-अपने पुत्र-पुत्रियों को चुनाव मैदान में उतारने जा रहे बड़े नेता
-कालाकाजी से अपनी बेटी को लड़ाएंगे अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा

विवेकानंद बाइजोडिया/ नई दिल्ली
अब तक तो गांधी परिवार के ऊपर ही कांग्रेस में वंशवाद को बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं। सियासी मंचों पर वंशवाद को बढ़ावा देने के लिए गांधी परिवार की खूब आलोचना होती रही है। लेकिन अब राजधानी में अपनी खोई सियासी जमीन तलाश रही कांग्रेस के नेताओं पर भी वंशवाद का बुखार सिर चढ़कर बोल रहा है। चर्चा है कि पार्टी के कई बड़े नेता अब खुद के बजाय अपने बेटे या बेटी को विधानसभा के चुनावी समर में उतारना चाहते हैं। इसको लेकर दिल्ली कांग्रेस में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले ही बगावत की चिंगारियां सुलगना शुरू हो गई हैं।
अपने बेटे या बेटी को विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुटे नेताओं में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा के साथ पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल, पूर्व विधायक हसन अहमद, पूर्व सांसद महाबल मिश्रा, पूर्व सांसद सज्जन कुमार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास़्त्री, पूर्व विधायक पूर्व विधायक विजय लोचव, पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार, पूर्व विधायक शीषपाल सहित एक दर्जन से ज्यादा नेताओं के नाम शामिल हैं।
कांग्रेसी सूत्र बताते हैं कि ऐसे नेताओं में सबसे पहला नाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा का ही है। चोपड़ा अपनी परंपरागत कालकाजी विधानसभा सीट से अपनी बेटी शिवानी को चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि चोपड़ा पहले अपनी बेटी पूजा को चुनाव लड़वाना चाहते थे, लेकिन पूजा ने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। इसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी बेटी शिवानी को विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी कर ली है।
पूर्व सांसद जय प्रकाश अग्रवाल अपने बेटे मुदित अग्रवाल को विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं ताकि वह उनकी विरासत को संभाल सकें। इसी तरह पूर्व सांसद सज्जन कुमार अपने बेटे जगप्रवेश कुमार, पूर्व विधायक अपने बेटे हर्ष चौधरी, पूर्व विधायक अपने बेटे अली हसन, पूर्व विधायक विजय लोचव अपने बेटे रणविजय लोचव, पूर्व सांसद महाबल मिश्रा अपने बेटे विनय मिश्रा को चुनाव लड़ाने के लिए टिकट के जुगाड़ में लगे हैं।
प्रदेश कांग्रेस के एक पदाधिकारी के मुताबिक कांग्रेस भले ही आम आदमी पार्टी से अपना वोट बैंक वापस पाने की कोशिश में जुटी हो, लेकिन पार्टी के नेता ऐसे में अपने बेटे और बेटियों के लिए सियासी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास़्त्री अपनी बेटी प्रियंका सिंह को विधानसभा चुनाव में उतारना चाहते हैं तो वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चौधरी प्रेमसिंह के दोनों बेटों के बीच पिता की सियासी विरासत संभालने के लिए झगड़ा चल रहा है।
पार्टी में बगावत की आशंका!
कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि यदि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेताओं के दबाव में उनकी परंपरागत सीटों से उन्हीं के बेटों-बेटियों को टिकट दे दिया गया तो पार्टी में घमासान की स्थिति बन सकती है। कई ऐसे नेता हैं जो इन्हीं परंपरागत सीटों से चुनाव के लिए टिकट के दावेदार हैं। यदि वंशवाद चला तो चुनाव के मौके पर पार्टी में बगावत हो सकती है। ऐसे में एक बार फिर से कांग्रेस को दिल्ली में 2015 जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि आम आदमी पार्टी की हवा के चलते 2015 में कांगं्रेस दिल्ली की 70 सीटों में ज्यादातर पर अपनी जमानत जब्त करवा बैठी थी।