नई दिल्ली- देश के शिल्पकारों को एक पहचान देने के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) 23 फरवरी से कॉलेसेंस नामक तीन दिवसीय क्राफ्ट मेले का आयोजन कर रहा है। इस मेले का उद्घाटन केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी करेंगी। इस संबंध में आईसीसीआर के अध्यक्ष व सांसद डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने बताया कि 23 से 25 फरवरी तक चलने वाले इस शिल्प मेले में शिल्प-संस्कृति-समुदाय-जलवायु को दिखाया जाएगा। चांदनी बाग, बीकानेर हाउस में आयोजित किए जा रहे इस क्राफ्ट मेले में देश के 11 राज्यों से आए 22 शिल्पकारों अपने शिल्प कलाओं को दिखाएंगे। इसमें 5 भारतीय पारंपरिक रूप भी होंगे जिसमें शिल्प (बांस कला), कपड़ा, पारंपरिक और लोक कला, सौंदर्य सुगंधित व रिक्लाइड उत्पाद शामिल हैं। 3 दिनों तक चलने वाले इस मेले के दौरान इसमें भाग लेने वाले कारीगरों को 45-60 मिनट तक लोगों से बातचीत व अपने कौशल को दिखाने का समय दिया जाएगा। इस दौरान वह पता पाएंगे कि कैसे इनका निर्माण करते हैं। मेले में मध्य प्रदेश की गोंड कला की लेक-डेम, राजस्थान की लघु कला, दिल्ली से बांस कला, तेलंगाना से कलमकारी कला, उत्तर प्रदेश से मूंज घास की टोकरी, महाराष्ट्र से वार्ली कला, गुजरात से प्राकृतिक डाई-कपास को दिखाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लगातार नए नवाचार और प्रयासों से शिल्पकार अपने सर्वोत्तम कार्यों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इन उत्पादों का निर्माण गैर-प्रदूषणकारी तरीकों से प्राकृतिक और जैविक सामग्री की मदद से किया जा रहा है। सहस्रबुद्धे ने कहा कि यह मेला बताएगा कि कैसे भारत की शिल्प प्रथाएं भारत की सांस्कृतिक विरासत, स्थानीय आजीविका को बनाए रखते हुए और सहस्राब्दी विकास लक्ष्य को पूरा करते हुए प्रकृति की पारिस्थितिकी को संतुलित करने में मदद कर सकती हैं। यह कार्य स्वच्छ हवा, अच्छी मिट्टी, हरियाली, जंगल और पौधों, स्वच्छ जल और सभी तत्वों पर निर्भर करती है। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में पेड़, नदी, पहाड़, जंगल, पौधे और पशुओं को महत्व दिया जाता है। सभी को पवित्र माना जाता है और किसी न किसी देवता से जुड़ा होता है ताकि मनुष्य यह समझे कि उनके अस्तित्व के लिए उन्हें सम्मानित, संरक्षित और पोषित किया जाना चाहिए। यह इस शिल्प मेले में भाग लेने वाले सभी शिल्पकारों और कारीगरों के रचनात्मक कार्यों में सूक्ष्मता और दृढ़ता से सामने आता है।
