नई दिल्ली – दिल्ली के अधिकांश मिडिल-क्लास परिवारों के लिए घर सिर्फ दीवारों का ढांचा नहीं होता यह सुरक्षा है, पहचान है, और भविष्य की नींव है। वर्षों तक किराए पर रहने वाले कई परिवार जब नए घर की चाबी पहली बार हाथ में लेते हैं, तो उनका जीवन बदल जाता है। यही बदलाव आज तेज़ी से दिखाई दे रहा है। बीते कुछ सालों में दिल्ली और आसपास के शहरों में एक नई प्रवृत्ति उभरी है -लोग किराए से इएमआई की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। पहले जहाँ किराया एक खर्च माना जाता था, आज इएमआई को निवेश समझा जा रहा है।क्यों बदल रही है सोच? किराया हर महीने चला जाता है, वापस नहीं आता इएमआई भविष्य में घर का मालिक बनाती है बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के लिए स्थिर पता ज़रूरी परिवार अब अस्थाई नहीं, स्थायी रहने की मानसिकता अपना रहा है ,वेस्ट दिल्ली- द्वारका, निरंजन पार्क, द्वारका मोड़, राणाजी एन्क्लेव में प्रॉपर्टी खरीदने की सोच इसी वजह से बढ़ी है। जहाँ पहले घर खरीदना कठिन माना जाता था, अब युवा नौकरीपेशा दंपत्ति, छोटे व्यापारी, सर्विस सेक्टर प्रोफेशनल -लगभग सभी इएमआई को बेहतर विकल्प मानने लगे हैं। रियल एस्टेट में बदलाव और डेवलपर्स की अहम भूमिका रियल एस्टेट इंडस्ट्री में पिछले कुछ वर्षों में ट्रांस्परेन्सी बढ़ी है, डॉक्यूमेंटेशन सरल हुआ है और लोन ड्रिवेन होम बाइंग आम हो गई है। एआरई इंफ़्रा हाइट्स जैसे डेवलपर्स ने इसी ज़रूरत को समझा और मिडिल-क्लास बजट के अनुरूप किफायती, सुविधाजनक और भरोसेमंद घर उपलब्ध कराए,इसी संदर्भ में कंपनी के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक दीपक गर्ग कहते हैं -“हमारा मानना है कि इएमआई और किराए में अधिक अंतर नहीं होना चाहिए। यदि परिवार हर महीने किराया दे रहे हैं, तो वही राशि उन्हें अपने घर का मालिक भी बना सकती है। इसी सोच के साथ हम किफायती और विश्वसनीय घर उपलब्ध करा रहे हैं। यह विचार सिर्फ बयान नहीं -2,500+ परिवारों के नए पते का आधार बन चुका है। एआरई इंफ़्रा हाइट्स ने वर्षों में कई परिवारों को किराए से मालिकाना हक तक पहुँचाया है और आने वाले समय में इसकी गति और तेज़ होने वाली है।

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