नई दिल्ली – राजधानी के एनसीयूआई ऑडिटोरियम में शुक्रवार को सेलिब्रेटिंग इंडिया फिल्म फेस्टिवल (सीआईएफएफ 2025) का पहला संस्करण भव्य उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ। 8 से 10 अगस्त तक चलने वाला यह तीन दिवसीय महोत्सव भारत के सिनेमा की गहराई और सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से चुनिंदा फीचर फिल्में, शॉर्ट फिल्में और डॉक्यूमेंट्री पेश कर रहा है। लाल कालीन स्वागत के बीच उद्घाटन समारोह में दिल्ली के कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, सांसद कल्पना सैनी, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार मधुर भंडारकर, सितारे ज़मीन पर के निर्देशक आर.एस. प्रसन्ना, अभिनेता हेमंत पांडे और अभिनेत्री हृषिता भट्ट सहित कई गणमान्य हस्तियां मौजूद रहीं। सितारे ज़मीन पर में अभिनय कर चुके विशेष बाल कलाकार ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सभी अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का उद्घाटन किया और देशभर से आई प्रभावशाली कहानियों को मंच देने के लिए सीआईएफएफ की सराहना की। समारोह में संबोधित करते हुए कपिल मिश्रा ने कहा,सीआईएफएफ सिर्फ फिल्मों का उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता का उत्सव है। यहां दिखाई जाने वाली हर फ्रेम हमारे बदलते राष्ट्र की कहानी कहती है। भारत की अपनी समृद्ध संस्कृति है और आज के बदलते दौर में फिल्में इसे दुनिया तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बन चुकी हैं। जिनकी फिल्में यहां चयनित हुई हैं, उन्हें मैं बधाई देता हूं। मेरा प्रस्ताव है कि अगले साल से यह आयोजन दिल्ली सरकार के साथ मिलकर किया जाए, जिसमें माननीय मुख्यमंत्री भी समापन समारोह में शामिल हों। दिल्ली सरकार की नई पहल पर बात करते हुए उन्होंने जोड़ा, हमने फिल्म और वेब सीरीज़ की शूटिंग के लिए ‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस’ पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। हम हर राज्य की पॉलिसी का अध्ययन कर रहे हैं और गर्व से कह सकता हूं कि दिल्ली जल्द ही देश की सर्वश्रेष्ठ पर्यटन और फिल्म पॉलिसी लेकर आएगी। महोत्सव की शुरुआत मधुर भंडारकर निर्देशित इंडिया लॉकडाउन से हुई, जो कोविड-19 लॉकडाउन के भावनात्मक और सामाजिक प्रभावों को गहराई से दिखाती है। फिल्म ने दर्शकों को गंभीर और चिंतनशील बना दिया। इसके बाद मनोज कुमार अभिनीत 1981 की देशभक्ति पर आधारित क्लासिक फिल्म क्रांति का प्रदर्शन हुआ, जिसने दर्शकों को पुरानी यादों में लौटा दिया। एनसीयूआई ऑडिटोरियम कॉम्प्लेक्स के अल्फा और बीटा हॉल में समानांतर रूप से शॉर्ट फिल्में और डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गईं। बही – ट्रेसिंग माय एंसेस्टर्स, पंख: द लॉन्ग फ्लाइट होम, महिला सहल काशी, और थनिये (अलोन) जैसी फिल्मों ने व्यक्तिगत और क्षेत्रीय कथाओं को सशक्त तरीके से प्रस्तुत किया। वहीं, माउ: द स्पिरिट ड्रीम्स ऑफ चेराव और डेलोंग पडुंग ए ज्वेल ऑफ नॉर्थ ईस्ट इंडिया ने उत्तर-पूर्व भारत की अनदेखी सांस्कृतिक झलक दर्शकों के सामने रखी। दिन का समापन फिल्मकार आर.एस. प्रसन्ना के विशेष सत्र ब्रेकिंग स्टीरियोटाइप्स एंड मेकिंग कल्चरल इनक्लूसिव फिल्म्स के साथ हुआ, जिसमें दर्शकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। शानदार शुरुआत और उत्साहपूर्ण भागीदारी के साथ, सीआईएफएफ 2025 ने खुद को दिल्ली के सांस्कृतिक कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में दर्ज करा लिया है जहां सिनेमा के साथ-साथ भारत की विविध कहानियों से गहरा जुड़ाव देखने को मिल रहा है।