लड़ाई में योगदान दिया था। गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक अखबार को दिए गए साक्षात्कार में कहा था कि भारत का असल दुश्मन चीन है, पाकिस्तान तो राजनीतिक दुश्मन है और भाजपा वोट बैंक की राजनीति के लिए सिर्फ पाकिस्तान पर ही निशाना साधती है।
उन्होंने पिछले वर्ष हरदोई में एक सभा में आजादी की लड़ाई में सरदार वल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के योगदान की चर्चा करते हुए जिन्ना की भी सराहना की थी। मुद्दे पर एक दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अखिलेश पर निशाना साधते हुए एक ट्वीट में कहा था, उत्तर प्रदेश के चुनाव में पाकिस्तान के निर्माता जिन्ना का नाम क्यों लिया जा रहा है।
अगर राजनीति करनी है तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में जिन्ना का नाम नहीं लिया जाना चाहिए, बल्कि किसानों के गन्ना का नाम लिया जाना चाहिए। योगी ने एक अन्य ट्वीट में आरोप लगाया, वे थे (जब सत्ता में) तो राम भक्तों पर गोलियां चलीं, शिव भक्त कांवडय़िों की यात्राएं रद्द हुईं, सैफई महोत्सव के कारनामे हुए। इसी ट्वीट में उन्होंने यह भी कहा, हम हैं तो श्री रामलला विराजमान का स्वप्न साकार हुआ।
शिवभक्त कांवडय़िों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा हुई। दीपोत्सव, रंगोत्सव उत्तर प्रदेश की पहचान बने। मुख्यमंत्री इस ट्वीट के जरिए समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में अयोध्या में कारसेवकों पर हुई पुलिस की गोलीबारी का जिक्र कर रहे थे। योगी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि यह चुनाव 80 बनाम 20 का है और 80 प्रतिशत मतदाता भाजपा के साथ हैं।
इससे पहले योगी ने अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव को अब्बा जान कहते हुए तंज किया था, जब पेंशन रोकी गई तो उनके अब्बा जान मुख्यमंत्री थे और जब वह खुद (अखिलेश) मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के बारे में नहीं सोचा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख जैसे-जैसे करीब आएगी, ध्रुवीकरण की दिशा में नेताओं की भाषा और तेज होगी।