नई दिल्ली – स्विट्जरलैंड के विलार्स इंस्टीट्यूट (वीआई) में स्थित ग्लोबल लर्निंग काउंसिल (जीएलसी) ने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की है, जहां शिक्षा को वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक बनाया जा सके और भारत, ब्राज़ील, रवांडा तथा केन्या जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। इस पहल का उद्देश्य है, प्रणालीगत परिवर्तन और विभिन्न पीढ़ियों के बीच सहयोग के ज़रिये अगली पीढ़ी के नेतृत्व को बढ़ावा देना।भारत में, जीएलसी और वीआई ने स्कूलनेट इंडिया के साथ साझेदारी की है, जो प्रौद्योगिकी के माध्यम से पठन-पाठन के बेहतर परिणाम के लिए समर्पित अग्रणी संगठन है। स्कूलनेट की विशेषज्ञता और 100,000 स्कूलों के व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाते हुए, इस साझेदारी के तहत पहले साल में 50,000 छात्रों और शिक्षकों को प्रभावित करने और पांच साल के भीतर 10 मिलियन छात्रों तक पहुंच बनाने की योजना है।
स्कूलनेट और जीएलसी ने पिछले छह महीनों में संयुक्त रूप से स्कूली छात्रों के लिए तीन परिवर्तनकारी पहलें शुरू की हैं जिनमें अखिल भारतीय आईडियाथॉन, इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (आईबी) के सहयोग से किफायती निजी स्कूलों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम और जलवायु नेतृत्व पर एक पाठ्यक्रम का विकास शामिल हैं।इकोइनोवेटर्स आइडियाथॉन का ग्रैंड फिनाले नई दिल्ली में 24 जनवरी, 2025 को इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित किया गया था। इस प्रतियोगिता ने छात्रों को वायु और जल प्रदूषण या अपशिष्ट प्रबंधन जैसी दबावपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों की पहचान करने और एआई, आईओटी तथा रोबोटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग कर नवोन्मेषी समाधान पेश करने के लिए प्रोत्साहित किया। यह चैलेंज 800 से अधिक स्कूलों के प्रतिभागियों के साथ शुरू हुआ, जिसे 100 टीमों तक सीमित कर दिया गया, जिन्हें मास्टरक्लास के माध्यम से विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, और शीर्ष 10 टीमों ने ग्रैंड फिनाले में अपने समाधान प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम में विविध भौगोलिक क्षेत्रों और शैक्षणिक बोर्ड (आईबी, सीबीएसई और राज्य बोर्ड) के स्कूलों का प्रतिनिधित्व रहा और छात्रों ने रचनात्मक, प्रौद्योगिकी-संचालित परियोजनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रदर्शन किया गया। इस कार्यक्रम को एचपी ने प्रायोजित किया था।दिल्ली पब्लिक स्कूल इलेक्ट्रॉनिक सिटी, बेंगलुरु, कर्नाटक के श्रेयस अग्गासरे और नक्षत्र की प्रतिनिधित्व वाले टीम, वैनगार्ड ने एक असाधारण प्रोजेक्ट के साथ जीत हासिल की, जिससे उन्हें जून 2025 में स्विट्जरलैंड में विलार्स सिम्पोजियम में अपना काम प्रस्तुत करने का अवसर मिला और इस तरह उन्हें वैश्विक मान्यता मिली। आईआईटी मद्रास, टेरी, ग्रोक लर्निंग, जीआईजेड, अनकंस्ट्रेन्ड, एक आईबी स्कूल और न्यूयॉर्क स्थित श्योर स्टार्ट के प्रतिनिधियों वाले एक प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल ने विजेताओं का चयन किया।इस कार्यक्रम में दिल्ली/एनसीआर के स्कूलों के 250 से अधिक छात्रों ने भाग लिया, जिन्होंने स्कूलनेट के एआई-आधारित कक्षा समाधान, जीनो ऐप द्वारा संचालित एक इंटरैक्टिव क्विज़ में भी भाग लिया। आइडियाथॉन के फाइनलिस्ट और क्विज़ प्रतिभागियों को कुल 1.5 लाख रुपये के नकद पुरस्कार भी मिले।
