-100 एसी बसों की खरीद में घाटाले पर कांग्रेस सख्त
-केजरीवाल सरकार ने बसों की खरीद में की अनियमितताः सुभाष चोपड़ा
-दिल्ली के दमघोंटू प्रदूषण पर जल्दी जारी होगी पोस्टमार्टम रिपोर्टः मुकेश

परफैक्ट न्यूज ब्यूरो/ नई दिल्ली
दिल्ली की केजरीवाल सरकार के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस सख्त हो गई है। पार्टी ने केजरीवाल सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चौपड़ा ने बसों की खरीद में हुई अनियमितता, चरमराई सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था व उसके चलते हुए दमघोटू प्रदूषण पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी करने की बात कही है। राजधानी में डीटीसी की 1000 एसी बसों को खरीदने के लिए किए गए टेंडर को डीटीसी बोर्ड़ द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने निशाना साधा है। शर्मा ने कहा कि दिल्ली सरकार बसों की खरीद में एक और बड़ा घोटाला करने जा रही है। नई बसें खरीदने के तीन बार पहले भी टेंडर हुए लेकिन भ्रष्टाचार के चलते उन टेंडरों को भी अमली जामा नही पहनाया जा सका।
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व परिवहन मंत्री अरविन्दर सिंह लवली, चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद, मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा कानूनविद शिवानी चौपड़ा व मुदित अग्रवाल मौजूद रहे। अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि दिल्ली सरकार जिन नई बसों को खरीदने का ढिढ़ोरा पीट रही है उसके टेंडर कांग्रेस शासन काल में हुए थे। उस समय 2000 बसों के टेंडर किए गए थे जिनमें 300 बसें पहले आनी थी। अभी तक पहले कलस्टर की बसें भी नही आ पाई है।
लवली ने कहा कि केजरीवाल सरकार के निकम्मेपन की चर्चा सड़क से संसद तक हो रही है। लेकिन उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगती। उन्होंने दिल्ली के भाजपा सांसदों के संसद में हुई प्रदूषण की चर्चा पर गंभीर न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भी दिल्लीवालों का मजाक उड़ाया है।
कांग्रेस नेताओं ने आगे कहा कि जिन लो-फ्लोर 1000 एसी बसों के टेंडर किए गए थे, उसके बाद 300 इलेक्ट्रिक बसों के रख-रखाव का अक्टूबर माह में नया टेंडर आवंटित कर दिया गया। इसमें भी उन्हीं दो कपनियों ने हिस्सा लिया है। जिससे यह साबित होता है कि जानबूझ कर घोटाला करने की नीयत से बसों की खरीद को लटकाया जा रहा है। आश्चर्य का विषय है कि पहले टेंडर में रख-रखाव की शर्त को नही जोड़ा गया और जब जोड़ा गया है तो सिर्फ 300 बसों को।
कांग्रेसी नेताओं ने आरोप लगाया कि बड़ा घोटाला करने की नीयत से जानबूझ कर बार-बार शर्तों में बदलावा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 250 बसों का टेंडर केवल इसलिए रद्द हुआ क्योंकि गांरटी मनी जमा नही हुई। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों के दौरान केजरीवाल सरकार ने डीटीसी बसों के तीन टेंडर निकाले लेकिन एक भी सफल नहीं रहा। 6 सितंबर को लो फ्लोर सीएनजी बसों का टेंडर खोला गया जो अभी फाईनेंशल स्टेज पर है, इस टेंडर में दो कंपनियों ने हिस्सा लिया था।
कांग्रेसी दिग्गजों के मुताबिक 2013 में जब कांग्रेस ने दिल्ली में सरकार छोडी तो 46.77 लाख लोग प्रतिदिन सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते थे। यह संख्या घटकर आज 20 से 25 लाख प्रतिदिन पर आ गई है। उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल सरकार ने पिछले 5 सालों में नई बसें नही खरीदी हैं क्योंकि सरकार की नीति और नीयत दोनो में खोट है। उन्होंने कहा कि 1845 बसें डीटीसी बेड़े से गायब हो गई हैं। उन्होंने आंकड़ो का हवाला देते हुए यह भी बताया कि 2013 के अंत में 5445 बसें पहले डीटीसी बेड़े में थी। जून 2019 की ईपीसीए की रिपोर्ट के अनुसार आज उनकी संख्या घटकर सिर्फ 3600 रह गई है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के फेल होने के कारण दिल्ली में वाहनों से निकलने वाला प्रदूषित धुंआ पीएम 2.5 प्रतिशत से बढ़कर पीएम 41 प्रतिशत हो गया है।
अगले 52 महीने सड़कों पर नहीं आएंगी नई बसेंः
कीर्ति आजाद ने आरोप लगाया कि ऑड इवन की आड़ में जिन 2000 बसों को किराये पर लिया गया था वो किसकी और उनको कितनी धनराशि दी गई यह एक जांच का विषय है। क्योंकि इसमें घोटाला हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां एक ओर नई बसों के न आने से दिल्लीवासी दमघांटू प्रदूषण से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर केजरीवाल सरकार बेरोक-टोक बसों की खरीद में घोटाला करना चाहती है, जिसके चलते प्रक्रिया के मुताबिक अगले 52 महीनों तक नई बसों को सड़क पर नही उतारा जा सकेगा।
92 लाख से बढ़कर 1 करोड़ से ऊपर पहुंचे निजी वाहनः
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर जल्द ही एक तथ्यों के साथ केजरीवाल सरकार के कारनामों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी करेगी। उन्होंने कहा कि 2013 में आम जनता के लिए 590 बसों के रुट निर्धारित थे जिनकी संख्या घटकर 438 रह गई है। 152 बस रुट विशेष तौर पर दिल्ली के देहाती क्षेत्रों व गरीब बस्तियों के कम किए गए है। जिसके चलते गरीब जनता बुरी तरह परेशान है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार के निकम्मेपन के कारण 2015 से 2018 के बीच में निजी वाहनों की संख्या में 12.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यानि निजी वाहनों की संख्या 92.2 लाख से बढ़कर 103.5 लाख हो गई है।
प्रदूषण से रोजाना हो रही 58 लोगों की मौतः
कांग्रेसी नेता एडवोकेट शिवानी चौपड़ा ने कहा कि केजरीवाल सरकार के खिलाफ अपने कर्तव्यों को जानबूझ कर निर्वहन न करने का अपराधिक मामला सीधे तौर पर बनता है। उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के कमजोर होने के कारण प्रदूषण खतरनाक स्थिति में पहुचा है जिसके चलते 58 व्यक्ति प्रतिदिन मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि इस सरकार पर लोगों को जानबूझ कर मरने का मामला भी दर्ज होना चाहिए।
इलेक्ट्रिक बसें लाने में फेल रही सरकारः
कांग्रेस नेता मुदित अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने दिल्ली में मेट्रों नही चलाई होती और सीएनजी बसों को डीटीसी बेड़े में शामिल नही किया होता तो आज दिल्ली में प्रदूषण की उस भयावह स्थिति का आंकलन करके शहर के लोग अपने आप से डरने लगते। उन्हेंने कहा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसे चलाने में पूरी तरह फेल साबित हुई है।