यह एक ज्ञात तथ्य है कि किसी राष्ट्र की समृद्धि और विकास काफ़ी हद तक उसकी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। एक मज़बूत शिक्षा प्रणाली का मतलब है पूरे देश के लिए एक उत्कृष्ट भविष्य। इसलिए, मानव पूंजी की वास्तविक क्षमता को अनलॉक करने के लिए इसे उच्च स्तर पर ले जाना महत्वपूर्ण है। यह समय की आवश्यकता है और एक सशक्त डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण के माध्यम से, इसे प्राप्त भी किया जा सकता है।

 

भारत सरकार ने इस मोर्चे पर शिक्षकों और छात्रों, दोनों की मदद करने के लिए कई पहल की हैं। उदाहरण के लिए, ‘दीक्षा’, जो कि एक ज्ञान-साझाकरण मंच है, एक बटन के क्लिक पर बहुभाषी शिक्षण सामग्री प्रदान करता है। वेब ऑथरिंग टूल शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण ई-सामग्री विकसित करने में सहायता कर, सक्षम बना रहे हैं। इसके अलावा, शिक्षक, ‘निष्ठा’ के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रहे हैं. ‘निष्ठां’ एक ऐसा कार्यक्रम है जो उनके कौशल को और बढ़ाता है और उन्हें सामयिक रखता है।

 

कोविड-19 महामारी के बीच शिक्षकों और छात्रों दोनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, ऑनलाइन शिक्षा नए सामान्य का हिस्सा बन गई है। यह महामारी की शुरुआत के बाद से शिक्षण और सीखने की निरंतरता सुनिश्चित कर, सोने बराबर मूल्यवान साबित हो रही है। श्रेष्ठ तकनीकी साधनों की उपस्थिति के कारण कक्षा शिक्षण से ऑनलाइन शिक्षण में परिवर्तन, सुगम हो गया। छात्रों तक सर्वोत्तम तरीके से शिक्षण सामग्री पहुंचाने के लिए, ऑनलाइन शैक्षिक मंचों में कई तरह के नए परिवर्तन हो रहे हैं और स्मार्टफोन का इको सिस्टम आजकल शिक्षकों को सशक्त करने के लिए एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

 

इसके अलावा, शिक्षा प्रणाली और शिक्षकों का प्रमुख उद्देश्य इस तरह से ज्ञान प्रदान करना है जो समाज के हर वर्ग के छात्रों के लिए उनके क्षेत्र, भाषा या वित्तीय स्थिति के बावजूद, समावेशी हो। इसलिए आधुनिक प्रौद्योगिकी, शिक्षण के बेहतर तरीक़े इजाद कर इस अंतर को पाट रही है। यहां पॉडकास्ट भी, शिक्षकों और छात्रों के बीच ज्ञान का पुल साबित हो सकते हैं.

 

पॉडकास्ट की भूमिका

 

शिक्षकों और प्रोफेसरों को अत्यधिक सुलभ शिक्षण उपकरणों से लैस करना, एक मज़बूत शिक्षा प्रणाली के निर्माण की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है। ग़ौरतलब है कि पॉडकास्ट इस क्षेत्र में अपनी दक्षता साबित कर रहे हैं। वे टीचर्स को बेहतरीन ऑडियो लेक्चर बनाने में सक्षम बनाते हैं जिन्हें छात्र अपनी पसंद के समय और स्थान के अनुसार देख सकते हैं। मौखिक रूप से प्रस्तुत सामग्री का आसानी से सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, छात्र शिक्षा से जुड़े पॉडकास्ट प्लैटफॉर्म्स की सदस्यता भी ले सकते हैं। कुछ शिक्षण संस्थान अब पॉडकास्टिंग को भी, शिक्षण और प्रशिक्षण की एक विधि के रूप में शामिल कर रहे हैं। यह शिक्षकों के घर से काम करने के अनुभव को बेहतर बनाता है, क्योंकि वे वीडियो पाठ तैयार करने में उपयोग किए जाने वाले मुश्किल और महंगे एडिटिंग सॉफ्टवेयर्स का उपयोग किए बिना ही, आराम से बेहतरीन ऑडियो लेसंस बना सकते हैं।

 

पॉडकास्ट, शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए बहुत उपयोगी हैं। उदाहरण के लिए, आज ग्रामीण भारत के बहुत सारे छात्र ऐसे हैं जो केवल अपनी मूल या क्षेत्रीय भाषा से परिचित हैं। इसलिए पॉडकास्ट, शिक्षकों को आसानी से उनकी स्थानीय या देशी भाषाओं में लेक्चर्स रिकॉर्ड करने में सक्षम बनाता है और वे छात्र जो देश के दूरदराज के इलाकों में रहते हैं, इन लेक्चर्स को उतनी ही आसानी से समझ सकते हैं। इस तरह, यह शिक्षकों को अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन करने में सक्षम बनाता है। इसलिए पॉडकास्ट में, शिक्षकों और छात्रों की विविध आबादी की ज़रूरतों को, समान रूप से पूरा करने की अद्भुत क्षमता है।