स्कूलनेट और जीएलसी एंड वीआई ने इसके अलावा स्कूलों में शिक्षकों को सशक्त बनाने के लिए आईबी के साथ अपना सहयोग शुरू किया। दोनों संस्थानों की संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया, “इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (आईबी) का उद्देश्य है, बच्चों को जिज्ञासु, ज्ञानी और परवाह करने वाले युवाओं में तब्दील करना जो अंतर-सांस्कृतिक समझ और सम्मान के ज़रिये अधिक शांतिपूर्ण दुनिया के लिए प्रयास करते हैं। आईबी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए शिक्षकों, स्कूलों, सरकारों और संगठनों के साथ मिलकर उच्च गुणवत्ता वाले अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करता है जिसके तहत आलोचनात्मक सोच और सीखने के प्रति आजीवन प्रेम को प्रेरित किया जाता है। हमें भारत में शैक्षणिक अवसरों को बढ़ाने के लिए आईबी के साथ स्कूलनेट के सहयोग को साझा करने की खुशी है। इस साझेदारी का उद्देश्य है, निजी स्कूलों में आईबी कार्यक्रम शुरू करना, शिक्षकों के लिए अभिविन्यास सेमिनार आयोजित करना और पेशेवर शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना। हमारी यह पहल अपनी विशेषज्ञता के आधार पर शिक्षकों को सशक्त बनाने, छात्रों को प्रेरित करने और आजीवन सीखने की वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास करती है एक अन्य मुख्य आकर्षण था, कक्षा 6-8 के छात्रों के लिए जलवायु नेतृत्व पर एक पाठ्यक्रम का शुभारंभ, जिसे जीएलसी/वीआई और स्कूलनेट ने मिलकर तैयार किया था। यह व्यावहारिक कार्यक्रम भविष्य के जलवायु नेतृत्व को पोषित करने के लिए सिस्टम नेतृत्व और पृथ्वी की सीमा के सिद्धांतों से प्रेरित पर्यावरण संरक्षण पर जोर देता है।केंद्रीय स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव, श्री संजय कुमार इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे और उन्होंने यहां प्रस्तुत नवोन्मेषी विचारों (आईडिया) की प्रशंसा की और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में एआई और आईओटी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों की भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने छात्रों को सशक्त बनाने के लिए साझेदारी की शक्ति को स्वीकार किया और इन पहलों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार का समर्थन ज़ाहिर किया।दुबई केयर्स के मुख्य कार्यकारी और उपाध्यक्ष, डॉ. तारिक अल गुर्ग ने इस मौके पर वैश्विक शिक्षा प्रणाली में सुधार के संबंध में अपना दृष्टिकोण साझा किया और जीएलसी/वीआई तह स्कूलनेट के साथ साझेदारी में इन पहलों को मेना क्षेत्र तक विस्तारित करने के बारे में उत्साह व्यक्त किया।ग्लोबल लर्निंग काउंसिल के संस्थापक और अध्यक्ष, डॉ. सुब्रा सुरेश ने भारत में जीएलसी के दृष्टिकोण को लागू करने के लिए स्कूलनेट के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा, यह साझेदारी अलग-अलग पीढ़ियों के बीच सहयोग का उपयोग कर पृथ्वी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के हमारे मिशन के अनुरूप है। यह आइडियाथॉन जीएलसी और विलार्स इंस्टीट्यूट के दृष्टिकोण के अनुरूप है जो छात्रों के बीच वहनीयता और प्रौद्योगिकी से प्रेरित समस्या-समाधान की मानसिकता को पोषित करने पर केंद्रित है।डॉ. सुरेश ने इन पहलों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की केंद्र और राज्य सरकारों के साथ सहयोग करने की उत्सुकता भी व्यक्त की।स्कूलनेट इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी, आरसीएम रेड्डी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और स्कूलनेट के व्यापक दृष्टिकोण के साथ इन पहलों के ताल-मेल पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा,इस तरह की पहल उन्नत प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाने के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है। हम अगले पांच साल में 10 मिलियन छात्रों पहुंच बनाने के लिए ‘ग्लोकल’ साझेदारी का एक परितंत्र बनाना चाहते हैं। श्री रेड्डी ने प्रभावशाली शैक्षणिक नवोन्मेषों को बढ़ावा देने के लिए जीएलसी-वीआई, भारत सरकार और अन्य भागीदारों के साथ काम करने के लिए स्कूलनेट की प्रतिबद्धता को दृढ़ता से दोहराया।