नई दिल्ली – धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में सर्जन्स ने अत्याधुनिक सर्जिकल क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए एक जटिल रोबोटिक पैंक्रियाटिक सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह उन्नत मेडिकल केयर के प्रति अस्पताल की प्रतिबद्धता को दिखाता है।डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, जीआई ऑन्कोलॉजी, मिनिरल एक्सेस एंड बैरिएट्रिक सर्जरी के डॉ. कपिल कुमार कुर्सिवाल और डॉ. सचिन जैन ने क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस से जूझ रहे एक 44 वर्षीय मरीज पर रोबोटिक फ्रे’ज़ प्रोसीजर (लैटरल पैनक्रिएटियो-जेजुनोस्टोमी) को पूरा किया। यह एक बेहद नाजुक प्रक्रिया है, जिसे पारंपरिक तौर पर ओपन सर्जरी के जरिये किया जाता है। रोबोटिक सर्जरी में इस प्रक्रिया को अत्याधुनिक रोबोटिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पूरा किया गया, जो बेहद कम चीर-फाड़ वाली सर्जिकल तकनीकों में अस्पताल की विशेषज्ञता को दर्शाता है।सीनियर कंसल्टेन्ट और सर्जिकल टीम के लीड डॉ. कपिल कुमार ने कहा, ‘‘यह सफल सर्जरी पेट की पेचीदा स्थितियों के उपचार में एक महत्वपूर्ण प्रगति दर्शाती है। रोबोटिक सहायता का इस्तेमाल करते हुए, हमने अभूतपूर्व सटीकता एवं नियंत्रण हासिल किया, जिससे हमारे मरीज को बेहतर नतीजे मिल सके। मरीज को पेट में तेज दर्द होता था और छह महीने तक उसे बार-बार अस्पताल जाना पड़ा, लेकिन इस सर्जरी के बाद इसमें काफी अच्छी रिकवरी देखने को मिली। पारंपरिक रूप से इस विधि में ठीक होने के लिये अधिक समय लगता है, लेकिन जटिलता के बावजूद ऑपरेशन के दूसरे दिन ही मरीज अपने पैरों पर चलने लगा। चार दिनों के भीतर उसे छुट्टी भी मिल गई।
मामले से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:
– जटिल पैंक्रीयाटिक सर्जरी के लिये रोबोटिक सर्जरी का आधुनिक तरीका
– पारंपरिक रूप से चीर-फाड़ वाली विधि के लिये न्यूनतम चीर-फाड़ वाली तकनीक
– मरीज तेजी से ठीक हुआ और जल्दी ही चलने-फिरने लगा
– अस्पताल में भर्ती रहने का समय काफी कम हुआ
– रोबोटिक सहायता से सर्जरी में ज्यादा सटीकता मिली
यह उपलब्धि धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल को भारत में चिकित्सकीय उत्कृष्टता के एक केन्द्र के रूप में स्थापित करती है। उन्नत रोबोटिक सर्जिकल प्रणालियों में इस अस्पताल का निवेश और विशेषज्ञ मेडिकल टीम पेचीदा मामलों में इलाज के बेहतर नतीजे देती है। इस कारण मरीज को ठीक होने में भी कम समय लगता है।इस विधि की सफलता पुराने पैंक्रियाटाइटिस और पेट की दूसरी पेचीदा स्थितियों वाले मरीजों के लिये नई संभावनाएं देती है। वे इलाज के बेहतर विकल्पों की आशा कर सकते हैं, जिनमें ठीक होने में कम समय लगेगा और जीवन की गुणवत्ता सुधरेगी।
