अबू धाबी / अहमदाबाद – यूएई में बसे डॉक्टर और समाजसेवी डॉ. शमशीर वयालिल ने अहमदाबाद में बी.जे. मेडिकल कॉलेज पर हुए एयर इंडिया फ्लाइट 171 हादसे के पीड़ितों के लिए ₹6 करोड़ की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। यह हादसा उनके अपने मेडिकल छात्र जीवन की याद दिलाने वाला था, जिसने उन्हें गहराई से झकझोर दिया। 12 जून को यह दुखद दुर्घटना उस समय घटी जब एक बोइंग 787 विमान लंच के वक्त अतुल्यम छात्रावास परिसर से टकरा गया। विमान की टक्कर से छात्रावास और मैस की इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं। हादसे में चार मेडिकल छात्रों की मौत हो गई, दर्जनों घायल हुए और परिसर में रह रहे डॉक्टरों के पांच परिजन भी जान गंवा बैठे। मारे गए छात्रों में जयप्रकाश चौधरी (बाड़मेर, राजस्थान), मनव भाडू (श्रीगंगानगर, राजस्थान), आर्यन राजपूत (ग्वालियर, मध्यप्रदेश), और राकेश दियोरा (भावनगर, गुजरात) शामिल थे। ये सभी छात्र अपने चिकित्सा करियर की शुरुआती राह पर थे और उनके सपने अभी आकार ले ही रहे थे। बुर्जील होल्डिंग्स के संस्थापक व चेयरमैन और वीपीएस हेल्थ के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शमशीर वयालिल ने अबू धाबी से सहायता की घोषणा करते हुए कहा कि जब उन्होंने हादसे के दृश्य देखे तो वे भीतर तक हिल गए। उन्होंने कहा कि यह दृश्य उन्हें उनके अपने छात्रावास के दिनों की याद दिलाते हैं वह गलियां, वे बेड, परीक्षा की तैयारी में बिताई रातें, मैस की टेबल पर दोस्तों के साथ हँसी-मजाक, और घर से आने वाले फोन का बेसब्री से इंतजार। उन्होंने कहा कि कोई भी यह कल्पना नहीं करता कि एक यात्री विमान उस सुरक्षित और सपनों से भरी दुनिया में तबाही मचा देगा। घोषित राहत राशि में प्रत्येक मृत छात्र के परिवार को ₹1 करोड़, गंभीर रूप से घायल पांच छात्रों को ₹20 लाख और डॉक्टरों के उन परिवारों को ₹20 लाख की सहायता दी जाएगी, जिन्होंने हादसे में अपनों को खोया। यह सहायता बी.जे. मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के माध्यम से प्रभावित लोगों तक पहुंचाई जाएगी। डॉ. शमशीर की मानवीय सहायता का यह पहला उदाहरण नहीं है। 2010 में मैंगलोर एयरक्रैश के बाद भी उन्होंने प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता और अपने हेल्थकेयर नेटवर्क में नौकरी के अवसर प्रदान किए थे। उन्होंने भारत और खाड़ी देशों में आपदाओं, स्वास्थ्य संकटों और विस्थापन की घटनाओं में भी सहायता पहुंचाई है। हालांकि, इस बार की त्रासदी उनके लिए कहीं अधिक व्यक्तिगत है। उन्होंने कहा कि वे जानते हैं मेडिकल छात्र जीवन कैसा होता है। क्लिनिकल परीक्षाओं की तैयारी, थककर कमरे लौटना, रात को किताबों में डूब जाना, और साथियों के बीच बिताया समय। यही जीवन हमें डॉक्टर नहीं, इंसान बनाता है। और उसी जीवन को इस तरह छीन लिए जाना दिल को तोड़ देने वाला है। घायलों में तीसरे वर्ष का छात्र रितेश कुमार शर्मा भी शामिल है, जो मलबे के नीचे घंटों फंसा रहा और उसे पैरों में गंभीर चोटें आईं। उसके कई दोस्त भी घायल हुए, जबकि कुछ छात्रों ने अपने साथियों को हादसे में खो दिया।डॉ. शमशीर ने कहा कि यह सहायता केवल आर्थिक नहीं बल्कि एक भावनात्मक संदेश भी है। उन्होंने कहा, यह इस बात का प्रतीक है कि चिकित्सा समुदाय सीमाओं और पीढ़ियों से परे एकजुट है। जो हुआ, उसे बदला नहीं जा सकता, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना है कि इन छात्रों की यादें सिर्फ खबरों में न सिमट जाएं। वे लोग थे जो दूसरों की सेवा करने के लिए खुद को तैयार कर रहे थे। अब उनकी अधूरी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाना हम सबकी साझी ज़िम्मेदारी है। इस त्रासदी से उबरने की कोशिश में बी.जे. मेडिकल कॉलेज में प्रभावित छात्रों और उनके परिवारों को अस्थायी रूप से अन्यत्र स्थानांतरित किया जा रहा है। उन्होंने न सिर्फ अपना ठिकाना खोया है, बल्कि अपने सहपाठियों, ज़रूरी सामानों और जीवन की सामान्य सुरक्षा का भी नुकसान सहा है। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्यों को अंजाम दे रही है और डॉ. शमशीर की टीम उनके साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेगी कि सहायता सही लोगों तक जल्द से जल्द पहुंचे।

Leave a Reply