कोविड-19 महामारी का प्रकोप और लाॅकडाउन की मार से भारत धीरे-धीरे बाहर निकल रहा है। बाजारों में भीड़ बढ़ने लगी है। लेकिन आॅनलाइन खरीदारी भी उसी अनुपात में तेजी से बढ़ रही है। घर बैठे लोगों को जरूरत की चीजें आॅनलाइन खरीदारी से ही मुहैया हो रही हैं। आने वाले दिनों में आॅनलाइन खरीदारी और ज्यादा बढ़ने वाली है, क्योंकि अक्टूबर से त्योहारी सीजन शुरू हो रहा है। दीपावली, भैया दूज और कई ज्योहार इस दौरान पडेंगे। ऐसे में लोग जमकर खरीदारी भी करेंगे। इस खरीदारी का दबाव आॅनलाइन बाजार पर भी पड़ेगा। यही कारण है कि आने वाले दिनों में आॅनलाइन मार्केटिंग एक्सपर्टस की मांग भी तेजी से बढ़ने वाली है।
कुछ घंटों में आपका मनपसंद प्रोडक्ट आपके पास पहुंचाने वाली इन साइट्स की संख्या दिनोंदिन तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में इस क्षेत्र में स्ट्रेटेजी से लेकर साइट से जुड़े तमाम ऐसे नए करियर उभर कर सामने आए हैं, जिन्हें कुछ वर्ष पहले तक शायद किसी ने सुना भी नहीं होगा। कोरोना महामारी से सबक लेते हुए अब ज्यादातर सरकारी विभाग और सेवाएं भी आॅनलाइन होती जा रही है। खास बात यह भी है कि कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण भी आॅनलाइन प्रणाली से ही जुड़ा है। जिसकी वजह से आज करोड़ों लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिला है।
बता दें कि भारत में आॅनलाइन खरीदारी करने वालों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में तेजी आई है। पहले जहां कुछ गिनी-चुनी बड़ी कंपनियां ही थीं जो लोगों को आॅनलाइन शाॅपिंग करवा रही थीं। लेकिन अब स्थानीय स्तर पर भी आॅनलाइन ट्रेडिंग जोर पकड़ती जा रही है। यहां तक कि अब तो लोगों ने अपने घरों से ही केवल एक प्रोडक्ट को लेकर खरीद-बिक्री करने लगे हैं। लाॅकडाउन के दौरान तो लोग केवल आॅनलाइन शाॅपिंग पर ही निर्भर होकर रह गए थे।
आॅनलाइन शाॅपिंग की बात करें तो भारत में ही रोजाना करीब 2.5 करोड़ से ज्यादा लोग शाॅपिंग कर रहे हैं। इस इंडस्ट्री का कारोबार आज 76 अरब डाॅलर से ज्यादा का हो चुका है। बड़े शहरों से लेकर दूर दराज के गांवों तक इंटरनेट से आॅनलाइन पहुंच आसान हुई है। अगर सिर्फ भारतीय आॅनलाइन मार्केटिंग कर रही साइट्स की ही बात करें तो अकेले ये अरबों रूपये का बिजनेस कर रही हैं। जमी जमाई साइट्स ही नहीं बल्कि अपने इनोवेशन के साथ उतरी नई साइट्स भी आॅनलाइन कारोबार में अच्छा खास मुनाफा कमा रहे हैं। आने वाले दिनों में आॅनलाइन मार्केटिंग के क्षेत्र को बड़ी संख्या में कुशल और इस क्षेत्र की पूरी जानकारी रखने वाले लोगों की जरूरत होगी। इस मांग को पूरा करना शिक्षा क्षेत्र के लिए आसान नहीं होगा। कंपनियों को ऐसे लोगों की जरूरत होती है, जिन्हें आॅनलाइन कामकाज की पूरी समझ हो। भविष्य में पैदा होने वाली भारी मांग के चलते उद्योग के लिए इस क्षेत्र की जरूरतों के अनुरूप कुशल लोगों की टीम तैयार करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।

रोजगार के अवसर
ऑनलाइन मार्केटिंग की दुनिया बहुत बड़ी हो गई है। इसमें रोजगार की भी अपार संभावनाएं बनी हुई हैं। जैसे कि ई-बिजनेस एडवाइजर, डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर, सप्लाई चेन मैनेजर, बिजनेस एनालिस्ट, प्रोजेक्ट मैनेजर, कस्टमर रिलेशन मैनेजर, वेब डेवलपर, एडवाइजर, टीम लीडर वहीं एक अच्छे एंटरप्रिन्योर का भी विकल्प है। आॅनलाइन ट्रेडिंग की वजह से मार्केटिंग, फाइनेंस, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउस, ग्राफिक्स के क्षेत्र में जॉब के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
ऑनलाइन मार्केटिंग में करियर के कुछ विकल्पः-

