नई दिल्ली-आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक विशेष रवि ने आरोप लगाया है कि भाजपा शासित एमसीडी बैक स्ट्रीट करोलबाग के स्कूल की 4115 वर्ग मीटर की जमीन पर अवैध पार्किंग और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने की तैयारी में है। उन्होंने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि 2019 में स्कूल को बंद किया फिर प्राइवेट माफिया के साथ मिलकर पार्किंग प्रोजेक्ट का प्लान बनाया।
डीडीए से लैंड यूज बदलवाने के बाद ही उस ज़मीन पर अन्य प्रोजेक्स शुरू हो सकता है लेकिन बिना लैंड यूज बदलवाए एमसीडी ने टेंडर शुरू किया। कोरोना से पहले उस स्कूल में लगभग 800 बच्चे पढ़ते थे, शिक्षकों की कमी बताकर एमसीडी ने बच्चों के नाम काट दिए। सरकारी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चे पढऩे जाते हैं, यदि इस प्रकार स्कूलों को बंद किया जाएगा तो वह कहां जाएंगे। वहीं, इस दौरान सम्मान एनजीओ के ट्रेजरर अशोक दत्ता ने कहा कि एमसीडी के स्कूल की कक्षाओं में बच्चे नहीं बल्कि गाडिय़ां पढ़ाई कर रही हैं, टेंडर से पहले ही वहां पार्किंग शुरू है।
स्कूल के अंदर तीन मंजिला कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा, इस अनुसार 700 गाडिय़ां तो कॉम्प्लेक्स की ही खड़ी हो जाएंगी। भगवती मार्केट के अध्यक्ष हरजीत सिंह ने कहा कि स्कूल के बाहर हमारी दुकानें हैं, नवंबर 2021 की सुबह एमसीडी ने सभी 45 दुकाने सील कर दी और हमें ऐसे स्थान पर जाने को कहा जहां किसी भी वक्त हादसा हो सकता है। कोरोना से हमारी हालत पहले ही खराब थी, एमसीडी के लालच ने आज हमसे रोटी भी छीन ली है, हम आत्मदाह को मजबूर हैं।
लगभग 500 गाडिय़ों की पार्किंग बनाने का इनका प्लान है। उसके टेंडर में उन्होंने तय कर रखा है कि ठेकेदार 300 गाडिय़ों के लिए पार्किंग की जगह बनाके देगा। जो बाकी 200 गाडिय़ां हैं, बची हुई जगह पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाने का प्लान है। कुछ दुकानों को बनाकर उन्हें बेचने का प्लान है। स्कूलों को खत्म कर के पार्किंग बनाना, सरासर निंदनीय है। जनता इसका विरोध कर रही है। आप जानते हैं कि करोलबाग में ज्यादातर गरीब लोग रहते हैं।
यदि स्कूल बंद हो गया तो वहां के आसपास के बच्चों को शिक्षा कहां से मिलेगी। इस जमीन के पास ही 2 क्लस्टर भी हैं, जहां गरीब परिवार रहते हैं, जिनके बच्चे यहां पढऩे आते थे लेकिन एमसीडी उनसे यह हक छीन रही है। बच्चों के राइट टू एजूकेशन का हनन हो रहा है। स्कूल के बंद होने से बच्चों को शिक्षा के लिए कहीं दूर जाना पड़ेगा। यदि सरकारी स्कूलों को इस प्रकार बंद करने का काम किया जाएगा तो इसका मतलब है कि एमसीडी प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। लेकिन इन गरीबों के पास प्राइवेट स्कूलों में पढऩे के लिए पैसे कहां से आएंगे। हम इसका विरोध करते हैं।