नई दिल्ली – उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के मंच पर ‘दास्तान-ए-लैला मजनूॅं’ का मंचन लोक कलाओ के संरक्षण एवं सवंर्धन की अग्रणी संस्था स्वर्ग रंगमण्डल की ओर से कमानी सभागार में किया गया। नौटंकी शैली में मंचित इस नाटक में कलाकारो ने अपने-अपने किरदारों में जब अरबी वेषभूषा के साथ मंच पर उतरे तो लैला मजनूॅं का दौर जीवन्त हो उठा। सेट डिज़ाइन बहुत ही उम्दा रहा तथा दृश्य निरूपण भव्य रहा जो दर्शकों को निरंतर लुभाता रहा।नौटंकी ‘दास्तान-ए-लैला मजनूॅं’ की जीवन्त एवं रसवन्त गायकी दर्शकों के अन्त:मन में रस घोलती रही और पारसी नाटकों के उर्दू जु़बान की चाशनी में पगे संवादों ने सभा बांध दिया। कलाकारों के बेहतरीन अभिनय ने दर्शकों की ख़ूब तालियॉं बटोरी। ‘दास्तान-ए-लैला मजनूॅं’ की इस शानदार प्रस्तुति का निर्देशन देश के प्रतिष्ठित, सुविख्यात एवं लोकप्रिय रंग निर्देशक एवं लोक कलाविद् अतुल यदुवंशी ने किया।मंच पर नट संदीप शुक्ला, नटी कविता यादव, मजन् सचिन केसरवानी, लैला शिवानी कश्यप, लैला की अम्मी प्रिया मिश्रा, शहर क़ाज़ी शिव कुमार ’सरस्वती’, शहज़ादा बख़्त एजाज़ खा़न एवं तबरेज़ आर्यन मोहिले ने यार भूमिकायें निभायीं। मंच पर सहायक भूमिकाओं में धीरज अग्रवाल, कृष्ण कुमार मौर्या, श्रद्धादेश पाण्डेय, सुजाता केशरी, अनन्या मोहिले और देवेन्द्र राजभर ने अपनी-अपनी भूमिकाओं से न्याय किया।मंच परे, हारमोनियम दिलीप कुमार गुलशन, ढ़ोलक मोहम्मद साजिद, नक्क़ारा नगीना, स्वर साधना उस्ताद यासीन नाज़ॉं, अलाप रोशन पाण्डे, कोरस प्रिया मिश्रा, शिवानी कश्यप, संदीप कुमार शुक्ला, मनोज कुमार ने किया। वस्त्र विन्यास शिल्पी यदुवंशी, रूपसज्जा मोहम्मद हमीद, प्रकाश संयोजन सुजॉय घोषाल का रहा। इस नौटंकी के लेखक लोक कला शिरोमणि राजकुमार श्रीवास्तव रहे। कार्यक्रम का संचालन सुश्री शशिप्रभा तिवारी ने किया।नौटंकी के कथानक और कलाकारों के पात्र परिचय के लिए प्रस्तुति का ब्रोशर आपके सूचनार्थ और सुलभ संदर्भ हेतु संलग है।