उत्तर प्रदेश – अलीगढ़ के बाजौता की रहने वाली सुनीता सिंह की कहानी उनकी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प की मिसाल पेश करती है। 2015 में उन्होंने बीएलएस ई-सर्विसेज के माध्यम से एसबीआई कस्टमर सर्विस पॉइंट का प्रबंधन अपने हाथ में लिया था और अब वह अपने समुदाय में एक आधार-स्तंभ बन चुकी हैं।चार बच्चों की माँ सुनीता के पति की लंबी बीमारी ने परिवार की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया था। ऐसे में परिवार की जिम्मेदारी सुनीता के कंधे पर आ गई थी। वह घबराई नहीं और उन्होंने दृढ़ संकल्प लिया कि परिवार की जरूरतों को खुद पूरा करेंगी। वह चाहती थी कि उनके बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करें और इसके लिए खुद ही जिम्मेदारी उठाकर काम करना शुरू किया। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई है। 30,000 से 35,000 रुपये के अपने मासिक कमीशन के माध्यम से सुनीता ने अपनी सबसे बड़ी बेटी को बी.कॉम ग्रेजुएट बनते देखा है। उनकी दूसरी बेटी ने मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री हासिल कर ली है। उनकी तीसरी बेटी एमए कर रही है। उनका बेटा भी पीछे नहीं है। वह भी बी.कॉम की पढ़ाई कर रहा है।बच्चों की शिक्षा से आगे बढ़कर सुनीता ने हाल ही में अपना खुद का घर भी बना लिया है। यह उनकी मेहनत का फल है। यह उनकी वित्तीय स्वतंत्रता और परिवार को एक स्थायी घर प्रदान करने की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। दूसरी बेटी की शादी के करीब आने के साथ वह अगली चुनौती को पूरा करने के लिए भी पूरी तरह तैयार हैं।सुनीता की भूमिका बैंकिंग से कहीं आगे तक जाती है। वह खाता खोलने, जमा करने, निकासी जैसे ज़रूरी काम संभालती हैं। वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के लिए सरकारी योजनाओं का प्रचार भी करती हैं। सुनीता सुनिश्चित करती हैं कि उनके पड़ोसियों को ज़रूरी सेवाओं तक आसानी से पहुँच मिले। सुनीता की कहानी दृढ़ संकल्प की शक्ति का प्रमाण है। अपनी अटूट भावना और कड़ी मेहनत के ज़रिए उन्होंने न केवल अपना जीवन बेहतर बनाया है, बल्कि अपने परिवार और समुदाय को भी सशक्त बनाया है।

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