डेटा एनालिस्टः
ऑनलाइन ट्रेडिंग के कस्टमर्स की बढ़ती संख्या और बढ़ते दायरे ने देश में डेटा एनालिसिस के काम को काफी तेजी से बढ़ाया है। दरअसल डेटा एनालिस्ट कंपनी के डेटा को न सिर्फ सुरक्षित रखते हैं, बल्कि उसका सही तरीके से विश्लेषण भी करते हैं। साथ ही उपभोक्ताओं के डेटा के बारे में संपूर्ण जानकारी रखना, उनसे बेहतर तालमेल बनाए रखने में डेटा एनालिस्ट अहम भूमिका निभाते हैं। ऑनलाइन मार्केट में इनकी काफी डिमांड है। ऑनलाइन सेक्टर के बढ़ते दायरे की वजह से आने वाले वर्षों में इसमें और बेहतर मौके मिलेंगे।

एसएमएम (सोशल मीडिया मैनेजर)ः
सोशल मीडिया मैनेजर अपने ब्रांड के क्राइसिस सॉल्यूशन को भी बेहतर ढंग से सुलझाने में मददगार है। यानी सोशल मीडिया मैनेजर का काम कस्टमर एवं क्लाइंट के बीच बेहतर संपर्क स्थापित करना है। ये अपने ऑनलाइन मार्केटिंग साइटस प्रभावी एवं औपचारिक तरीकों से प्रोमोशन में जुटे रहते हैं। ये टू वे कम्युनिकेशन का काम करता है। अपनी कंपनी के लिए सही चैनल तलाशता है, फिर अपने प्रोडक्ट को अर्थपूर्ण योजना के साथ लोगों के सामने पेश करता है। सोशल मीडिया मैनेजर न्यू मीडिया के तहत आता है। यह वेब जर्नलिज्म से ही जुड़ा है। कई संस्थानों ने इसके लिए अलग कोर्स भी शुरू किए हैं। कुछ समय पहले इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने वैट मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिल कर इंडिया का पहला सोशल मीडिया कोर्स शुरू किया है। सोशल नेटवर्किंग साइट पर किसी ब्रांड की प्रस्तुति सोशल मीडिया यूजर के दिमाग पर पॉजिटिव एवं निगेटिव, दोनों ही प्रभाव छोड़ सकती है। ऐसे में अपने ब्रांड के पॉजिटिव प्रभाव के लिए सही प्रस्तुति अहम होती है। जिसे अनुभवी सोशल मीडिया मैनेजर ही प्रस्तुत कर सकता है।

एसएमओ (सोशल मीडिया ऑप्टिमाइजर)ः
सोशल मीडिया ऑप्टिमाइजर यानी एसएमओ का कार्य दुनिया भर में मौजूद सोशल मीडिया साइट्स के जरिए ऑनलाइन मार्केटिंग पोर्टल के लिए टै्रफिक जुटाना होता है। यानी सोशल मीडिया के जरिए क्लाइंट वेबसाइट के लिए हिट्स बढ़वा कर रैंकिंग में सुधार करना होता है। यह काम निजी तौर पर किया जा सकता है तो किसी कंपनी से जुड़ कर भी। निजी तौर पर करने से फायदा यह होता है कि आप कई क्लाइंट लेकर अधिक पैसा कमा सकते हैं। कंपनी से जुड़े तमाम अपडेट्स को दुनियाभर में फैले उनके टारगेट ऑडियंस तक पहुंचाना ही एसएमओ का काम होता है। इन्हीं के बूते किसी भी पेज के लाइक करने वालों की संख्या लाखों-करोड़ों तक पहुंचती है।

