नई दिल्ली-नृत्य की संध्या यह अपने आप में एक अद्भुत समागम है। एक ओर जहां सभी महादेव की भक्ति में लीन हैं, वहीं भरतनाट्यम की इस नृत्य संध्या में युवा नृत्यांगना महक चावला नृत्य अभिनय रस में लीन, उपस्थित कला-प्रेमियों एवं अन्य को रिझाती नज़र आती हैं। मौका, त्रिवेणी कला संगम सभागार, मंडी हाउस, नाट्य वृक्ष द्वारा प्रस्तुत अरंगेत्रम की संध्या का था, जहां गुरु पद्मश्री गीता चंद्रन की शिष्या महक चावला ने अपना पहला एकल भरतनाट्यम प्रस्तुतिकरण दिया।भरतनाट्यम नर्तक के जीवन में अरंगेत्रम एक महत्वपूर्ण अवसर और अपने गुरु के लिए एक सम्मान होता है। यह एक महत्वपूर्ण संस्कार है जो भरतनाट्यम के सागर में शिष्य की यात्रा में पहला मील का पत्थर होता है। भाव, राग और ताल के धागों को कविता और लय में पिरोते भरतनाट्यम के माध्यम से महक चावला ने लड़ियों में एक पूरी कहानी प्रस्तुत की। जहां गीता चंद्रन नट्टुवंगम, के. वेंकटेश्वरन गायन, मनोहर बालाचंदीराने मृदंगम, और जी. राघवेंद्र प्रसाद वायलिन ने उनका साथ दिया। महक ने अपनी प्रस्तुति‍ की शुरूआत रागम गंभीरा नट्टई में पुष्पांजलि के साथ की, इस प्रस्तुति के माध्यम से नर्तकी रंगम या मंच को प्रणाम करते हुए अपने अरंगेत्रम की शुरूआत करती है। इसके उपरांत उन्होंने अलारिप्पु की प्रस्तुति दी। यह शरीर का प्रतिनिधित्व करता है, धीरे-धीरे भरतनाट्यम मुद्राओं को प्रदर्शित करता है, जैसे कमल धीरे-धीरे सूरज की रोशनी में खुलता है। उनकी अगली प्रस्तुति पारंपरिक रागमालिका जातिस्वरम थी, जो भरतनाट्यम अदावस की एक और उन्नत व्याख्या प्रस्तुत करती है। इसके बाद वर्णम नाताईकुरंजी की प्रस्तुति हुई। महक ने तमिल में पदम इंदेंदु वाचितिविरा भी प्रस्तुत किया। महक ने रागम बृंदावानी में एक शानदार तिलाना के साथ अपना अरंगेत्रम समाप्त किया। अपनी प्रस्तुति के बाद महक ने कहा, मैं बहुत उत्साहित हूं कि आज के दिन मैंने अपना एकल कार्यक्रम प्रस्तुत किया। यह सब मेरी प्रिय गीता अक्का के चलते हो पाया है। वे मेरे लिए कई मायनों में खास हैं, उनमें मुझे एक सच्चा गुरु मिला है, जिसने मेरा मार्ग प्रकाशित किया और दिशा दिखाई है। उनकी उपस्थिति और आशीर्वाद ने मुझे अपने नृत्य में सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित किया और यह प्रस्तुति यादगार बनी। गुरू गीता चन्द्रन ने कहा, आज के पावन दिन महक ने अपने पहले एकल प्रस्तुतिकरण से सभी को मंत्र-मुग्ध कर दिया। उनका नृत्य अभिनय उनके कौशल की व्यख्या करता है। भरतनाट्यम की कुशलता एवं एकाग्रता, रागों के साथ अपने नृत्य व शारीरिक हाव-भाव का संतुलन बहुत ही अच्छे से निभाया महक ने। नृत्य को लेकर उनके सीखने, समझने की गंभीरता को हमने मंच पर बखूबी देखा।