नई दिल्ली – पृथ्वी दिवस प्रत्येक वर्ष अप्रैल को पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त अर्थात पर्यावरण संरक्षण का समर्थन करने के लिए विश्व स्तर पर मनाया जाता है।इस अवसर पर बात करते हुए राजीव आचार्य जो कि उत्तर प्रदेश सरकार में जल विभाग में अधिकारी है उन्होंने बताया की पहली बार पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल 1970 को अमेरिका में मनाया गया था। प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला यह पृथ्वी दिवस, पृथ्वी और उसकी पर्यावरणीय समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस वर्ष पृथ्वी दिवस की थीम ‘‘प्लानेट बनाम प्लास्टिक’’ विषय पर आधारित है। जिसमें पृथ्वी पर होने वाले हानिकारक प्रभावों पर ध्यान केन्द्रित करना हमारी जिम्मेदारी है। लोगों को जागरूक करते हुए प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए वैश्विक संगठनों का ध्यान इस ओर केन्द्रित करना भी इस अर्थ डे का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।राजीव आचार्य कहते है की प्लास्टिक प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन आपस में एक दूसरे से जुडे हुए हैं। जलवायु परिवर्तन हमारी पृथ्वी को प्रभावित कर रहा है और प्लास्टिक जलवायु को हानि पहुचा रहा है। इसके मुख्य कारण बताते हुए कहते है कि
1. लगभग सभी प्लास्टिक जीवाश्म इंधन से बनते है। ‘‘वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम’’ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए राजीव आचार्य कहते है की इस रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक तेल खपत का 4 से 8 प्रतिशत सीधे प्लास्टिक से जुडा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार यह निर्भरता वर्ष 2050 तक बढ़कर 20 प्रतिशत तक होने का अनुमान है। प्लास्टिक बनाने के लिए कच्चा तेल निकालने, उसे कारखानों तक लाने तथा फिर प्लास्टिक बनाने में बहुत सी ऊर्जा का इस्तेमाल होता है। यह ऊर्जा, ग्रीन हाउस गैस पर प्रभाव डालती है।
2. वे अर्थ दिवस के इस अवसर पर ‘‘सेंटर फॉर इंटरनेशनल एनवायरमेंटल लॉ (CIEL)’’ की 2019 की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए खेत हैं कि सिर्फ एथिलीन उत्पादन से होने वाला उत्सर्जन जो कि प्लास्टिक बनाने में एक मुख्य घटक है, 4.45 करोड वाहनों के सालाना उत्सर्जन के बराबर है। प्लास्टिक बनाने की प्रक्रिया में बहुत अधिक ऊर्जा का उपयोग होता है, जोकि ग्रीन हाउस पर प्रभाव डालती है।
3. राजीव आचार्य प्लास्टिक कचरे को हानिकारक बताते हुए कहते है कि प्लास्टिक कचरे का गलत तरीके से प्रयोग और अधिक समस्याओं को उत्पन्न करता है। प्लास्टिक से भरे लैडफिल मीथेन गैस का उत्सर्जन करते है, जो कि एक शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैस है। इसके अलावा प्लास्टिक कचरे को जलाने से हानिकारक रसायन निकलते है, जो जलवायु के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव डालते है।राजीव आचार्य प्लास्टिक प्रदूषण को एक गम्भीर खतरा बताते हैं । उनके अनुसार प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिए अत्यन्त हानिकारक है। उनके अनुसार वर्ष 2021 की GRID-Arendal की रिपोर्ट ‘‘जलवायु परिवर्तन पर प्लास्टिक का प्रभाव’’, जलवायु परिवर्तन को रोकने एवं प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए की जा रही वैश्विक कार्यवाही पर प्रकाश डालती है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2019 में प्लास्टिक से 1.8 बिलियन टन ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन हुआ जो वैश्विक उत्सर्जन का 3.4 प्रतिशत है। यह संख्या वर्ष 2060 तक दुगनी से भी ज्यादा होकर 4.3 बिलियन टन तक पहुचने का अनुमान है। इस रिपोर्ट में दिये गये आकडे वैश्विक चिन्तन का विषय है। वर्तमान में हमारी धरती प्लास्टिक को लेकर एक बड़ी समस्या से जूझ रही है। प्लास्टिक का प्रदूषण पूरे विश्व के लिए गम्भीर मुददा है। क्योकि प्लास्टिक को पूरी तरह से समाप्त करना तत्कालिक प्रभाव से सम्भव नहीं है। इसके उत्पादन में कमी लाने एवं विकल्प की तलाश करके ही हम इस पर नियंत्रण पा सकते है। वैज्ञानिकों के अनुसार पूरे विश्व से निकलने वाला कचरा वर्ष 2060 तक लगभग तीन गुना बढ़ जायेगा। वर्तमान में दुनियाभर में लगभग 400 मिलियन टन कचरा उत्पन्न होता है और उपयोग में भी लाया जा रहा है। यह भी एक सत्य है कि कुल प्लास्टिक में से मात्र 10 प्रतिशत से कम प्लास्टिक को हम रिसाइकिल कर पा रहे है। राजीव आचार्य जिनेवा इन्वायरमेंट नेटवर्क द्वारा जिनेवा और दुनियाभर के अलग-अलग स्थानों में किये गये एक शोध के द्वारा अपनी प्रकाशित एक रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए प्रकाश डालते है कि इस रिपोर्ट बताया गया है कि प्लास्टिक किस तरह पर्यावरण के साथ ही मानव एवं जानवरों को प्रभावित कर रही है। यद्यपि सभी देश बडे स्तर पर प्लास्टिक की समस्या को हल करने का प्रयास कर रहे है।प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर एक सहमति बनाने के लिए दिनांक 23 अप्रैल से 29 अप्रैल 2024 तक चैथी बैठक कनाडा के ओटावा में प्रारम्भ होने वाली है। पिछली तीन बैठक में लगभग 175 देशों के प्रतिनिधि, व्यवसायियों, पर्यावरण समूहो एवं अन्य प्रतिनिधियों के साथ विश्व को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने के लिए वृहद स्तर पर चर्चा की गयी थी। होने वाली चोथी बैठक में यह स्पष्ट रूप से संदर्भित किया जायेगा कि प्लास्टिक स्रोत को ही तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता है। राजीव आचार्य जोर देकर कहते है कि प्लास्टिक एक स्लो-प्वाइजन की तरह पूरे विश्व में फैल रहा है और यह माइक्रोप्लास्टिक एवं प्लास्टिक रसायन के रूप में आटो इम्यून सिस्टम को दुर्बल करने, श्वसन सम्बन्धी समस्याओं के साथ-साथ हृदय रोग, लीवर रोग तथा कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों को फैला रहा है। यही कारण है कि हाई एम्बीशन गठबंधन का हिस्सा बनने वाले कुछ देशों द्वारा 2040 तक प्लास्टिक उत्पादन में 60 प्रतिशत की कटौती का लक्ष्य रखा है। दूसरी ओर ग्लोबल गठबंधन फॉर सेस्टेनेबलिटी को लेकर कुछ देश मुख्य रूप से सऊदी अरब, रूस, चीन जैसे देश जोकि जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है वे प्लास्टिक उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने या उसका उपयोग सीमित करने के बजाये रिसाईक्लिंग जैसे तरीकों के माध्यम से निपटना पसंद करते है। वस्तुतः सभी प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बनते है। यही कारण है कि अधिकतर देश प्लास्टिक मुक्त पृथ्वी की बात पर एक मत होने का प्रयास कर रहे है।
