पटना – असली परीक्षा अब उपचुनाव में होगी. तेजस्वी यादव के सामने महागठबंधन के सहयोगियों को एकजुट रखने की चुनौती है. उन्हें महागठबंधन की तीन महत्वपूर्ण सीटों को भी बचाना है, जिनमें गया, जहानाबाद, आरा और बक्सर शामिल हैं. इन सीटों में दो आरजेडी और एक माले की है, जबकि एनडीए के जीतन मांझी की ‘हम’ की एक सीट है.तेजस्वी यादव को राजद के सुधाकर सिंह की ‘रामगढ़’, हम के जीतन मांझी की ‘इमामगंज’, माले के सुदामा प्रसाद की ‘तरारी’ और आरजेडी के सुरेंद्र यादव की ‘जहानाबाद’ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में अपनी पकड़ बनाए रखनी होगी. इन सीटों पर महागठबंधन की जीत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे न केवल महागठबंधन का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि विधानसभा में उनकी स्थिति भी मजबूत होगी.वहीं, एनडीए की नजर भी उपचुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने पर है. अगले महीने जुलाई में बीमा भारती की रूपौली विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है. बीमा भारती जो पहले जेडीयू में थीं, आरजेडी में शामिल हो गई थीं. इस सीट पर भी महागठबंधन के सहयोगियों का दावा तेजस्वी यादव के लिए एक चुनौती है. इसके अलावा तिरहुत स्नातक विधान परिषद सीट पर भी उपचुनाव होने वाले हैं. जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद बनने के बाद इस सीट पर भी राजद के सहयोगी दल की नजर है.इसके साथ ही आने वाले उपचुनाव तेजस्वी यादव के राजनीतिक कौशल की असली परीक्षा भी होंगे. उन्हें न सिर्फ महागठबंधन की सीटें बचानी होंगी बल्कि एनडीए की सीटों में भी सेंध लगानी होगी. खासकर भाकपा माले की मांगों को पूरा करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी.आपको बता दें कि एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मैदान में होंगे. एनडीए के पास उपचुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा में संख्या बल बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मौका है. वहीं तेजस्वी यादव को महागठबंधन की सीटों को बचाने के अलावा एनडीए की विधानसभा सीटों में सेंध मारी करनी होगी.