-लोकल शोपिंग सेन्टर के तहत डीडीए ने दी शुल्क से छूट
-शहरीकृत घोषित किए गए राजधानी के 81 गांव
-200 वर्गमीटर तक के प्लॉटों को मिलाकर बना सकेंगे मकान
-स्कूल व संगठनों को लीज के बजाय फ्रीहोल्ड मिलेंगे प्लाट

परफैक्ट न्यूज ब्यूरो/नई दिल्ली
विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली वालों को बड़ा तोहफा दिया है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने राजधानी के 100 बाजारों को कनवर्जन चार्ज से छूट दे दी है। इसके अलावा अब 200 वर्ग मीटर तक के दो प्लाटों को मिलाकर मकान या हाउसिंग सोसायटी बनाई जा सकेगी। इसके साथ ही स्कूल व सामाजिक संगठनों को दी जाने वाली जमीन अब लीज के बजाय फ्रीहोल्ड कर दी गई है। इसके साथ ही दिल्ली के 81 गांवों को रूरल के बजाय अब शहरीकृत की श्रेणी में घोषित किया गया है।
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और डीडीए में सदस्य विजेन्द्र गुप्ता ने इस मामले में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कारोबार में सुगमता और रोजगार के अवसर पैदा करने के संकल्प को डीडीए ने लागू किया है। इन कदमों से दिल्ली के विकास को गति मिलेगी। दिल्ली में लोकल शॉपिंग सेन्टर के तहत करीब 100 मार्किटों से कन्वर्जन शुल्क को समाप्त करना, घरेलू औद्योगिक इकाईयों को अनिवार्य लालफीताशाही से मुक्त करना, 81 गांवों को शहरी घोषित करना, 200 वर्गमीटर तक के प्लॉटों का समामेलन (अमलगेशन) की अनुमति देना तथा संस्थागत श्रेणी के प्लाटों को भविष्य में लीजहोल्ड पर न नीलाम कर फ्रीहोल्ड आधार पर नीलाम करना आदि ऐसे निर्णय हैं जिनसे दिल्ली वालों को बड़ी सहूलियत मिली है। इस मौके पर बीजेपी विधायक ओम प्रकाश शर्मा भी मौजूद रहे।
विजेन्द्र गुप्ता के मुताबिक शॉप-कम-आवास प्लॉटों, परिसरों, दुकानों के प्लाटों को कन्वर्जन शुल्क से मुक्त कर दिया गया है । इस श्रेणी में दिल्ली के लगभग 100 मार्किट आते हैं। इनमें ग्रेटर कैलाश-।। का एम ब्लॉक मार्किट, डिफेंस कालोनी मार्किट तथा सुन्दर नगर मार्किट आदि शामिल हैं। इन परिसरों में वाणिज्यिक प्रयोगों के साथ-साथ रिहायशी प्रयोग की भी मंजूरी थी।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि आवासीय क्षेत्रों में चल रहे या नए स्थापित किये जाने वाली घरेलू औद्योगिक इकाईयों के सिर से अनिवार्य अनुमतियों की तलवार हटा ली गई है। विद्यमान प्रावधानों के अंतर्गत 9 कर्मचारियों और 11 किलोवाट पावर सहित घरेलु औद्योगिक ईकाइयों को आवासीय क्षेत्र में जारी रखने के लिए दिल्ली सरकार के श्रम और उद्योग विभागों के साथ-साथ दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से वैधानिक स्वीकृति आवश्यक थी। संशोधित नियमों के लागू हो जाने के उपरान्त अब इन ईकाइयों को इन विभागों से मंजूरी लेने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन ईकाइयों के कारण वातावरण पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि अब दिल्ली सरकार की उच्च शक्ति प्राप्त कमेटी को खत्म करना जरूरी हो गया है। क्योंकि अभी तक इस कमेटी ने किसी भी घरेलू इकाई को स्वीकृति नहीं दी है। केजरीवाल सरकार की इस कमेटी के पास बड़ी संख्या में आवेदन आए हैं। लेकिन एक आवेदन को इस कमेटी ने पास नहीं किया। डीडीए के इस निर्णय के बाद दिल्ली नगर निगम को इन उद्योगों को लाईसेंस जारी करने की शक्ति मिलनी चाहिए।
बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए 81 गांवों को शहरी घोषित किया गया है। अब इन क्षेत्रों में गैर कृषि आधारित काम भी किये जा सकेंगे। इन पर निजी भूमि नीति लागू होगी। भूमि सुधार अधिनियम 1954 अब इन गावों में लागू नहीं होगा। इस अधिनियम के अन्तर्गत सभी लंबित मामले वापिस ले लिए जाएंगे। इन सुधारों से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को तीव्र गति मिलेगी। इसके साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अब अधिकतम 200 वर्ग किलोमीटर तक के दो प्लॉटों को मिलाकर निर्माण करने की छूट दे दी है। अब तक यह सीमा 64 वर्ग मीटर तक के दो प्लाटों को मिलाकर निर्माण करने की थी। अब ले-आउट प्लान में भी संशोधन किया जाएगा।