नई दिल्ली- उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम एलजी को अपनी सभी सेवाएं और नियामक प्रक्रियाओं को 31 जुलाई तक आईटी-सक्षम बनाने के निर्देश दिए हैं। राज निवास में शनिवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में एमसीडी द्वारा किए जा रहे आईटी कार्यों में पहल की समीक्षा करते हुए सक्सेना ने कहा कि सभी नागरिक केन्द्रित सेवाएं जैसे जन्म और मृत्यु का पंजीकरण, संपत्ति कर, ई-म्यूटेशन, भवन योजना स्वीकृति, लेआउट अनुमोदन, लाइसेंस, कन्र्वजन और पार्किंग शुल्क, विज्ञापन और होर्डिंग शुल्क संग्रह, श्मशान और कब्रिस्तान और कचरा वाहनों की ट्रैकिंग आदि, जिनको अलग-अलग कम्प्यूटरीकृत करने की योजना है, उनको एक ही प्लेटफार्ममंच पर लोगों के लिए उपलब्ध कराए जाने और 31 जुलाई तक इन्हें पूरी तरह से आईटी सक्षम भी बनाये जाने के आदेश दिए। उपराज्यपाल ने कहा कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हम सेवाओं को ऐसे उपलब्ध कराएं कि मानव हस्तक्षेप कम से कम हो और लालफीताशाही में कटौती को सुनिश्चित किया जा सके साथ ही लोगों की असुविधा को कम करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार को भी हर स्तर पर कम किया जा सके। जन्म और मृत्यु के पंजीकरण को पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत करने के एमसीडी के प्रयासों की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि इस डेटा बेस को ऐसे सरकारी विभागों से जोड़ा जाए जो खाद्य सुरक्षा, पेंशन, मातृत्व लाभ और अन्य कल्याणकारी सेवाएं प्रदान करातें हैं ताकि जन्म या मृत्यु होने पर नाम स्वत: लाभार्थी के नाम का अपडेशन या डीलिशन हो सके। उन्होंने कहा कि इससे मौजूदा लीकेज को दूर करने के साथ साथ ‘घोस्ट लाभार्थियों’ पर भी रोक लगाई जा सकेगी। यह सूचित किए जाने पर कि 26 प्रतिशत बच्चों का जन्म अस्पताल नर्सिंग होम में न होकर घर पर ही होता है, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे एक ऐसे वार्ड की रैंडम ढंग से जांच करें जहां घर में होने वाली जन्मदर सबसे ज्यादा हो, और साथ ही इसके पीछे के कारणों का भी पता लगाएं। संपत्ति टैक्स फाइलिंग, संग्रह, मूल्यांकन और वसूली के ऑटोमेशन पर जोर देते हुए उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए की शहर की सभी संपत्तियों-वाणिज्यिक और आवासीय को कर के दायरे में लाया जाए ताकि एमसीडी की आय में बढ़ोत्तरी हो और निगम बेहतर सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो सके। उपराज्यपाल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, अनुचित और अव्यवहारिक स्थिति है कि दिल्ली के 65 प्रतिशत क्षेत्र में स्थित रिहायशी संपत्ति, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और लोग सम्पत्तिकर के दायरे से पूरी तरह से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि बाकी मात्र 35 प्रतिशत अधिकृत नियमित इलाकों में रहने वाले निवासी जो कि 11 लाख घरों में रह रहे हैं, वही संपत्तिकर देते हैं। परंतु केवल वह ही नहीं, पूरी दिल्ली और इसके निवासी निगम द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं और सेवाओं का लाभ उठाते हैं। ऐसे में यह उचित और न्याय संगत होगा कि सभी अपनी वित्तीय स्थिति और संपत्ति के अनुसार स्वयं मूल्यांकन कर अलग-अलग दरों पर संपत्तिकर का भुगतान करें। इस उद्देश्य के लिए उन्होंने अधिकारियों को संपत्तिकर पंजीकरण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रपत्रों और प्रणाली को सरल बनाने और इसे आधार से जोडऩे के लिए कहा। इस संबंध में उपराज्यपाल ने अधिकारियों से लोगों और आरडब्ल्यूए को विश्वास में लेने को कहा ताकि उनकी चिंताओं को दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह की साझेदारी से न केवल लोगों को ईमानदारी से आत्म-मूल्यांकन की सुविधा प्राप्त होगी बल्कि कर संग्रह और पारदर्शिता तथा कर का संग्रहण भी बढ़ेगा। इससे लोगों को बेहतर सुविधाएं और सेवाएं मुहैया कराई जा सकेंगी। एलजी ने कहा कि नगर निगम को अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करना होगा और एमसीडी को रेड फाइनेंशियल स्टेट्स से मजबूत ग्रीन स्टेट्स में बदलने के अपने संकल्प को पुन: दोहराया। बैठक में निगम के विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार और निगमायुक्त ज्ञानेश भारती उपस्थित थे।