नई दिल्ली- राष्ट्रीय गौधन महासंघ द्वारा देश की आत्मनिर्भर गौशालाओं को 7 नवंबर 2023 को विश्व युवा केंद्र चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में सुरदर्शन सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा 7 नवंबर 1966 को संसद मार्ग पर शहीद हुए संतो को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। उक्त बातें सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय गौधन महासंघ के संयोजक श्री विजय खुराना ने बताई। उन्होंने कहा कि गाय इस देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। महासंघ देश में 22 हजार गौशालाएं संचालित कर रहा है। हमारी कोशिश है कि हर गौशाला आत्मनिर्भर बने। हमारी कुछ गौशालाओं आत्मनिर्भर हैं। उनके गोबर से लकड़ी बनाई जा रही है। गौशालाओं ने 20 हजार टन लकड़ी बेची है जिसे लोग होलिका दहन, शमशान, लोहड़ी आदि पर खरीद कर ले जाते हैं। ऐसी गौशालाओं को सुदर्शन सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। साथ में 7 नवंबर 1966 में संसद मार्ग पर आयोजित सर्वदलीय गौरक्षा महाअभिमान समिति में मारे गए 550 संत जनों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। जिसमें मुख्य अतिथि भारत सरकार के मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रुपाला, विशिष्ट अतिथि संकल्प के संस्थापक संतोष तनेजा, विशिष्ट अतिथि सांसद सुनीता दुग्गल होंगी। कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार जी का मार्गदर्शन भी प्राप्त होगा। कार्यक्रम में विश्व जागृति मिशन के स्वामी सुधांशु जी महाराज का आशीर्वचन और गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी का सानिध्य प्राप्त होगा। उन्होंनें बताया कि राष्ट्रीय गौधन महासंघ के 17 वर्षों के कालखंड में गौशालाएं 9500 से 21000 हुई हैं। पूरे देश में इनकी संख्या 2006 में 9 करोड़ थी लेकिन 2022 में यह बढ़कर 21 करोड़ हो गई है। हमें गाय के महत्व को समझना होगा। सतयुग से लेकर आदि अनादि काल से संसार में गाय का सर्वाधिक महत्त्व है समुद्र मंथन से जब दिव्य तेजोमय शक्तियों का प्रदुर्भाव हुआ तो उन महत्वपूर्ण पदार्थो शक्तियों में गाय भी प्राप्त हुई जिसकी शक्ति उस समय अपरिमित थी वह सभी प्रकार के पदार्थों से युक्त थी वह एक ही बार में अनेक लोगों का पालन कर सकती थी, भोजन दे सकती थी परंतु सबसे महत्वपूर्ण यह हैं की गाय से प्राप्त सभी वस्तु देव मनुष्य दानव सबको ग्राह्य हैं। महाभारत का वाक्य है पंचगव्य प्राशन सर्व पाप नशान अर्थात गाय द्वारा प्रदत्त दुग्ध दही घृत गोमूत्र गोबर सभी विशेष मात्रा में मिलाकर लेने से अनेकों जन्मों से एकत्र अस्थियों में जमा पाप भी नष्ट करने की शक्ति पंचगव्य में हैं। यह आज भी प्रमाणित है।