नई दिल्ली- 5वां HHRS अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 2025 ने वैश्विक सुरक्षा, सहयोग और भारत के बढ़ते प्रभाव पर महत्वपूर्ण चर्चा की। यह सम्मेलन राष्ट्रीय सुरक्षा जागरूकता मंच, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय और नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन, जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा आयोजित किया गया। सम्मेलन का मुख्य विषय था भारत और विस्तारित दक्षिण (दक्षिण-पूर्व) एशियाई देशों के बीच सहयोग की बढ़ती अहमियत। केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, मुख्य अतिथि के रूप में इस सम्मेलन में शामिल हुए। मोदी जी के नेतृत्व में भारत की सराहना पूरी दुनिया में हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सम्मेलन भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनऐसे सम्मेलन भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारी सदस्य और राष्ट्रीय सुरक्षा जागरूकता मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा,भारत सभी समाजों के कल्याण के लिए काम करता है और अहिंसा को सर्वोच्च सिद्धांत मानता है, यही कारण है कि भारत हमेशा से एक विश्वगुरु रहा है। जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. माजहर आसिफ ने भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला और इन्हें सामाजिक सद्भाव और वैश्विक एकता के स्तंभ बताया। लेफ्टिनेंट जनरल आर.एन. सिंह ने कहा,हर नागरिक को राष्ट्रीय हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए, और भारत की सांस्कृतिक और नैतिक पहचान पर बल दिया। 31 जनवरी, 2025 को सम्मेलन के दूसरे दिन डॉ. इंद्रेश कुमार ने समापन सत्र में कहा,भारत को अब वैश्विक मामलों में नेतृत्व करना चाहिए। वहीं पूर्व राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की सामूहिक कोशिशों के महत्व पर जोर दिया।केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की डॉ. गैरी डोल्मा ने भारत को अपना दूसरा घर बताते हुए आभार व्यक्त किया। वरिष्ठ पत्रकार श्री राम बहादुर ने भारत की सहनशीलता की सराहना करते हुए कहा, भारत का प्रकाश वैश्विक अंधकार को दूर करने की क्षमता रखता है।सम्मेलन में चार तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए, जिनमें आर्थिक संबंधों, उभरते रुझानों, सुरक्षा सहयोग और भारत-दक्षिण-पूर्व एशिया संबंधों में चुनौतियां और अवसरों पर चर्चा की गई।