नई दिल्ली- इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स का उद्घाटन हुआ। यह संस्था उन कंपनियों का एक संघ है जो रिवर्स लॉजिस्टिक्स डोमेन में सक्रिय हैं तथा ई-व्यर्थ के संग्रहण और चैनलीकरण को बढ़ावा देकर हरित आपूर्ति श्रृंखला के विकास द्वारा सर्कुलर इकोनोमी में योगदान देना चाहती हैं। ज्ञात है कि रिवर्स लॉजिस्टिक्स हरित आपूर्ति श्रृंखला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है, यह अनौपचारिक सेक्टर एवं अंतिम उपभोक्ताओं से इलेक्ट्रॉनिक स्क्रैप के संग्रहण एवं चैनलीकरण को बढ़ावा देकर पर्यावरण के अनुकूल डिस्पोजल को सुनिश्चित करती है, जिसमें अनौपचारिक सेक्टर हब एण्ड स्पोक मॉडल,एक्सटेंडेड प्रोड्युसर रिस्पॉन्सिबिलिटी ईपीआर फ्रेमवर्क और इनोवेशन्स का उपयोग किया जाता है। डॉ विजय सिंघल, सेवानिवृत्त सीईई आरपीसीबी भी इस मौके पर मौजूद थे, उन्होंने कहा तेजी से बढ़ती ई-व्यर्थ की मात्रा मनुष्य के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है, इसे देखते हुए सर्कुलर इकोनोमी की दिशा में जल्द से जल्द काम करने की जरूरत है। सर्कुलर इकोनोमी कई पहलुओं पर निर्भर करती है, जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग एवं डिस्पोजल,मौजूदा संसाधनों का प्रभावी उपयोग, हरित मूल्य श्रृंखला के निर्माण में विभिन्न हितधारकों की भूमिका और यह सुनिश्चित करना कि सर्कुलर इकोनोमी को बढ़ावा देने के लिए की जाने वाली गतिविधियां नौकरियों के सृजन एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकें। मिस निशा बंथ,प्रवक्ता इंडियन फेडरेशन ऑफ रिवर्स लॉजिस्टिक्स ने कहा प्रभावी नियमों और समाज के जिम्मेदाराना व्यवहार का संयोजन ई-व्यर्थ के खतरे पर लगाम लगाने और सर्कुलर इकोनेामी के निर्माण में कारगर हो सकता है। सर्कुलर इकोनोमी के लिए तय किए गए नियम इस डोमेन में जिम्मेदाराना व्यवहार की दिशा में स्पष्ट निर्देश देते हैं। ये नियम सर्कुलर इकोनोमी के संदर्भ में सामाजिक एवं कारोबारी संबंधों को परिभाषित एवं विनियमित करते हैं।