नई दिल्ली – ऑन्कोलॉजी प्लेटफार्म कार्किनोस हेल्थकेयर ने ट्रेडइंडिया के साथ साझेदारी में कैंसर स्क्रीनिंग और बीमारी का जल्द से जल्द पता लगा पाने के लिए डिटेक्शन सेवाओं के लिए सामुदायिक पहुँच शिविर का आयोजन किया था।आंकड़ों के अनुसार, भारत में 10 में से 1 महिला का सर्वाइकल कैंसर टेस्ट पॉज़िटिव आता है। महिलाओं में पाया जाने वाला यह दूसरा सबसे आम कैंसर है। लेकिन इसे पूरी तरह से रोका जा सकता है भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएमआर के अनुमानों के अनुसार,अगले पांच वर्षों तक भारत में कैंसर के मामलें 12 फीसदी बढ़ेंगे और इनमें स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और मुंह का कैंसर सबसे आम प्रकार है।इन सबसे महत्वपूर्ण आंकड़ों की वास्तविकता यह है कि, हमारी अज्ञानता या जागरूकता की कमी के कारण कई वर्षों से कैंसर महामारी की तरह बढ़ रहा है। जब की अधिकतम लोग इसके प्रभाव को लेकर चुप रहे हैं, दुनिया भर की आबादी में इस बीमारी के मामलों की संख्या बढ़ रही है। कार्किनोस का ट्रेडइंडिया के साथ यह सहयोग वंचित समुदायों की महिलाओं को परीक्षण सुविधा दिलाने में मदद करेगा साथ ही साथ किफायती खाद्य श्रृंखला के ज़रिए उन्हें भी मदद करेगा जिन्हें इस बीमारी की सबसे बड़ी कीमत देनी पड़ती है। जानकारी की कमी या गरीबी के कारण, वे इस बीमारी के सबसे अधिक पीड़ित होते हैं और उनके लिए मृत्यु यह एक ही विकल्प बच जाता है।डॉ एस एम रहेजा ने इस पहल पर टिपणी करते हुए कहा,कैंसर एक जानलेवा बीमारी है और वंचित समुदायों के लोग हमारे अधिकांश नियमित चिकित्सा लाभों में फोकस के बाहर ही रह जाते हैं। कार्किनोस हेल्थकेयर और ट्रेडइंडिया ने ज़रूरत के समय पर इस पहल का कार्किनोस हेल्थकेयर के डायरेक्टर प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी डॉ आर शंकरनारायणन ने कहा,जोखिम पैदा करने वाले कारकों और कैंसर के आम प्रकारों के लक्षणों के बारे में लोगों को जानकारी देना हमारा शुरूआती दृष्टिकोण रहेगा। उसके बाद कार्किनोस हेल्थकेयर ऐसे नागरिकों को सबूतों पर आधारित इलाज प्रोटोकॉल्स के साथ सक्षम बनाएगा जिनका परीक्षण किया गया है और पता चला है कि उन्हें कैंसर है। कार्किनोस में हम मानते हैं कि हम आशा की नयी किरण ला सकते हैं और हम अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं कि हम देश के वंचित समुदायों को कैंसर स्क्रीनिंग के लाभ प्रदान कर पा रहे हैं। कैंसर रिसर्चर्स और ऑन्कोलॉजिस्ट यह तथ्य जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर पूरी तरह से रोके जाने योग्य बीमारी होने के बावजूद, ज्यादातर अर्ध-शहरी और ग्रामीण भारत में महिलाएं इस बीमारी की शिकार होती हैं। इसके सबसे बड़े कारण जागरूकता और रोकथाम की कमी, समय पर जांच और शीघ्र निदान की कमी हैं। ये पहल हमें कैंसर देखभाल में स्थायी समाधान प्राप्त करने के लक्ष्य की ओर ले जाएगी, साथ ही हमें भारत की महत्वाकांक्षी यूनिवर्सल हेल्थकेयर कवरेज योजनाओं के अनुसार अपने उद्देश्यों को निश्चित करने के लिए भी प्रेरित करेगी।