उन्होंने इन्वायरमेंटल हैल्थ साइंस की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पृथ्वी के लिए प्लास्टिक एक बडी समस्या बनती जा रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी भी वैश्विक संघि या संगठन का ध्यान प्लास्टिक के साथ ही स्वास्थ्य सम्बन्धी चिंताओं पर भी होना चाहिए। वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक को लेकर जो महत्वपूर्ण सुझाव दिये है, उनमें प्लास्टिक का रिसाइकिल बंद करना सबसे अहम सुझाव है। क्योकि प्लास्टिक के रिसाइकिल के साइड इफेक्ट अत्यन्त खतरनाक है। इसी बात को सिद्ध करने के लिए राजीव आचार्य हृयूमन राइट वाच की जारी एक रिपोर्ट में किये गये अध्ययन हवाला देते है ।वे कहते है की रिपोर्ट में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार तुर्की में प्लास्टिक रिसाइकिल किस तरह से लोगों को बीमार बना रही है और पर्यावरण को नुकसान पहुचा रही है।उन्होंने ‘‘द हैल्थ इम्पेक्ट ऑफ प्लास्टिक रिसाइक्लिंग ऑफ टर्की’’ की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि रिसाइक्लिंग स्थलों के आसपास की हवा में हानिकारक विषाणु है, जो श्रमिकों और आसपास रहने वाले लोगों को बीमार बनाती है। राजीव आचार्य पृथ्वी दिवस पर अवसर पर कहते है कि भले ही प्लास्टिक की समस्या अत्यन्त विकट है, परन्तु यदि इससे हम सभी व्यक्तिगत रूप से निपटने में सहयोग प्रदान करें तो यह समस्या शीघ्र ही समाप्त हो सकती है –
1. सिंगल यूस प्लास्टिक का उपयोग यथा सम्भव बंद कर दें। कपड़ों एवं जूट से बने सामानों का प्रयोग करें।
2. ऐसे कम्पनियों का सहयोग करें जो प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है तथा वे अपने उत्पादों में प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करते है।
3. इस संदर्भ में नवीन वैज्ञानिक अनुसंधानों को भी बढावा दिया जाना जरूरी है, जब तक प्लास्टिक पूर्ण रूप से समाप्त नहीं होता है, जैव-अपघटनीय प्लास्टिक का विकास किया जा सकता है, जो पारम्परिक प्लास्टिक की तुलना में कम हानिकारक होता है।
4. लोगों को प्लास्टिक प्रदूषण के खतरों और जलवायु परिवर्तन से इसके सम्बन्ध के बारे में शिक्षित करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाये जा सकते है और मीडिया के माध्यम से व्यापक जनसम्पर्क अभियान किया जा सकता है।
5. अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें। जिससे अधिक मात्रा में ऑक्सिजन की पूर्ति हो।
6. हमे पानी बचाने के लिए मुख्य रूप से कार्य करना चाहिए। घरों में पानी के रिसाव को बंद करें। साथ ही प्रत्येक घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रयोग करें, जिससे वर्षा के जल को सुरक्षित किया जा सके।
7. पानी बचाने के लिए खेती में माइक्रो इरिगेशन सिस्टम का प्रयोग किया जाये। ‘‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’’ टैक्नोलोजी से लगभग 50 प्रतिशत पानी की बचत की जा सकती है। इस दिशा में नवीनतम ड्रोन टैक्नोलोजी का प्रयोग पानी की कमी वाले क्षेत्रों में प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे विशेष सेंसरों के माध्यम से क्षेत्र विशेष में पानी की कमी पता चलती है।
8. सिंचाई में फर्टिगेशन मैथड का प्रयोग कर पानी के साथ खाद की बचत भी करे।
9. एयरकंडिशनर और वाहनों का प्रयोग अत्याधिक रूप से किया जाने लगा है। इसे कम करते हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग किये जाने की आवश्यकता है, साथ ही डीजल पेट्रोल के स्थान पर इलैक्ट्रोनिक वाहनों का प्रयोग किया जाये।
10. हम व्यक्तिगत रूप से परिवार और मित्रों के साथ मिलकर ऐसे स्थानीय संगठनों के साथ जुडे जो प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ काम कर रहे है। प्लास्टिक कचरे को समाप्त करने वाले कार्यक्रमों में भाग ले। राजीव आचार्य के अनुसार पृथ्वी दिवस पर हमें प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के विषय में एक सोच विकसित करनी चाहिए। प्लास्टिक मुक्त पृथ्वी के लिए हम मिलकर सामुहिक प्रयास करें, जिससे हमारी पृथ्वी आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और स्वच्छ बनी रहे।