लखनऊ-उत्तर प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन जिलों में बाढ़ से खराब हुए हालात के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी और गाजीपुर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और इस समस्या के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश के बांधों से छोड़े गए पानी को जिम्मेदार ठहराया। प्रदेश में बाढ़ की स्थिति अब भी विकराल बनी हुई है। बलिया में बाढ़ के पानी में डूबने से तीन लोगों की मौत हो गई।मुख्यमंत्री ने गाजीपुर में बाढ़ से घिरे क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद प्रभावित लोगों को राहत सामग्री के वितरण कार्यक्रम में कहा, इस बार उत्तर प्रदेश में बारिश औसत से भी कम हुई है लेकिन यहां पर जो भी समस्या खड़ी हुई है, वह राजस्थान और मध्य प्रदेश द्वारा अतिरिक्त जल छोडऩे के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि इस बार राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान से 26 लाख क्यूसेक और मध्य प्रदेश से चार लाख क्यूसेक से अधिक जल छोडऩे के कारण उत्तर प्रदेश में चंबल नदी, बेतवा नदी व अन्य सहायक नदियों में जलस्तर काफी बढ़ गया, जिससे गंगा और यमुना के जलस्तर में भी वृद्धि हुई। मुख्यमंत्री ने वाराणसी में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का नाव से सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन भी किए।मुख्यमंत्री ने अस्सी स्थित गोयनका संस्कृत महाविद्यालय में बनाए गए बाढ़ राहत शिविर पहुंचे और वहां लोगों से उनका हाल पूछा। उन्होंने बाढ़ प्रभावितों को भरोसा देते हुए कहा कि आपदा की इस घड़ी में सरकार उनके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि राहत शिविर में रह रहे लोगों को किसी भी तरह से कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। आदित्यनाथ ने कहा कि इस आपदा के समय में सरकार प्रभावित जनता के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ मंत्रियों और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद में जुटने को कहा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और राहत सामग्री का वितरण करने के लिए पर्याप्त संख्या में नौकाओं की व्यवस्था की गई है और एसडीआरएफ, एनडीआरएफ तथा पीएसी की बाढ़ इकाइयों को राहत एवं बचाव कार्यों में तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित हर परिवार को 15 दिन के राशन की राहत किट उपलब्ध कराई गई है। इस बीच, राहत आयुक्त कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में प्रदेश के 12 जिलों में 959 गांव के 2,31,026 लोग प्रभावित हैं। सबसे ज्यादा 278 गांव मिर्जापुर में बाढ़ से प्रभावित हैं। इसके अलावा गाजीपुर में 186 और प्रयागराज में 158 गांव बाढ़ से घिरे हैं। बाढ़ प्रभावित 92 गांवों का संपर्क बाकी क्षेत्रों से कट गया है।बलिया से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में बाढ़ के पानी में डूब कर ढाई साल की एक बच्ची समेत तीन लोगों की मौत हो गई है। पुलिस उपाधीक्षक अशोक मिश्र ने बताया कि हल्दी थाना क्षेत्र के रेपुरा गांव में मंगलवार शाम हीरा मोती 35 नामक महिला की प्राथमिक विद्यालय रायपुरा के पास बाढ़ के पानी में डूब जाने से मौत हो गई। इसी ऊचकवा डेरा गांव का निवासी उपेंद्र चौधरी 34 पिछले सोमवार को बाढ़ के पानी में डूब गया था। उसका शव मंगलवार को बरामद किया गया। मिश्र ने बताया कि फेफना थाना क्षेत्र के सागरपाली गांव में मंगलवार को ढाई वर्षीय अलशिफा अपने घर के बेसमेंट में खेल रही थी, तभी बाढ़ के पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई। बलिया जिले में गंगा नदी के जल स्तर में वृद्धि के कारण कुल 31 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। जिले के 74 सरकारी प्राथमिक स्कूलों को बाढ़ की चपेट में आने के कारण बंद कर दिया गया है। वहीं, प्रयागराज से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक सप्ताह से नगर के तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ का सामना कर रहे लोगों को अब बीमारियां फैलने की आशंका सता रही है। गंगा और यमुना नदी का जलस्तर घटने के साथ लोगों ने राहत की सांस जरूर ली है लेकिन उनके सामने बाढ़ के पानी में डूबे रहे घरों की साफ सफाई को लेकर बड़ी चुनौती है। गंगा के किनारे के निचले इलाकों में बसे सलोरी, गोविंदपुर, चिल्ला गांव, नेवादा, अशोकनगर और राजापुर स्थित मकानों में बाढ़ का पानी घुसने से लोग ऊपरी क्षेत्र में बने अस्थाई बसेरों में रह रहे हैं। सलोरी के निवासी रामचंद्र कुशवाहा ने बताया कि उनके मकान में बाढ़ का पानी घुसने से गृहस्थी का सारा सामान खराब हो रहा है और बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने बाढ़ राहत के लिए चिकित्सा तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों को नगर निगम के साथ समन्वय स्थापित कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। वाराणसी से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा का जलस्तर घट रहा है, मगर इसके बावजूद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों की दिक्कतें कम नहीं हो रही हैं। गंगा और वरुणा नदियों के किनारों पर बसे इलाके बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को राहत शिविरों में ले जाया जा रहा है। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देश पर बाढ़ प्रभावित सभी क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट और विभागीय अधिकारी लगातार दौरा कर राहत एवं बचाव कार्य पर पैनी नजर रखे हुए हैं।मिर्जापुर से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा नदी का जलस्तर धीरे धीरे कम हो रहा है। हालांकि जिले के 270 गांव अब भी बाढ़ से प्रभावित हैं। अपर जिलाधिकारी शिव प्रताप शुक्ला ने बताया कि सदर तहसील में 147 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। प्रशासन की कई टीम बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद में जुटी हैं। जालौन में बाढ़ की स्थिति में सुधार है। हालांकि, जिले के 40 प्राथमिक विद्यालयों में पानी भर जाने के कारण वहां शिक्षण कार्य पूरी तरह बंद है। जिलाधिकारी चांदनी सिंह ने राजस्व कर्मियों को निर्देश दिए हैं कि बाढ़ के कारण गिरे कच्चे मकानों का सर्वे कराया जाए। उनके मालिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाएगा।वहीं, केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक गंगा नदी प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर तथा बलिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसके अलावा यमुना नदी प्रयागराज में, शारदा नदी लखीमपुर खीरी में तथा घाघरा नदी बाराबंकी और अयोध्या में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इस बीच, मौसम विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य में कुछ स्थानों पर बारिश हुई। इस अवधि में रानीगंज प्रतापगढ़ में पांच सेंटीमीटर, मुसाफिरखाना अमेठी और फतेहपुर में चार-चार, कुंडा प्रतापगढ़, लखनऊ तथा बिंदकी फतेहपुर में तीन-तीन, आगरा तथा प्रयागराज में दो-दो सेंटीमीटर, मडियाहू जौनपुर,मऊ तहसील चित्रकूट, लालगंज प्रतापगढ़, अयोध्या, हापुड़ तथा हैदरगढ़ बाराबंकी में एक-एक सेंटीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई। अगले 24 घंटों के दौरान राज्य के पूर्वी हिस्सों में कुछ स्थानों पर वर्षा होने का अनुमान है।