-नेता विपक्ष ने प्रदूषण की अपात स्थिति में की उत्तरी निगम के सदन की बैठक की मांग

परफैक्ट न्यूज ब्यूरो/नई दिल्ली
राजधानी में प्रदूषण की आपात स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने की ओर बढ़ रही है। ऐसे में उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) में विपक्ष के नेता सुरजीत सिंह पंवार ने प्रदूषण पर उत्तरी निगम के सदन की विशेष बैठक बुलाने की मांग की है। उन्होंने उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सत्तारूढ़ भाजपा पर दिल्ली में बढ़ रहे वायु प्रदूषण के खिलाफ समुचित कदम नहीं उठाने का आरोप भी लगया। उन्होंने कहा कि निगम द्वारा प्रदूषण के विरुद्ध कार्रवाई करने के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है। पंवार ने कहा कि केवल कूड़ा जलाने वालों के खिलाफ, निर्माण कार्यों में गतिविधियों के लिये तथा सड़क पर बिल्डिंग मेटेरियल डालने के विरुद्ध जो चालान किये है वे “ऊँट के मूंह में जीरे के समान’’ है।
सुरजीत सिंह पंवार ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में 104 वार्ड हैं। हर वार्ड में लगभग 50-100 मकानों का निर्माण कार्य होना आम बात है। यही आलम सड़क पर बिल्डिंग मेटेरियल डालने वालों का हैं, प्रत्येक वार्ड में बिल्डिंग मेटेरियल की 15-20 दुकानें होना आम बात है। जिनका सामान बाहर खुले में पड़ा रहता है। इसी प्रकार निगम के पार्कों में कूड़ा जलाने की तथा दुकानदारों द्वारा और सफाई कर्मियों द्वारा कूड़ा इकट्ठा करके जलाने की घटनाएं आम हैं। यदि सही मायने में प्रदूषण पर कार्रवाई की जाये तो चालानों की संख्या हजारों में होनी चाहिये जिससे न केवल प्रदूषण कम करने में सहायता मिलेगी बल्कि निगम के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
एनडीएमसी में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के प्रयासों की वजह से राजधानी में प्रदूषण में 25 प्रतिशत तक की कमी हुई है। दूसरी ओर नगर निगम में सत्तारूढ़ भाजपा भलस्वा लैंडफिल साईट पर आग लगने तथा कूड़ा व धूल उड़न से रोकने के उपाय करने में नाकाम साबित हुई है। उन्हांने भी कहा कि नगर निगम द्वारा नालों से निकाली गई हजारों टन गाद उठाई नहीं गई। यह गाद भी धूल बनकर हवा में मिल रही है। जगह-जगह कूड़ें के अंबार लगे हुए है जिसको निगम द्वारा न उठाने से उनमें आग लगी हुई है।
नेता विपक्ष सुरजीत सिंह पवार ने कहा कि भाजपा सांसद ऑड-ईवन के खिलाफ नियमों को तोड़ते हुये दिखाई देते हैं। वहीं निगम में सत्ता में बैठी भाजपा के नेता प्रदूषण घटाने के कारगर उपाय करने के बजाय दिल्ली सरकार के सही कामों में खामियां खोजने में जुटे हैं। उन्होंने एक बार फिर मांग की कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सदन की बैठक बुलाकर चर्चा की जानी चाहिए और इस मामले में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।