-गोयल चिल्लाते रहे… तो तिवारी मुस्कुराते रहे!
-राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की हिदायतः हद में रहें तिवारी!
परफैक्ट न्यूज ब्यूरो/ नई दिल्ली
दिल्ली बीजेपी नेताओं के बीच चल रहे विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे। मंगलवार को दिल्ली बीजेपी नेतृत्व और वरिष्ठ नेताओं के बीच जमकर जूतमपैजार हुई। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल के बीच बस नौबत हाथापाई की नहीं आई। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में विजय गोयल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के ऊपर जमकर बरसे। दरअसल विजय गोयल का गुस्सा मनोज तिवारी द्वारा सोमवार को मनोज तिवारी द्वारा उत्तरी दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति अध्यक्ष जय प्रकाश को उपाध्यक्ष पद से हटाने जाने को लेकर था। मनोज तिवारी ने जय प्रकाश (जेपी) को हटाने के साथ प्रदेश संगठन में दो बदलाव और किए थे। हमेशा की तरह मनोज तिवारी और विजय गोयल प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।
बता दें कि मंगलवार को प्रदेश भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में कोर कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक को लेने के लिए राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष पंत मार्ग स्थित भाजपा कार्यालय पहुंचे थे। बैठक में बीएल संतोष के साथ प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, सह प्रभारी तरूण चुग, प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, राज्यसभा सांसद विजय गोयल, सांसद प्रवेश वर्मा और मीनाक्षी लेखी, विधानसभा में प्रतिप्रक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता, प्रदेश महामंत्री रविंद्र गुप्ता और पूर्व विधायक पवन शर्मा पहुंचे थे। पार्टी के चार सांसद संसद और पारिवारिक व्यस्तताओं के चलते बैठक में नहीं पहुच पाए थे।
बैठक 22 दिसंबर को राजधानी के रामलीला मैदान में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली की तैयारियों के संबंध में बुलाई गई थी। लेकिन बैठक शुरू होते ही राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने ऐन चुनाव के मौके पर प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के द्वारा प्रदेश उपाध्यक्ष को पद से हटाए जाने और संगठन में दो और बदलाव किए जाने की चर्चा छेड़ दी। दरअसल विजय गोयल तिवारी के इस निर्णय को लेकर बेहद गुस्से में थे। विजय गोयल ने मनोज तिवारी को बीएल संतोष की मौजूदगी में ही खूब खरी-खोटी सुनाईं। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक विजय गोयल खूब चिल्लाते रहे और मनोज तिवारी इस दौरान मुस्कुराते नजर आए।
भाजपा से जुड़े शीर्षस्थ सूत्रों का कहना है कि मामला बिगड़ता देख राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने भी प्रदेश भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष मनोज तिवारी को हिदायत दी। उन्होंने तिवारी से कहा कि जब तिवारी को ही सारे निर्णय लेने हैं तो इन बैठकों का कोई औचित्य नहीं है। बताया जा रहा है कि संतोष ने तिवारी को यह हिदायत भी दी है कि वह चुनाव के मौके पर इस तरह के निर्णय नहीं लें।
प्रदेश की चलती बैठक से ही तिवारी ने किया ट्वीटः
बता दें कि जय प्रकाश (जेपी) को उपाध्यक्ष पद से हटाए जाने और दो अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति व हटाने का निर्णय मनोज तिवारी ने सोमवार को लिया था। खास बात है कि जिस समय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इस निर्णय से संबंधित ट्वीट किया, उस समय प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदेश कार्यकारिणी की साप्ताहिक बैठक चल रही थी। जिन पदाधिकारियों के बारे में मनोज तिवारी ने ट्वीट किया वह उसी बैठक में मौजूद थे। बैठक से निकलते ही उन पदाधिकारियों को पता चला कि उन्हें उनके पदों से हटा दिया गया है। ऐसे में प्रदेश भाजपा संगठन में पुराने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीच तिवारी के निर्णयों को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है।
कोर कमेटी में आए लेकिन तिवारी की बैठक में नहीं गए प्रवेश वर्माः
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी की मनमानी को लेकर प्रदेश बीजेपी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में ही नहीं बल्कि दिल्ली के सांसदों में भी नाराजगी बढ़ती जा रही है। मंगलवार को हुई बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में सात में से चार सांसद नहीं पहुंचे। कोर कमेटी की बैठक में उठे गोयल और तिवारी के बीच विवाद के बाद पश्चिमी दिल्ली से सांस प्रवेश वर्मा अपने ही क्षेत्र मे होने वाली पार्टी की रैली में मनोज तिवारी का साथ देने नहीं पहुंचे। बताया जा रहा है कि मनोज तिवारी की कार्यशैली को लेकर सांसदों में नाराजगी है। बताया जा रहा है कि सांसद प्रवेश वर्मा के संसदीय क्षेत्र में कार्यक्रम रखते समय मनोज तिवारी या उनकी टीम के किसी सदस्य ने सांसद प्रवेश वर्मा को भरोसे में नहीं लिया था। इसलिए प्रवेश वर्मा इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे।
कन्नी काटते नजर आए प्रदेश भाजपा प्रवक्ताः
मंगलवार को दिल्ली प्रदेश बीजेपी कार्यालय में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल के बीच हुई जूतमपैजार को लेकर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता कन्नी काटते नजर आए। दिल्ली बीजेपी मीडिया विभाग में प्रमुख भूमिका निभाने वाले अधिकारियों ने प्रत्रकारों के फोन ही नहीं उठाए।