लॉजिस्टिक सर्विसः
ऑनलाइन ट्रेडिंग के कारण लॉजिस्टिक्स फील्ड को तेजी से उभरने का मौका मिला है। इन कंपनियों के लिए प्रोडक्ट की डिलीवरी भी किसी चुनौती से कम नहीं होती। एमजौन, स्नैपडील, जबॉन्ग, मिंत्रा जैसी तमाम ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां प्रोडक्ट बुकिंग तो ऑनलाइन करती हैं, लेकिन उन प्रोडक्ट्स की सही पैकिंग से लेकर ग्राहकों तक उनकी सुरक्षित डिलीवरी का सारा दारोमदार लॉजिस्टिक्स के कंधो पर ही होता है। इस सेक्टर में बुकिंग मैनेजर, प्रोडक्ट मैनेजर, कस्टमर केयर एग्जिक्यूटिव, डिलीवरी बॉय जैसे तमाम पदों पर भर्ती काफी तेजी से हो रही हैं। अब तो कई ऑनलाइन टेªडिंग कंपनियां खुद की लॉजिस्टिक सर्विस भी शुरू कर रही हैं।

कैसे-कैसे कोर्सः
इस क्षेत्र में सेल्स, इंवेंट्री मैनेजमेंट, कस्टमर सर्विस एवं डिस्ट्रब्यूशन जैसे विषयों की पढ़ाई की जाती है। हालांकि विभिन्न संस्थानों के कोर्स के पाठ्यक्रम अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा ई-बिजनेस सिक्योरिटी, परचेज, कस्टमर सर्विस, लॉजिस्टिक, आॅफ्टर सेल सर्विस के कोर्स में शामिल हैं। कई संस्थान स्पेशलाइज्ड कोर्स भी करवा रहे हैं। जैसे बीएससी (ई-बिजनेस), एमबीए (ई-बिजनेस), एमबीए (ई-कॉमर्स), एमएससी (ई-कॉमर्स), पीजी डिप्लोमा इन ई-कॉमर्स आदि हैं।

योग्यता और दाखिलाः
कोर्स में प्रवेश के लिए संस्थानों की अलग-अलग प्रक्रिया है। कुछ संस्थान मेरिट के आधार पर, तो कुछ प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला देते हैं। ग्रेजुएट कोर्स के लिए इंटरमीडिएट की परीक्षा 50 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। इस कोर्स की अवधि तीन साल होती है। वहीं पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए छात्र को एक ग्रेजुएट डिग्री या नियमों के तहत स्थापित किसी विश्वविद्यालय/ संस्थान/कॉलेज से उसके समकक्ष कोर्स उत्तीर्ण किया हो। इन कोसेर्ज की अवधि दो साल होती है। एमबीए ई-कॉमर्स और एमएससी ई-कॉमर्स कुछ ही संस्थानों में कराया जाता है। इसके अलावा कुछ संस्थान शॉर्ट टर्म कोर्स भी कराते हैं।

सेलरीः
सेलरी इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कौनसा कोर्स किया है। ग्रेजुएट छात्र जहां 25 से 35 हजार रुपये मासिक कमाते हैं। वहीं पोस्टग्रेजुएट जैसे एमबीए के बाद छात्रों को मासिक 30 से 50 हजार रुपये तक वेतन मिल रहा है। कैम्पस प्लेसमेंट के दौरान आप पर भी यह निर्भर करता है कि आपको कितने वेतन की पेशकश की गई है। संस्थान कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर इस क्षेत्र पर केंद्रित कोर्स की कमी के कारण कुशल लोगों की संख्या सीमित है।

संस्थान
वेब ब्रेन्स डिजिटल मार्केटिंग इन्सटीट्यूट

सिम्बायोसिस इंस्टिट्यूट ऑफ बिनेस मैनेजमेंट

देवीप्रसाद गोयनका मैनेजमेंट कॉलेज

बॉक्स

भारत का ऑनलाइन मार्केटिंग का बाजार 2021 में लगभग 76 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। 2020 में यह बाजार करीब 32 अरब डाॅलर की सीमा के पार जा चुका है। वहीं इस क्षेत्र में लगभग 14 लाख रोजगार पैदा होने का अनुमान है। फिलहाल भारत के इस कारोबार पर फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, मिंत्रा जैसी कंपनियों का वर्चस्व बना हुआ है। विदेशी कंपनियों में ईबे, एमेजॉन जैसी कंपनियां कारोबार कर रही हैं। शोध कंपनी नीलसन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अग्रणी बिजनेस स्कूलों के एक चैथाई एमबीए छात्रों ने माना है कि वे पारंपरिक सलाहकार और वित्तीय सेवा क्षेत्र की नौकरियों की तुलना में ऑनलाइन मार्केटिंग के क्षेत्र को वरीयता देंगे।
– संजीव रावत, निदेशक, वैबब्रेन्स डिजिटल मार्केटिंग इन्सटीट्यूट