नई दिल्ली – भारत में हर साल दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है,जो किसान समुदायों और कृषि क्षेत्र के सम्मान का प्रतीक है। यह क्षेत्र देश की लगभग आधी आबादी का सहारा है और ग्रामीण आजीविका व अर्थव्यवस्था की आधारशिला है। हालांकि, कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन, पानी की बढ़ती कमी और संरचनात्मक चुनौतियों का दबाव लगातार बढ़ रहा है, जिससे उत्पादकता और किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत के कुल कृषि क्षेत्र का केवल लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा ही सिंचित है, जबकि लगभग आधी खेती अब भी अनिश्चित होती जा रही मानसूनी बारिश पर निर्भर है। इसके साथ ही सूखा, अनियमित वर्षा और बाढ़ जैसी स्थितियाँ फसल जोखिम और नुकसान को बढ़ा रही हैं, जिसका सबसे अधिक असर छोटे और सीमांत किसानों पर पड़ रहा है। वहीं, असंतुलित कृषि आदानों के उपयोग और जल प्रबंधन की कमजोर पद्धतियों के कारण लगभग 30 प्रतिशत कृषि भूमि के खराब होने के संकेत मिल रहे हैं। इनमें से कुछ चुनौतियों पर व्यवस्थित तरीके से काम करने के लिए, पर्नोड रिकार्ड इंडिया फाउंडेशन ने अपने कार्यक्रम ‘प्रवाह’ के माध्यम से एकीकृत और दीर्घकालिक समाधानों पर जोर दिया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण, टिकाऊ खेती और ग्रामीण आजीविका को नई मजबूती देना है। ‘प्रवाह’, पर्नोड रिकार्ड इंडिया फाउंडेशन का एक साझा प्लेटफॉर्म है, जो सामाजिक बदलाव और सामुदायिक विकास की दिशा में कार्यरत है। यह मंच विभिन्न सामाजिक पहलों को एक सूत्र में पिरोकर जमीनी स्तर पर व्यापक और प्रभावी परिणाम सुनिश्चित करता है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, ‘प्रवाह’ ने पूरे भारत में 5 लाख से अधिक लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसका प्रमुख कार्यक्रम वॉटर, एग्रीकल्चर एंड लाइवलीहुड्स (WAL)है। यह जल सुरक्षा को जलवायु-अनुकूल खेती और आय के विविधीकरण के साथ जोड़ता है। वर्ष 2024-25 में, 14 ‘WAL’ कार्यक्रमों ने 8 राज्यों के 107 गांवों में 22,430 किसानों को समर्थन किया। साथ ही, 70 जल संचयन संरचनाओं के निर्माण से 631 मिलियन लीटर पानी जमा करने की अतिरिक्त क्षमता विकसित की गई। ‘प्रवाह’ स्थानीय और मिशन-आधारित एजेंसियों के साथ मिलकर ऐसे कार्यक्रम तैयार करता है जो भूजल की कमी, मिट्टी की गिरती गुणवत्ता और बाजार तक पहुंच जैसी खास चुनौतियों को ध्यान में रखकर किसानों की मदद करें और जमीनी स्तर पर असर दिखाएँ। पर्नोड रिकार्ड इंडिया के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (इंटीग्रेटेड ऑपरेशंस, सस्टेनेबिलिटी और रिस्पॉन्सिबिलिटी), श्री गगनदीप सेठी ने कहा,प्रवाह’ ग्रामीण भारत में सार्थक और स्थायी बदलाव लाने के हमारे संकल्प का प्रतिबिंब है। WAL के माध्यम से हम जल, कृषि और आजीविका की परस्पर जुड़ी चुनौतियों का समाधान करते हैं और सफल मॉडलों को अन्य क्षेत्रों में विस्तारित करने में मदद करते हैं। हमारी ‘सीएसआर चैंपियंस’ पहल कर्मचारियों की भागीदारी को बढ़ाती है, जिससे एक सक्षम और मजबूत समुदाय के निर्माण में सामूहिक जिम्मेदारी की भावना पैदा होती है।उत्तर भारत में, ‘WAL’ आधारित कार्यक्रम लक्षित पहलों के माध्यम से भूजल स्तर में गिरावट, मिट्टी के गिरते स्वास्थ्य और आय की अनिश्चितता जैसी समस्याओं का समाधान करते हैं। पंजाब में ‘कृषक क्रांति’ पर्यावरण-अनुकूल कृषि पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें जियो-टैग्ड सॉइल टेस्टिंग और सूक्ष्म-सिंचाई प्रणालियों जैसे हस्तक्षेप शामिल हैं, जो किसानों को लागत कम करने और संसाधनों के बेहतर उपयोग में मदद करते हैं। राजस्थान में ‘ग्राम उत्थान’ जलवायु-अनुकूल फसल चक्र और महिला उद्यमिता विकास को बढ़ावा देता है। उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में संचालित ‘ग्राम उत्कर्ष’ रिजेनरेटिव खेती और संस्थागत मजबूती पर केंद्रित है। 4,900 किसानों तक पहुंच बनाकर इस कार्यक्रम ने धान और गेहूं जैसी फसलों की पैदावार में 10% से अधिक की वृद्धि की है और 12 लाख रूपए से अधिक के टर्नओवर वाले एक ‘किसान उत्पादक संगठन’ की स्थापना में सहयोग किया है। इसके साथ ही, महिला-नेतृत्व वाले सूक्ष्म उद्यमों को भी बढ़ावा दिया गया है। उत्तर प्रदेश में एक अन्य पहल ‘सबला’ विशेष रूप से महिलाओं पर केंद्रित है, जो फसल विविधीकरण और कृषि-पारिस्थितिकी के माध्यम से किसानों की वार्षिक आय बढ़ाने और ग्रामीण उद्यमों को सशक्त बनाने का कार्य कर रही है।
