नई दिल्ली – भारत की राष्ट्रीय कला अकादमी, ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन नई दिल्ली में भव्य समारोह के साथ हुआ। यह आयोजन भारत की समृद्ध दृश्य-कला विरासत और समकालीन कला, दोनों का उत्सव था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत उपस्थित रहे। उनके साथ संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल, अतिरिक्त सचिव सुश्री अमिता प्रसाद सरभाई, ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष श्री नंदलाल ठाकुर और सचिव श्री राजीव कुमार उपस्थित रहे। इस वर्ष एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अकादमी ने घोषणा की कि पुरस्कार प्राप्त कृतियां बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगी। यह पहल कलाकारों को सीधा लाभ पहुंचाने और देश में कला संग्रह की संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में निर्याणक कदम है। यह निर्णय भारत सरकार के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य देशभर में कला प्रतिभाओं की पहचान, सहयोग और स्थिरता सुनिश्चित करना है। अपने संबोधन में भारत सरकार के माननीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा,यह प्रदर्शनी केवल कला प्रदर्शित करने का मंच नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक संगम है, जिसमें देशभर के उभरते और स्थापित कलाकारों की प्रतिभा एक साथ दिखाई देती है। इसमें समकालीन, पारंपरिक, लोक और जनजातीय कला का अद्भुत मेल है, जो भारतीय कला अभिव्यक्ति की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है।अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा यह जानकर प्रसन्नता है कि इस बार अकादमी ने कृतियों की बिक्री को प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह कलाकारों की आत्मनिर्भरता और हमारे रचनात्मक अर्थतंत्र को मजबूत करने में सहायक होगा। आज के समय में जब कला, संस्कृति और आर्थिक विकास आपस में जुड़ते जा रहे हैं, ऐसे प्रयास समयानुकूल और दूरदर्शी हैं। संबोधन के अंत में उन्होंने कहा,कला अब केवल दर्शक दीर्घाओं और संग्रहालयों तक सीमित नहीं रही, यह सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बन चुकी है। शिक्षा, पर्यटन, रोजगार और समावेशन, हर क्षेत्र में कला की भूमिका बढ़ती जा रही है। इसलिए कलाकारों को सशक्त बनाना और उनकी कला को नए अवसरों से जोड़ना हमारी सांस्कृतिक नीति का हिस्सा होना चाहिए, और मुझे खुशी है कि ललित कला अकादमी इसमें अग्रणी भूमिका निभा रही है। संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने कहा,64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी, देशभर से आई विभिन्न उत्कृष्ट कृतियों का संग्रह है। यह संगम न केवल भारतीय कला की विशालता और विविधता को दर्शाता है, बल्कि कलाकारों के बीच सार्थक संवाद के लिए भी मंच प्रदान करता है। अतिरिक्त सचिव सुश्री अमिता प्रसाद सरभाई ने कहा,यह प्रतिष्ठित प्रदर्शनी हमारे देश की रचनात्मक ऊर्जा का सशक्त प्रमाण है। यहां प्रदर्शित विविध और उत्कृष्ट कृतियां भारतीय कला की बदलती कहानी कहती हैं, जो अपनी गहरी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी हुई हैं। इस वर्ष 5,900 से अधिक प्रविष्टियों में से दो-स्तरीय जूरी प्रक्रिया के बाद 283 कृतियों का चयन किया गया है। इनमें पेंटिंग, मूर्तिकला, ग्राफिक्स, इंस्टॉलेशन, फोटोग्राफी और अन्य माध्यम शामिल हैं। समारोह में 20 ललित कला अकादमी पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया, साथ ही वरिष्ठ कलाकार श्री कृष्ण खन्ना, श्री राम वी. सुतार और श्रीमती इरा चौधरी को भारतीय कला एवं संस्कृति में उनके आजीवन योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया समारोह के दौरान दो महत्वपूर्ण प्रकाशन भी जारी किए गए: 64वीं NEA प्रदर्शनी कैटलॉग जिसमें प्रदर्शित कृतियों और कलाकारों का विवरण है। प्रिंटमेकर फॉर ऑल सीज़न्स, पद्मश्री श्याम शर्मा के जीवन और योगदान पर आधारित विशेष पुस्तक .प्रदर्शनी का उद्घाटन रवींद्र भवन में ललित कला अकादमी गैलरीज में रिबन कटिंग और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसके बाद गणमान्य व्यक्तियों ने प्रदर्शनी का दौरा किया । यह प्रदर्शनी आम जनता के लिए 6 अगस्त से 15 सितंबर 2025 तक, प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खुली रहेगी। इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को भारत की अपूर्व सांस्कृतिक और रचनात्मक विरासत और भविष्य को देखने का अवसर मिलेगा । ललित कला अकादमी के बारे में ललित कला अकादमी, भारत में कलाओं की सेवा करने वाला वह संस्थान है, जिसने दुनिया में भारतीय कला के महत्व को पहचाने जाने से बहुत पहले ही इसे संजोने और संवारने का काम किया है। अपने सदस्यों और टीम के नेतृत्व में, अकादमी ने उच्चतम स्तर की दृश्य कलाओं को स्थापित करने, संरक्षित करने और उनका दस्तावेज़ीकरण करने का संकल्प निभाया है। यह कार्य भारत की प्राचीन, आधुनिक और समकालीन कला की जीवंतता, जटिलता और बदलते स्वरूप को दर्शाता है।यह संस्था पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में एक सांस्कृतिक धागे की तरह फैली हुई है, जो देश की विविध संस्कृतियों को जोड़कर एक खूबसूरत कलात्मक बनावट तैयार करती है। इसमें रचनात्मक प्रतिभा के रंगीन धागे और शानदार डिज़ाइन शामिल हैं, जो भारतीय जीवन के रोचक पहलुओं को उजागर करते हैं। भारतीय संस्कृति को उसकी कलात्मक द्वंद्वों, विरोधाभासों और सीमाओं के साथ समग्र रूप से देखते हुए, अकादमी ने हमेशा हर प्रकार की रचनात्मकता को अपने कार्यक्रमों में शामिल करने का दृष्टिकोण अपनाया है। इसकी सोच केवल भारत की पारंपरिक कला को सहेजने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय कला जगत में हो रहे समकालीन बदलावों से भी जोड़ती है, ताकि वे वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना सकें। ललित कला अकादमी, नई दिल्ली की स्थापना भारत सरकार ने एक स्वायत्त संस्था के रूप में 5 अगस्त 1954 को की थी। वर्ष 1957 में इसे सोसाइटीज़ रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत सांविधिक दर्जा मिला। अपनी स्थापना से ही, अकादमी पूरे देश में कलाकारों की रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रही है और उनकी कला को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का काम कर रही है। इस तरह यह विजुअल आर्ट्स के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति की संवेदनशीलता को परिभाषित और पुनर्परिभाषित करने में अहम भूमिका निभा रही है।

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