-भाजपा आलाकमान का फैसलाः नए लोगों को देंगे मौका
-टिकट के लिए निगम पार्षदों के नाम पर नहीं होगा विचार

परफैक्ट न्यूज ब्यूरो/नई दिल्ली

भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। इस बार जीत के लिए भाजपा कुछ कठोर फैसले लेने जा रही है। सूत्रों की मानें तो पार्टी लगातार दो बार चुनाव हार चुके नेताओं को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं देगी। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व दो बार चुनाव हारे नेताओं के साथ निगम पार्षदों को भी टिकट नहीं देने पर विचार कर रहा है। ऐसे में पार्टी के कुछ नए नेताओं का भाग्य चमक सकता है।
बता दें कि लगातार दो बार चुनाव हारने वालों में ऐसी छह सीट हैं। इसमें तिमारपुर सीट से रजनी अब्बी, मुंडका सीट से आजाद सिंह, चांदनी चौक सीट से सुमन गुप्ता, तिलक नगर सीट से राजीव बब्बर, दिल्ली कैंट सीट से करन सिंह तंवर और संगम विहार सीट से एससीएल गुप्ता के नाम शामिल हैं। यह नेता 2013 और 2015 के विधानसभा चुनाव हार गए थे। वर्ष 2013 में बीजेपी ने दिल्ली में 70 में से 31 सीट जीती थीं। जबकि आम आदमी पार्टी 28 सीट जीतकर दूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस ने तब 8 सीट हासिल की थीं। एक-एक सीट जेडीयू, शिरोमणि अकाली दल और निर्दलीय को हासिल हुई थीं।
भाजपाई सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान इस बार कोई मौका चूकना नहीं चाहती। इसलिए पार्टी का सारा ध्यान इस बार जिताऊ प्रत्याशी उतारने पर रहेगा। जो 6 नेता पहले ही लगातार दो बार चुनाव हार चुके हैं उनके बजाय नए नामों पर विचार किया जा रहा है। दरअसल साल 2015 में बीजेपी 70 में से केवल 3 सीट ही जीत पाई थी। इसके बाद राजौरी गार्डन सीट पर हुए उपचुनाव में मनजिंदर सिंह सिरसा फिर से चुनाव जीत गए थे। इसके बाद बीजेपी के पास फिलहाल दिल्ली विधानसभा में चार विधायक हैं।
नागलोई से निर्दलीय विधायक रामबीर शौकीन, अकाली दल विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा और जेडीयू विधायक शुएब इकबाल के समर्थन के बावजूद बीजेपी सरकार नहीं बना पाई थी। 28 विधायकों के साथ कांग्रेस के 8 विधायकों के दम पर तब अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनाई थी। जो कि 49 दिन तक ही चल सकी थी।
1. तिमारपुरः
बता दें कि तिमारपुर सीट से बीजेपी की रजनी अब्बी को 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के हरीश खन्ना ने हराया था। तब हरीश खन्ना को 39 हजर 650 वोट मिले थे। जबकि रजनी अब्बी को 36 हजार 267 वोट हासिल हुए थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी के पंकज पुष्कर ने 20 हजार 647 वोट के अंतर से हराया था। पंकज पुष्कर को 64 हजार 477 वोट मिले थे, जबकि रजनी अब्बी को महज 43 हजार 830 वोट ही हासिल हो पाए थे।
2. मुंडकाः
मुंडका सीट से 2013 और 2015 में चुनाव लड़े आजाद सिंह का भी यही हाल रहा। 2013 के विधानसभा चुनाव में आजाद सिंह निर्दलीय रामबीर शौकीन ने हराया था। शौकीन को तब 52 हजार 564 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के आजाद सिंह को 45 हजार 430 वोट पर ही संतोष करना पड़ा था। 2015 के विधानसभा चुनाव में आजाद सिंह को आम आदमी पार्टी के सुखवीर सिंह ने 40 हजार 826 वोट से हराया था। बीजेपी के आजाद सिंह को 53 हजार 380 वोट मिले थे। जबकि आम आदमी पार्टी के सुखवीर सिंह को 94 हजार 206 वोट हासिल हुए थे। बता दें कि आजाद सिंह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा के भाई हैं।
3. चांदनी चौकः
लगातार दो बार चुनाव हारने वालों में चांदनी चौक सीट सुमन गुप्ता का नाम भी शामिल है। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रहलाद सिंह साहनी ने बीजेपी के सुमन गुप्ता को हराया था। 2013 के विधानसभा चुनाव में साहनी को 26 हजार 335 वोट मिले थे। जबकि सुमन कुमार गुप्ता को 18 हजार 92 वोट से ही संतोष करना पड़ा था। 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सुमन कुमार गुप्ता को आम आदमी पार्टी की अलका लांबा ने 18 हजार 287 वोट से हराया था। अलका लांबा को 36 हजार 756 वोट हासिल हुए थे। जबकि सुमन कुमार गुप्ता केवल 18 हजार 287 वोट ही हासिल कर पाए थे।
4. तिलक नगरः
इस श्रेणी में अगला नाम तिलक नगर सीट से दो बार चुनाव हारे राजीव बब्बर का है। बब्बर को 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह ने हराया था। जरनैल सिंह को 34 हजार 493 वोट मिले थे, जबकि राजवी बब्बर को 32 हजार 405 वोट हासिल हुए थे। दूसरी ओर 2015 के विधानसभा चुनाव में आप के जरनैल सिंह ने बीजेपी के राजीव बब्बर को 19 हजार 890 वोट से हराया था। जरनैल सिंह को 57 हजार 180 वोट हासिल हुए थे। जबकि राजीव बब्बर को इस चुनाव में 37 हजार 290 वोट हासिल हुए थे।
5. दिल्ली कैंटः
दिल्ली कैंट सीट से दो बार विधानसभा चुनाव हारे करन सिंह तंवर इससे पहले लगातार इसी सीट से विधायक रहे हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में तंवर को आम आदमी पार्टी के सुरेंद्र िंसह ने हराया था। 2013 के विधानसभा चुनाव में आप के सुरेंद्र सिंह को 26 हजार 124 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के करन सिंह तंवर को 25 हजार 769 वोट हासिल हुए थे। वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में कमांडो सुरेंद्र सिंह ने तंवर को 11 हजार 198 वोट से मात दी थी। सुरेंद्र सिंह को 40 हजार 133 वोट मिले थे और करन सिंह तंवर को 28 हजार 935 वोट हासिल हुए थे।
6. संगम विहारः
इस श्रेणी में छठा नाम संगम विहार सीट से दो बार चुनाव हारे डॉ एससीएल गुप्ता का है। गुप्ता को 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के दिनेश मोहनिया ने हराया था। तब मोहनिया को 24 हजार 851 वोट मिले थे और एससीएल गुप्ता को 24 हजार 74 वोट हासिल हुए थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में एससीएल गुप्ता की हार का दायरा और बढ़ गया। 2015 में दिनेश मोहनिया ने डॉ एससीएल गुप्ता को 43 हजार 988 वोट से हराया था। मोहनिया को 72 हजार 131 वोट मिले जबकि एससीएल गुप्ता इस चुनाव में 28 हजार 143 वोट पर ही सिमट गए थे।