कोरोना के बाद नई विश्व व्यवस्था की संभावना: मोदी

नई दिल्ली- 73वें गणतंत्र दिवस के मौके पर ब्रह्मकमल से सुसज्जित उत्तराखण्ड की टोपी और मणिपुर का पारंपरिक गमछा लें ज्ञान धारण कर सभी का ध्यान आकर्षित करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) की एक रैली में सिख पगड़ी पहनी। राजधानी के करियप्पा मैदान में आयोजित एनसीसी की रैली में प्रधानमंत्री ने हरे रंग की पगड़ी पहनी, जिसपर लाल रंग का पंख लगा था।

सिख कैडेट इस प्रकार की टोपी पहनते हैं।राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने पहुंचे मोदी ने उत्तराखंड और मणिपुर के पारंपरिक परिधानों के अभिन्न अंगों को धारण किया था। उन्होंने उत्तराखंड की टोपी और मणिपुर के लेंज्ञान को प्राथमिकता दी।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री जब भी केदारनाथ धाम जाते हैं, वह पूजा के लिए ब्रह्मकमल का ही उपयोग करते हैं। ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राजकीय फूल है।

ज्ञात हो कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री की पगडय़िां चर्चा का विषय रहती हैं। पिछले साल 72वें गणतंत्र दिवस पर मोदी ने गुजरात के जामनगर की विशेष टोपी पहनी थी जबकि स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने केसरी रंग का साफा पहना और इसका पिछला हिस्सा उनके गमछे के बॉर्डर के समान था। उन्होंने 71वें गणतंत्र दिवस पर भगवा रंग की बंधेज पगड़ी पहनी थी।

साल 2014 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर अपने पहले संबोधन के लिए वह गहरे लाल रंग का जोधपुरी बंधेज साफा बांधकर पहुंचे थे, जिसका पिछला हिस्सा हरा था। साल 2015 में उन्होंने बहुरंगी साफा बांधा था और 2016 में लहरिया गुलाबी और पीले रंग का साफा बांधा था। प्रधानमंत्री ने 2017 में गहरे लाल और पीले रंग के मिश्रण वाली पगड़ी पहनी थी जिसमें सुनहरे रंग की धारियां थी। 2018 में वह भगवा रंग का साफा बांधकर लाल किले पहुंचे थे।

ऐसे अवसरों पर प्रधानमंत्री का साफा या उनकी पगड़ी जहां आकर्षण का केंद्र रहते हैं वहीं इनमें एक संदेश भी निहित होते हैं।  उत्तराखंड और मणिपुर के साथ पंजाब में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। मणिपुर में दो चरणों में मतदान होना होना हैं वहीं उत्तराखंड और पंजाब में एक चरण में मतदान होगा।