पटना- देश के अलग अलग हिस्सों के विरासत प्रेमियों ने बिहार के संग्रहालय अधिकारियों से अपील की है कि एक सदी से ज्यादा पुराने भाप से चलने वाले रोड रोलर और अन्य पुरानी वस्तुओं को ऐतिहासिक पटना कलेक्टरेट में चल रही तोडफ़ोड़ स्थल से तत्काल हटाया जाए। पटना से लेकर कोलकाता और दिल्ली से लेकर हरियाणा तक के विरासत प्रेमियों और पुरातन विशेषजों ने दुलर्भ रोड रोलर और अन्य कलाकृतियों को विध्वंस स्थल से नहीं हटाने पर हैरानी जताई है। दो महीने से कलेक्टरेट परिसर में तोडफ़ोड़ की कार्वाई चल रही है। इंग्लैंड के लीड्स स्थित जॉन फॉलर एंड कंपनी द्वारा निर्मित यह दुर्लभ रोड रोलर फिलहाल गंगा के तट पर स्थित जिला अभियंता कार्यालय की ऐतिहासिक इमारत के सामने मौजूद खुली जमीन में रखा हुआ है। इस इमारत के पूर्वी हिस्से को नए कलेक्टरेट परिसर के निर्माण के लिए तीन जुलाई को ढहा दिया गया था। पटना संग्रहालय ने कुछ दुलर्भ विरासती वस्तुओं को लेने में रुचि दिखाई है और वह तोडफ़ोड़ की कार्वाई शुरू होने के बाद आगे आया था। संग्रहालय के विशेषज्ञों की एक टीम ने 13 जुलाई को पटना कलेक्टरेट का दौरा किया था और भाप से चलने वाले स्टीमरोलर का मुआयना किया था। पटना और अन्य स्थानों के कई विरासत प्रेमियों ने आरोप लगाया है कि अधिकारी इन पुरानी वस्तुओं को वहां से हटाने के लिए अंतिम कदम उठाने के लिए ज्यादा वक्त ले रहे हैं जबकि जिला अभियंता कार्यालय भवन का शेष हिस्सा कभी तोड़ा जा सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पटना संग्रहालय की एक टीम पुरानी वस्तुओं का प्रस्तावित अधिग्रहण करने के सिलसिले में जल्द ही विध्वंस स्थल का दौरा कर सकती है। हरियाणा में गुरुग्राम के पास हैरिटेज ट्रांसपोर्ट म्यूजय़िम की क्यूरेटर रागिनी भट्ट ने संग्रहालय अधिकारियों से अपील की कि वह इस मामले को तत्काल आधार पर लें। उन्होंने कहा, ऐसी अमूल्य वस्तुओं को तोडफ़ोड़ स्थल से तत्काल हटा देना चाहिए। जॉन फॉलर रोड रोलर बहुत दुलर्भ है और इसे गर्व से प्रदर्शित करना चाहिए। जिस किसी संग्रहालय के पास यह होगा, वह भाग्यवान होगा। हमारे संग्रहालय के पास दो पुराने रोड रोलर हैं जिनमें एक को 1914 में मार्शल कंपनी ने बनाया था जबकि दूसरा 1950 में टाटा टेल्को द्वारा निर्मित है। पटना कॉलेज के 18 वर्षीय छात्र अमन ने कहा कि पटना कलेक्टरेट में मई मध्य से तोडफ़ोड़ की कार्वाई चल रही है और विंटेज वस्तुओं को तोडफ़ोड़ शुरू करने से पहले ही हटा देना चाहिए था। उन्होंने पूछा कि कलेक्टरेट परिसर की करीब-करीब सभी इमारतों को तोड़े जाने के बावजूद इन विरासती वस्तुओं को अबतक पटना संग्रहालय से क्यों स्थानांतरित नहीं किया गया। इस साल 13 मई को उच्चतम न्यायालय ने विरासत निकाय इनटैक की एक याचिका को खारिज कर दिया था, जो पटना कलेक्टरेट परिसर को विध्वंस से बचाने के लिए साल 2019 से कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। शीर्ष अदालत के इस फैसले से इस ऐतिहासिक परिसर को ढहाने का रास्ता साफ हो गया था।