नई दिल्ली – आर्थिक प्रतिस्पर्धा के माहौल का निर्माण करना और सतत् विकास हासिल करना दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं का प्राथमिक उद्देश्य है। विशेष रूप से वैश्विक वित्तीय संकट के बाद, आर्थिक विकास के प्रमुख कारकों में से एक स्टार्टअप की इसमें अहम भूमिका रही है। भारत ने भी एक डायनैमिक स्टार्टअप सिस्‍टम के निर्माण के माध्यम से अपनी भविष्य की विकास कहानी को आगे बढ़ाया है। स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के लॉन्च के 9 साल बाद, भारत में अब 1,57,000 से ज़्यादा स्टार्टअप हैं। जबकि 2014 में 400 स्टार्टअप ही थे। ये 1.7 मिलियन से ज़्यादा भारतीयों के लिए रोज़गार पैदा कर रहे हैं। हर दो में से एक स्टार्टअप टियर 2 और टियर 3 शहरों से है। इस बीच स्टार्टअप के लिए होने वाली फंडिंग वर्ष 2016 के 8 अरब अमरीकी डॉलर से कई गुना बढ़कर साल 2024 में 155 अरब अमरीकी डॉलर पर पहुंच गई है। नतीजतन, इस अवधि के दौरान यूनिकॉर्न की संख्या 8 से बढ़कर 118 हो गई। खासतौर पर डिजिटल अर्थव्यवस्था में अब हमारे पास 31,000 से ज़्यादा टेक स्टार्टअप हैं। स्टार्टअप इकोसिस्टम की इस जबरदस्त ग्रोथ के साथ, भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। यह किसी भी मापदंड से एक असाधारण उपलब्धि है और दुनिया के लिए एक केस स्टडी है। हालांकि, संख्याओं की तह तक जाना असामान्य बात नहीं है, लेकिन एक सेकेंड टाइम आंत्रप्रेन्योर के रूप में मैंने इस व्यापक बदलाव के केंद्र में उद्यमिता और स्टार्टअप की अहम भूमिका को देखा है। इस महान उपलब्धि को देखते हुए, सरकार द्वारा देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास के लिए किए गए चरणगत प्रयास और आगे इससे जुड़ी संभावनाओं पर एक नजर डालना जरूरी है। सुधारों की पहली लहर 2016 में स्टार्टअप इंडिया पहल के शुभारंभ के साथ शुरू हुई और 2019 तक चली। इस लहर का उद्देश्य उद्यमी बनने और स्टार्टअप शुरू करने में आने वाली बाधाओं को कम करना था। स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान में प्रक्रिया को आसान बनाना, फंडिंग सहायता और उद्योग-अकादमिक भागीदारी पर केंद्रित 19 ऐक्शन आइटम शामिल थे। इस क्षेत्र को कर छूट और भारत में स्टार्टअप की परिभाषा में संशोधन से बहुत लाभ हुआ। अटल इनोवेशन मिशन ने उद्यमशीलता और नवाचार का प्रसार किया और अपना उद्यम शुरू करने, शून्य से व्यवसाय खड़ा करने और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में योगदान देने के विचार को मुख्यधारा से जोड़ा। इस चरण के दौरान, सरकार ने कॉर्पोरेट कर को तर्कसंगत बनाने, स्टार्टअप और एमएसएमई की संशोधित परिभाषा, दिवाला और दिवालियापन संहिता और जेएएम (जन धन, आधार और मोबाइल) ट्रिनिटी के माध्यम से डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण और यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस जैसे महत्वपूर्ण डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के निर्माण जैसे ढ़ाचागत सुधारों पर फोकस किया, जिससे डिजिटलीकरण और आम जनता तक टेक्नोलॉजी की पहुंच के माध्यम से विकास को तेजी मिली। डिजिटल भुगतान का लीडर यूपीआई, नए कारोबारी मॉडल को मजबूत करने और वैल्यू अनलॉक करने में, दुनिया के 8वें आश्चर्य से कम नहीं है। जिस तरह से पारंपरिक बुनियादी ढांचा अतीत में व्यवसाय जमाने के लिए महत्वपूर्ण था, उसी तरह इन नए सुधारों और डिजिटल बुनियादी ढांचे ने वह आधार बनाया जिसके आधार पर भारत में नए और अनूठे तकनीकी स्टार्टअप बहुत तेज़ी से उभरे। सरकार ने जल्दी ही पूंजी की ज़रूरत को महसूस किया और इसलिए, इस मांग को पूरा करने के लिए फंड ऑफ़ फंड फ़ॉर स्टार्टअप्स (एफएफएस) लॉन्च किया। विंज़ो भी जेएएम ट्रिनिटी और स्टार्टअप्स के लिए सरकार के सपोर्ट का लाभ उठाते हुए सुधारों की इस पहली लहर की नींव पर बनाया गया है। स्टार्टअप्स इकोसिस्टम में सुधार की दूसरी लहर वर्ष 2020 में शुरू हुई और वर्ष 2023 तक चली। यह कोविड-संचालित डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास का समय भी था, क्योंकि भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं तेज़ी से नई वास्तविकताओं से दो-चार हो रही थीं। ओपन एपीआई और डीपीआई के भारत स्टैक ने नए और स्केलेबल बिजनेस मॉडल में नवाचारों की नींव रखी और अनुपालन के बोझ को कम किया। अप्रैल 2020 में शुरू की गई परफॉर्मेंस से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना, सभी क्षेत्रों और विशेष रूप से मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग, ने डिजिटल अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप के लिए एक बड़ा प्रभावी असर डाला। नए जमाने के कारोबार के मजबूत बुनियादी ढांचे पर आधारित होने के कारण वेंचर कैपिटल फंडिंग को आकर्षित करने वाले स्टार्टअप और स्टार्टअप की संख्या में नाटकीय रूप से बढ़त हुई है। भारत ग्लोबल एफडीआई गतिविधियों का केंद्र बन गया और ग्लोबल वैल्यू चेन (जीवीसी) में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन कर उभरा। स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) ने भारतीय स्टार्टअप को निष्पादन चरण में तेजी से आगे बढ़ने के लिए पूंजी प्रदान की। इस अवधि के दौरान भारत में ऑनलाइन गेमिंग का तेजी से विस्तार हुआ। जैसे-जैसे भारतीयों ने सस्ते उपकरणों और मोबाइल डेटा के ज़रिए भारतीय भाषाओं में गेमिंग कंटेंट तक पहुंच बनाई, भारतीय गेमिंग बाज़ार की सफलता एक केस स्टडी बन गई। ग्लोबल गेमिंग यूजर बेस और गेमिंग ऐप डाउनलोड में भारत का योगदान करीब 20% रहा। अकेले 2021 में, इस सेक्टर को 1.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का एफडीआई प्राप्त हुआ। इन दो लहरों में स्टार्टअप पर ध्यान केंद्रित करने वाले ढ़ांचागत और जरूरी सुधारों ने शानदार सफलता की कहानियां लिखी। यह 2021 में नाज़ारा टेक द्वारा पेश भारत के पहले गेमिंग आईपीओ के साथ और स्पष्ट होता है जिसने इस क्षेत्र के कई अन्य उद्यमियों को प्रेरित किया।

Leave a Reply