 

पॉडकास्ट्स की पोर्टेबिलिटी और उन्हें रिकॉर्ड कर पाने की सुविधा के कारण, शिक्षक उन्हें ऐसी आकर्षक और प्रभावशाली शैक्षिक सामग्री बनाने के साधन के रूप में उपयोग कर रहे हैं जो न केवल छात्रों की रुचि अनुसार हो बल्कि विषय सम्बंधित सभी कॉन्सेप्ट्स को भी स्पष्ट कर सके। इन पॉडकास्ट्स को स्मार्टफोन पर बहुत आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है, जिससे कठिन विषयों या टॉपिक्स को बार-बार सुनना सुलभ हो जाता है। इसके अलावा, पॉडकास्ट की लागत-प्रभावशीलता भी हमारे देश के ज़्यादातर छात्रों के लिए उपयुक्त है।

 

डिजिटल एजुकेशनल प्लैटफॉर्म्स और टेक स्टार्टअप्स की भूमिका

 

डिजिटल एजुकेशन प्लैटफॉर्म्स और एडटेक स्टार्टअप्स के उभार ने भारत में शिक्षकों के लिए एक मज़बूत शिक्षा प्रणाली तैयार करने की प्रक्रिया को और तेज़ कर दिया है। IBEF के अनुसार, भारत में ऑनलाइन शिक्षा बाज़ार के, 2021 में, 1.96 बिलियन अमरीकी डालर को छूने की उम्मीद है। यह आगे बताता है कि एडटेक कंपनियों की संख्या के मामले में भारत, विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है। 1400 में से 327 कंपनियां हमारे देश में स्थित हैं.

 

आज, बड़ी संख्या में एडटेक प्लैटफॉर्म्स काफी किफ़ायती और सुलभ हैं। वे बहुत ही सरलता से शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों की डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ा रहे हैं। कई एडटेक प्लैटफॉर्म्स, विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए सहज ई-कंटेंट प्रदान करते हैं जो शिक्षकों को इस क्षेत्र में और भी कुशल बना सकते हैं। इसके अलावा, छात्रों के सीखने के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए, ये स्टार्टअप्स और ई-लर्निंग प्लैटफॉर्म्स अलग अलग तरह के व्यापक कोर्सेज़ प्रदान करते हैं और इस दिशा में विश्वविद्यालयों और स्कूलों के साथ भी सहयोग कर रहे हैं। एडटेक प्लैटफॉर्म्स, शिक्षकों को लेसन प्लान बनाने के लंबे कार्य से राहत देकर, उनका क़ीमती समय भी बचाते हैं। यह उन्हें विषय अनुसार उपयुक्त लेसन प्लान्स तक, ऑनलाइन पहुंच प्रदान करते हैं. आजकल, यह ऑनलाइन ग्रेडिंग ऐप्लिकेशंस की मदद से, एक छात्र द्वारा की गई प्रगति के आंकलन को भी सरल बनाते हैं.

शिक्षकों के उपयोग के लिए शिक्षण तंत्र समय के साथ विकसित होते रहे हैं। आधुनिक युग की शिक्षा प्रणाली, जिसे डिजिटल प्रगति के साथ नया रूप दिया जा रहा है, किसी वरदान से कम नहीं है। छात्र पाठ्यक्रम को पूरी तरह से समझ पाएं व परीक्षा के लिए तैयार रहे, इसके लिए शिक्षक, अनुकूलित शिक्षण पद्धति को अपना सकते हैं. शिक्षक अब उच्च गुणवत्ता वाली, रोचक, इंटरैक्टिव और रोमांचक ई-लर्निंग सामग्री बना सकते हैं और उन्हें छात्रों के साथ साझा कर सकते हैं। इसके अलावा, दूरस्थ यानि रिमोट शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए, छात्रों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए, शिक्षकों द्वारा तैयार किए गए टॉपिक व विषयानुसार ऑनलाइन मॉडयूल्स आवश्यक उपकरण के रूप में उभर  रहे हैं। यदि भविष्य में शैक्षणिक संस्थान फिर से खुलते हैं, तो भी एडटेक द्वारा समर्थित ये उन्नत शिक्षण पद्धतियां अपनी भूमिका निभाती रहेंगी।

 

इसलिए शिक्षक, तेज़ी से बदलते शिक्षण परिवेश के साथ तालमेल बिठाने के लिए खुद को उसके अनुरूप ढाल रहे हैं। इसे डिजिटल ड्राइव, स्मार्टफोन की दूरगामी पहुंच और किफायती इंटरनेट की उपलब्धता से सुगम बनाया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार, शिक्षकों को और प्रबल करेगा और आने वाले समय में ज्ञान प्रदान करने की प्रक्रिया को बढ़ाएगा।