-राजधानी में विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो रहे पुराने कांग्रेसी
-पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के साथ कार्यकारी अध्यक्षों ने कसी कमर
शक्ति राठौर /नई दिल्ली
इंद्रप्रस्थ के सियासी मैदान में अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए दिल्ली के कांग्रेसी दिग्गज अखाड़े में उतर आए हैं। अक्सर एक दूसरे से खिंचे-खिंचे रहने वाले राजधानी के पुराने कांग्रेसी नेता अब मिलकर केजरीवाल सरकार के खिलाफ मैदान में हैं। शुरू से ही गुटबाजी का शिकार रही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में फिलहाल एकजुटता दिखाई देने लगी है। दूषित पानी की सप्लाई के विरोध प्रदर्शन में पूर्व अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल दूसरे पूर्व अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली के साथ वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा के साथ एक मंच पर खड़े नजर आए। खास बात यह रही कि इस विरोध प्रदर्शन में पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ ने भी भागीदारी की।
कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान ने दिल्ली के सभी दिग्गजों को कह दिया है कि वह एक साथ मिलकर दिल्ली में पार्टी को खड़ा करें। पार्टी आलाकमान की ओर से हिदायत दी गई है कि पार्टी नेताओं के बीच किसी भी तरह से दूरियों की खबरें नहीं आनी चाहिए। कारण है कि दिल्ली में कांग्रेस के सामने अपना अस्तित्व बचाने के लिए करो या मरो की स्थिति बनी हुई है। आने वाले विधानसभा चुनाव में यदि पार्टी की सम्मानजनक सीटें नहीं आईं तो कांग्रेस का सूपड़ासाफ हो जाएगा।
दरअसल आम आदमी पार्टी ने 2013 के विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेसी वोट बैंक पर कब्जा कर लिया था। 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को क्लीन स्वीप दे दी थी। इसके बाद से कांग्रेस को अपना अस्तित्व तलाशना पड़ रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुछ हद तक अपने मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया था। लेकिन अब 2020 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को पार्टी नेता गंभीरता से ले रहे हैं।
पार्टी में मची भगदड़ को रोकने की कोशिशः
आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है। ब्लॉक व प्रदेश स्तर के कई नेता आम आदमी पार्टी में जा चुके हैं। कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश नेतृत्व और पुराने कांग्रेसी दिग्गजों को कहा है कि वह केजरीवाल सरकार के खिलाफ मिलकर सड़कों पर उतरें। ताकि पार्टी में मची भगदड़ को रोका जा सके। इसके साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ेगा।
सोशल मीडिया के प्रयोग पर हिदायतः
कांग्रेसी सूत्र बताते हैं कि पार्टी आलाकमान की ओर से दिल्ली के नेताओं और कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि वह सोशल मीडिया का प्रयोग केवल पार्टी के प्रचार और नीतियों व कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने के लिए करें। कोई भी कांग्रेसी कार्यकर्ता सोशल मीडिया का प्रयोग चुनाव के लिए टिकट मांगने, समर्थन करने या दूसरे कांग्रेसी नेता को बदनाम करने के लिए नहीं करें। यदि कोई ऐसा करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ पार्टी की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात भी कही गई है।