फरीदाबाद – इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन (आईएसए) ने मिशन ब्रेन अटैक लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य स्ट्रोक की रोकथाम, तत्काल उपचार और पुनर्वास के मामलों में स्वास्थ्य पेशेवरों की जागरूकता, शिक्षा और प्रशिक्षण को पहले से बेहतर बनाना है। अभियान “ईच वन टीच वन” पूरे भारत में स्ट्रोक के मामलों में खतरनाक वृद्धि की तरफ इशारा करता है और साथ ही, देश भर में स्ट्रोक की देखभाल में सुधार के लिए विशेष प्रशिक्षण और संसाधनों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है। स्ट्रोक देशभर में लोगों की मौत और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है, जो सालाना लगभग 1.8 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है। इसके बावजूद, स्ट्रोक के लक्षणों और समय पर इसका उपचार करने के बारे में जागरूकता का स्तर अभी बहुत कम है। मिशन ब्रेन अटैक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को स्ट्रोक के लक्षणों को जल्दी पहचानने और रोगी के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए प्रभावी देखभाल प्रोटोकॉल लागू करने पर महत्वपूर्ण प्रशिक्षण देकर इस फासले को दूर करने का प्रयास करता है। स्ट्रोक के उपचार के लिए सबसे अच्छा समय 4 घंटे और 30 मिनट है। इस अवधि के दौरान समय पर चिकित्सा उपचार स्ट्रोक के प्रभाव को उलट सकता है। ‘मिशन ब्रेन अटैक’ पहल का उद्देश्य चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों को स्ट्रोक के लक्षणों को जल्दी पहचानने, प्रभावी उपचार प्रोटोकॉल लागू करने और स्ट्रोक का अनुभव करने वाले रोगियों के लिए व्यापक देखभाल प्रदान करने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना है। डॉ. निर्मल सूर्या, कंसल्टिंग न्यूरोफिजिशियन और आईएसए के अध्यक्ष ने कहा, हमारा लक्ष्य ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों के इलाज के लिए एक किफायती कैथेटर पेश करना है, जो ब्रेन स्ट्रोक से जुड़ी सर्जिकल लागत को काफी कम कर देगा। ‘मिशन ब्रेन अटैक’ के माध्यम से, हम स्वास्थ्य पेशेवरों को उन कौशलों से लैस कर रहे हैं जिनकी उन्हें ब्रेन अटैक होने पर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने की आवश्यकता होती है।