आजादी का उत्सव- के जरिये देश का 77वां स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया। हमारा विश्वास है कि डांस के जरिये मनोभाव को सबसे अच्छे तरीके से व्यक्त किया जा सकता है। इस डांस के जरिये दर्शाया गया कि भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बनने की राह पर है।स्वाधीनता किसी देश के इतिहास का वो अविस्मरणीय पल है, जो तब आता है जब देश पुरानी व्यवस्था को उखाड़ फेंकता है और अपनी नई व्यवस्था स्थापित करता है। भारत ने अपनी आवाज तब पाई जब हमारे स्वतंत्रता सेनानी ब्रिटिश आर्मी के खिलाफ लड़ने के लिए उठ खड़े हुए। मंगल पांडेय से लेकर रानी लक्ष्मी बाई तक, सुभाष चन्द्र बोस से लेकर महात्मा गांधी तक हजारों लाखों पुरुषों महिलाओं ने ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़ाई का झंडा बुलंद किया। हजारों ने भारत भूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यह आजादी जो हम आज एंजॉय कर रहे हैं, उन सबकी संयुक्त कुर्बानी का प्रतिफल है।उत्सव की शुरुआत भारत माता की वंदना ‘जननी जन्मभूमिश्च’ गायन के साथ की गई। पियानो और तबला की जुगलबंदी से बैले की आगे की परफॉर्मेंस के लिए देशभक्ति का जोशीला माहौल बन गया। इसके बाद कथक नर्तक आए, जिन्होंने सफेद गाउन में नृत्य और हाव भाव के जरिये अलौकिक छटा बिखेरी। इसके बाद डांस-ड्रामा के जरिये भारत  के स्वाधीनता संग्राम के जोशीले अंदाज में दर्शाया गया। दर्शकों ने स्वाधीनता संग्राम के संघर्ष को दिल से महसूस किया।इसके बाद ‘वन्दे मातरम्’ थीम पर ओडिसी एवं भरतनाट्यम नर्तिका ने कंटेंपरेरी परफॉर्मेंस के साथ मिलकर देश के पहले स्वतंत्रता दिवस उत्सव को मंच पर जीवंत कर दिया, जिसका दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया। इसके बाद कथक नर्तकों ने होली नृत्य से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। फिर बैशाखी फेस्टिवल के आयोजन में दर्शकों ने ग्रामीण जीवन का अनुभव किया। इसमें क्रॉप्स का सुंदर यूज़ किया गया था। बिग बटरफ़्लाई विंग्स के प्रदर्शन से ऑडियन्स ज्यादा आकर्षित हुए। फिर डांडिया के प्रदर्शन से दर्शक झूमने को मजबूर हो गए। इस मंचन में कश्मीर एवं उत्तराखंड के लोक नृत्य ने उत्तर भारत की सांस्कृतिक विविधता को मंच पर रेखांकित किया। मणिपुर के लोक उत्सव ढोल चोलम में आर्टिस्ट ने स्टिक बैलेंस और ढोल मूवमेंट से दर्शकों को खूब आकर्षित किया।इस मंच से आधुनिक योग को प्रमोट करने के लिए योग आसन के साथ एक्रो-योगा का प्रदर्शन किया गया, जिसमें लोगों को योग की शक्ति समझ में आई। इसके बाद कथक नृत्यांगनाओं ने तलवार-डांस से महिला सशक्तिकरण पर बेहतरीन प्रस्तुति दी।बिग लेड विंग्स एवं लेड बॉडी शूट के जरिये लाइट शो की प्रस्तुति ने भविष्य के भारत की उज्ज्वल डिजिटल तस्वीर पेश की।भारतीय धर्म एवं संस्कृति में डांस का पारम्परिक महत्व बहुत ज्यादा है। भारतीय जानकारों के अनुसार भगवान ने नृत्य का आविष्कार किया। नृत्य एक हिन्दू कला है क्योंकि इसमें मेलोडी, ड्रामा, फॉर्म, लाइन सबकुछ है। इस मंच पर नाट्यशास्त्र के विश्लेषण के लिए बैले में नृत्य के शास्त्रीय स्वरूपों जैसे कि भरतनाट्यम, कथक, छऊ, ओडिसी, कथकली, मणिपुरी एवं मोहिनीअट्टम का समागम किया गया।